Arvind Kejriwal: जानें अरविंद केजरीवाल से क्यों हटाई गई पंजाब पुलिस की सुरक्षा, वजह आई सामने
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Arvind Kejriwal: जानें अरविंद केजरीवाल से क्यों हटाई गई पंजाब पुलिस की सुरक्षा, वजह आई सामने

Delhi News: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की पंजाब पुलिस द्वारा सुरक्षा हटाने से सियासी हलचल बढ़ गई है. पंजाब पुलिस ने यह कदम तब उठाया, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान उनके सुरक्षाकर्मी तैनात थे.

Arvind Kejriwal: जानें अरविंद केजरीवाल से क्यों हटाई गई पंजाब पुलिस की सुरक्षा, वजह आई सामने

Arvind Kejriwal: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की पंजाब पुलिस द्वारा सुरक्षा हटाने से सियासी हलचल बढ़ गई है. पंजाब पुलिस ने यह कदम तब उठाया, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान उनके सुरक्षाकर्मी तैनात थे. इसके पीछे की वजह यह है कि केजरीवाल को दिल्ली पुलिस द्वारा पहले से ही जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. 

पंजाब पुलिस ने लिया सुरक्षा वापस लेने का निर्णय
पंजाब पुलिस ने सुरक्षा वापस लेने का निर्णय तब लिया, जब दूसरे प्रदेश की पुलिस द्वारा सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर चिंता जताए जाने लगी. इसके बाद पंजाब पुलिस ने सुरक्षा हटाने का फैसला लिया. केजरीवाल दिल्ली पुलिस की सुरक्षा घेरे में है. उनको जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है, जो उनके पद के अनुसार अनिवार्य है. लेकिन, पंजाब पुलिस की सुरक्षा हटाने के बाद, उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

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सीएम आतिशी ने लगाया अमित शाह पर आरोप 
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री पर आरोप लगाया है कि उनके इशारे पर ही केजरीवाल की पंजाब पुलिस सुरक्षा हटाई गई. इसके बाद हरिनगर में भाजपा के गुंडों द्वारा केजरीवाल पर हमले की कोशिश की गई, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई.

सचदेवा ने साधा केजरीवाल पर निशाना 
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जितना ध्यान खुद हमले की कहानी गढ़ने और चुनाव आयोग पर आरोप लगाने में लगाते हैं. अगर केजरीवाल उतना ध्यान अपने प्रत्याशियों के प्रचार में लगा दें तो शायद कुछ सीट जीत पाएं.

दिल्ली में सभी 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को चुनाव होने हैं और मतगणना 8 फरवरी को होगी. आम आदमी पार्टी चौथी बार सत्ता में आने का प्रयास कर रही है. 2015 में पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं, जबकि 2020 में 62 सीटें हासिल की थीं. ऐसे में भाजपा को केवल 3 और 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.