Kargil Ke Hero: कारगिल युद्ध में अकेले 29 आतंकवादियों को मारने वाले नायक सूबेदार रामरतन महतो सिमडेगा बंगारू के महतो टोली निवासी हैं. उनकी आंखों में आज भी कारगिल युद्ध में जीत की चमक दिखाई देती है. रामरतन महतो के पेट, जांघ और कमर में ऑपरेशन के निशान वीरता की गवाही देते है. रतन महतो साल 1889 लाइट रेजिमेंट ऑर्डिनरी नायक सूबेदार के रूप में कारगिल के दराज सेक्टर में तैनात किये गये थे.
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Kargil Vijay Diwas 2024: झारखंड के सिमडेगा बंगारू के महतो टोली निवासी कारगिल युद्ध के योद्धा नायक सूबेदार राम रतन महतो की आंखों में आज भी कारगिल युद्ध में मिली विजय की चमक स्पष्ट दिखाई देती है. उनके छाती पर लगे मेडल उनकी बहादुरी की कहानी बयां करते है. उनके पेट, कमर और जांघ पर ऑपरेशन के निशान उनकी बहादुरी की गवाही देता है.
कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने 18 जून को 29 आतंकवादियों को एलएमजी से भून डाला था. सभी 29 आतंकवादी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और कजाकिस्तान के थे. 29 आतंकवादियों को मारने के बाद नायक सूबेदार रामरतन महतो ने अपने वरीय पदाधिकारी को सूचना दी. पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और कहा अगर किसी भी इंडियन को गोली लगी होगी तो तुम्हें कोर्ट मार्शल कर दिया जाएगा. इसके बाद मृतकों की पुष्टि हुईं, जिसमें सभी आतंकवादी निकले.
इसके बाद खुशी का ठिकाना ना रहा. उनके वरीय पदाधिकारी विक्रम सिंह वहां पहुंचे और राम रतन महतो को कंधे पर उठाकर बल्ले बल्ले का डांस करने लगे. 22 जून की रात में पाकिस्तान की तरफ से गोला फायर किया गया, जिसमें तीन स्प्लिंटर रामरतन महतो के पैर, पेट , कमर और जांघ में लगे.
पेट में स्प्लिंटर लगने के कारण अंतड़ियां उनकी बाहर आ गई थी. इसके बावजूद राम रतन महतो ने हिम्मत नहीं हारी. अपनी वर्दी को खोलकर पेट से निकली अंतड़ियों को पेट के अंदर कर उसे वर्दी के कपड़े से बांधकर घायल अवस्था में ही गाड़ी में चढ़े. इसके बाद उन्हें श्रीनगर हेलीकॉप्टर से लाया गया. लंबे इलाज के बाद वह ठीक हो गए. ड्यूटी अवधि समाप्त होने के बाद अब वह अपने घर में परिवार के साथ खेती बाड़ी करते हुए खुशहाल जीवन जी रहे हैं.
रिपोर्ट: रविकांत