Lok Sabha Election 2024: एक्शन मोड में बीजेपी, इस पार्टी के साथ कर सकती है गठबंधन, संगठन में भी होगा बदलाव
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Lok Sabha Election 2024: एक्शन मोड में बीजेपी, इस पार्टी के साथ कर सकती है गठबंधन, संगठन में भी होगा बदलाव

UP Politics: 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना दल (सोनेलाल) के साथ गठबंधन कर बीजेपी ने राज्य की 80 सीटों में से 64 सीट जीती थीं जबकि कांग्रेस ने एक, सपा ने पांच और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 10 सीट जीती थीं. तब सपा-बसपा ने मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ा था.

Lok Sabha Election 2024: एक्शन मोड में बीजेपी, इस पार्टी के साथ कर सकती है गठबंधन, संगठन में भी होगा बदलाव

UP News: लोकसभा चुनाव - 2024 के लिए बीजेपी एक्शन मोड में आ गई है. सीटों के लिहाज से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी तैयारियों में जुट गई है. बीजेपी जल्द ही प्रदेश संगठन में बदलाव कर सकती है. इसके साथ ही बीजेपी की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन की भी संभावना बढ़ गई है.

पीटीआई भाषा के मुताबिक प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि संगठन में बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं होगा लेकिन बहुत जल्‍द आंशिक पुनर्गठन किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा, ‘राजभर जी (सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर) हमारे साथ रहे हैं और निश्चित रूप से अगर विचारधारा से सहमत हैं तो उन्हें अपने साथ काम करने का पार्टी अवसर देगी, ऐसा मुझे विश्वास है.’

योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री और पिछड़ी जातियों में प्रभावी जाट समुदाय से आने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी को बीजेपी ने पिछले वर्ष अगस्त में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. इसके बाद चौधरी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की पिछले माह लखनऊ में हुई बैठक में भूपेंद्र सिंह चौधरी ने लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 80 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था और इसके लिए पार्टी पदाधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की थी.

बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं होगा
प्रदेश कमेटी अब तक गठित न होने पर चौधरी ने कहा, ‘मुझे पार्टी ने मध्य सत्र में अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अवसर दिया. संगठन के कुछ लोग सरकार में मंत्री बने हैं तो मैंने आंशिक पुनर्गठन के लिए पार्टी के नेतृत्व से निवेदन किया और मुझे उसकी अनुमति मिली है. जल्द ही हम इस प्रक्रिया में आगे बढ़ेंगे. बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं होगा लेकिन आंशिक पुनर्गठन का कार्य किया जाएगा.’

संगठन और सरकार में दोहरा दायित्व निभा रहे लोगों के बारे में जब उनसे पूछा गया कि बीजेपी में तो एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है और आपने भी प्रदेश अध्यक्ष बनते ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन कई पदाधिकारी मंत्री बनने के बाद भी संगठन के पदों पर बने हैं तब उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग सरकार में हैं लेकिन संगठन के रोजमर्रा के कामों में उनका दखल नहीं है. उनकी गतिविधि संगठनात्मक कार्यों में नहीं है. सरकार में उन्हें जो दायित्‍व मिला उसे ईमानदारी से बेहतर ढंग से निभा रहे हैं.’

गौरतलब है कि राज्य सरकार के नगर विकास और ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, परिवहन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष और सहकारिता राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर अभी प्रदेश महामंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं. इनके अलावा राज्‍य सरकार की मंत्री बेबी रानी मौर्य पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.

बीजेपी के पूर्व सहयोगी रहे सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से फिर नजदीकी बढ़ने और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में गठबंधन के संकेत पर चौधरी ने कहा कि ‘हमारा रुख स्पष्ट है, हम सबका स्वागत करते हैं. जो भी हमारे विचार से सहमत हैं और हमारे साथ काम करना चाहता तो उसे साथ रखने में कोई समस्या नहीं है. हम सबको साथ लेकर चलेंगे. राजभर जी हमारे साथ रहे हैं और निश्चित रूप से अगर विचारधारा से सहमत हैं तो उन्हें अपने साथ काम करने का पार्टी अवसर देगी, ऐसा मुझे विश्वास है.’

राजभर ने बीजेपी के साथ लड़ा था 2017 का चुनाव
राजभर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी ने चार सीट पर जीत हासिल की थी. वह योगी सरकार में मंत्री बने. हालांकि दो वर्ष के भीतर ही बीजेपी से उनका गठबंधन टूट गया और वह सरकार से बाहर हो गये. राजभर की पार्टी ने 2022 समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लिया था और विधानसभा की 403 सीटों में छह सीटों पर जीत हासिल की थी.

राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन में आने से सपा प्रमुख से राजभर की दूरी बढ़ गयी और वह विरोध में मुखर हो गये. बाद में उनका गठबंधन टूट गया और अब वह सपा की नीतियों के मुखर विरोधी हो गये हैं.

गौरतलब है कि अपना दल (सोनेलाल) के साथ गठबंधन कर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 80 सीटों में से 64 सीट जीती थीं जबकि कांग्रेस ने एक, सपा ने पांच और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 10 सीट जीती थीं. तब सपा-बसपा ने मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ा था.

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