Delhi News: छात्रों को फीस जमा न होने के आधार पर परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली CWC का आदेश
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Delhi News: छात्रों को फीस जमा न होने के आधार पर परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली CWC का आदेश

सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी (शनिवार) से शुरू होने जा रही हैं. इस समय, दिल्ली के कई निजी स्कूलों के छात्र एक गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं.

Delhi News: छात्रों को फीस जमा न होने के आधार पर परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली CWC का आदेश

Delhi Priave Schools: सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी (शनिवार) से शुरू होने जा रही हैं. इस समय, दिल्ली के कई निजी स्कूलों के छात्र एक गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं. फीस विवाद के कारण कई स्कूलों ने बड़ी संख्या में छात्रों के प्रवेश पत्र जारी नहीं किए हैं, जिससे छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. यह स्थिति अभिभावकों के लिए भी चिंताजनक बनी हुई है. 

स्कूलों द्वारा  मांगी जा रही अधिक फीस
इस मुद्दे को लेकर अभिभावकों ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) में अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं. अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों द्वारा अधिक फीस मांगी जा रही है, जिससे उनके बच्चे परीक्षा में बैठने से वंचित हो सकते हैं. इस मामले में सीडब्ल्यूसी ने सख्त कदम उठाते हुए स्कूलों को छात्रों के प्रवेश पत्र तत्काल जारी करने का आदेश दिया है. दिल्ली के नामी एपीजे स्कूल साकेत और एपीजे स्कूल शेख सराय द्वारा 13 छात्रों के बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र जारी नहीं करने पर सीडब्ल्यूसी ने नाराजगी व्यक्त की है. इन स्कूलों ने फीस विवाद के चलते छात्रों के प्रवेश पत्र रोक रखे हैं. सीडब्ल्यूसी ने स्पष्ट किया है कि छात्रों का भविष्य किसी भी विवाद का शिकार नहीं हो सकता.

 सभी छात्रों के प्रवेश पत्र जारी करने के आदेश 
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सत्यप्रभा और अन्य सदस्यों ने छात्रों के परिजनों की याचिका पर त्वरित सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. समिति ने कहा कि फीस विवाद का समाधान बाद में किया जाएगा, लेकिन पहले छात्रों को उनकी बोर्ड परीक्षा में बैठने की सुनिश्चिता दी जानी चाहिए. सीडब्ल्यूसी के आदेश के मद्देनजर, दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया है. निदेशालय ने स्कूलों को सभी छात्रों के प्रवेश पत्र जारी करने के आदेश दिए हैं. यह कदम छात्रों और उनके परिजनों के हित में उठाया गया है.

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परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा सकता
सीडब्ल्यूसी के सख्त आदेशों के तहत शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को नोटिस जारी किया है. निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि छात्रों को फीस जमा न होने के आधार पर परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जा सकता. यह आदेश हाईकोर्ट के वर्ष 2023 के एक निर्णय पर आधारित है. सीडब्ल्यूसी ने इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को तय की है. इस सुनवाई में स्कूल और अभिभावकों के पक्ष को सुना जाएगा. यह सुनवाई छात्रों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है.

यह मामला केवल एक स्कूल का नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों को उजागर करता है. फीस विवादों के चलते छात्रों का भविष्य दांव पर है. ऐसे में, शिक्षा प्रणाली को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. अंत में, यह आवश्यक है कि समाज इस मुद्दे पर ध्यान दे और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एकजुट हो. अभिभावकों, स्कूलों और शिक्षा अधिकारियों के बीच संवाद होना चाहिए ताकि इस प्रकार की समस्याओं का समाधान किया जा सके.