Raksha Bandhan: रक्षाबंधन की तारीख को लेकर खत्म हुआ कन्फ्यूजन, कालका मंदिर के पीठाधीश्वर ने बताया सही मुहूर्त व तारीख
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Raksha Bandhan: रक्षाबंधन की तारीख को लेकर खत्म हुआ कन्फ्यूजन, कालका मंदिर के पीठाधीश्वर ने बताया सही मुहूर्त व तारीख

Rakshabandhan 2023: इस रक्षाबंधन भद्रा काल लगने की वजह से तारीख को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन बना हुआ है. इस दुविधा को दूर करते हुए कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने रक्षाबंधन का सही समय और सही तारीख की जानकारी दी है. पढ़ें पूरी डिटेल...

 

 

Raksha Bandhan:  रक्षाबंधन की तारीख को लेकर खत्म हुआ कन्फ्यूजन, कालका मंदिर के पीठाधीश्वर ने बताया सही मुहूर्त व तारीख

Raksha Bandhan: भाई-बहनों का सबसे पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन का त्योहार माना जाता है, जिसमें बहन भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर यह त्यौहार मनाती है, तो वहीं भाई भी इस त्योहार पर बहन की रक्षा करने की प्रण लेता है. मगर इस बार रक्षाबंधन के त्यौहार ने लोगों के मन को दुविधा में डाल दिया है की  रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा या फिर 31 अगस्त को मनाया जाएगा.

इस घड़ी में भाई का करें तिलक

वहीं सभी दुविधाओं को दूर करते हुए कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने रक्षाबंधन का सही समय और सही तारीख की जानकारी देते हुए बताता है कि 30 तारीख को 10 बजकर 58 मिनट पर पूर्णिमा शुरू हो रहा है मगर इसके साथ ही भद्रा भी चढ़ रहा है. ऐसे में भद्र का चढ़ना अशुभ घड़ी मानी जाती है. इसलिए बहने भाई को 30 अगस्त को राखी ना बांधकर 31 अगस्त को राखी बांधे.

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भद्रा का वास होता है कष्टकारी

 क्योंकि, 31 अगस्त को पूरे दिन पूर्णिमाकाल में रहेगा. जब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है तो वह काफी कष्टकारी होता है. इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार 31 अगस्त को ही बहने मनाएं. आगे जानकारी देते हुए महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण के पूर्णिमा पर होता है. सबसे पहले ब्राह्मण ऋषियों के द्वारा जनेऊ का पूजन करके जनेऊ धारण किया जाता है. वही सबसे पहले रक्षाबंधन शशि ने भगवान इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था.

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इसके बाद महाभारत काल में द्रौपदी ने पांडवों की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधा था, तो वहीं ब्राह्मण पंडितों के द्वारा अपने यजमान को रक्षा सूत्र बांधा जाता है. इसके बाद बहाने अपने भाई की कलाई पर रक्षा बांधकर आजीवन अपने रक्षा की कामना करती है. इस तरह रक्षाबंधन का त्यौहार की शुरुआत हुई और अब इसे भाई बहनों का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है.

(इनपुटः हरि किशोर शाह)

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