Raksha Bandhan 2022: मान्यता है कि गणेश जी के दो पुत्र हैं, जिनका नाम शुभ और लाभ हैं. लेकिन कई जगहों पर यह भी माना जाता है कि माता संतोषी श्रीगणेश की पुत्री हैं. दरअसल गणेश जी ने उन्हें अपनी इच्छा शक्ति से प्रकट किया था और उन्हें अपनी पुत्री माना था.
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पटनाः Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन, भाई-बहन के प्रेम का उत्सव है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष रक्षाबंधन का पर्व श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसे श्रावणी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस साल रक्षाबंधन का पर्व 11 और 12 अगस्त 2022 को मनाया जा रहा है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं. रक्षाबंधन से जुड़ी कई लोक कथाएं तो कई प्राचीन पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. लगभग सभी देवता से इस पर्व का संबंध है. लेकिन शिव परिवार के साथ जुड़ी इस पर्व की अनेक कथाएं हैं. उन्हीं में एक कथा गणेश जी की है.
गणेश जी की इच्छा से हुईं प्रकट
मान्यता है कि गणेश जी के दो पुत्र हैं, जिनका नाम शुभ और लाभ हैं. लेकिन कई जगहों पर यह भी माना जाता है कि माता संतोषी श्रीगणेश की पुत्री हैं. दरअसल गणेश जी ने उन्हें अपनी इच्छा शक्ति से प्रकट किया था और उन्हें अपनी पुत्री माना था. खुद गणेश जी का जन्म भी माता पार्वती की इच्छा शक्ति से ही हुआ था. माता संतोषी प्रेम, संतोष, क्षमा, खुशी और आशा की प्रतिक मानी जाती है. ये माना जाता है कि लगातार 16 शुक्रवारों तक माता संतोषी का पूजन करने से भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि आती है. माता संतोषी को दुर्गा का अवतार भी माना जाता है.
भगवान गणेश की पुत्री हैं मां संतोषी
पौराणिक ग्रंथों में इस कथा के लिए कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है. मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि भगवान गणेश के दो पुत्रों के साथ एक पुत्री भी थीं जिनका नाम माता संतोषी था. भगवान गणेश की दो पत्नियां रिद्धि और सिद्धि थीं जिनसे उन्हें दो पुत्र शुभ और लाभ हुए. माना जाता है कि भगवान गणेश अपनी बहन अशोक सुंदरी से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे. इस दौरान उनके दोनों पुत्र शुभ और लाभ वहीं खेल रहे थे. उन्होंने अपनी बुआ को पिता गणेश की कलाई में धागा बांधते देखा तो इसका रहस्य पूछा. इस पर गणेश जी ने उन्हें रक्षाबंधन का महत्व बताया और कथा भी सुनाई. तब गणेश जी के पुत्रों ने कहा, हमें हमारी बहन भी चाहिए, वह कहीं क्यों नहीं हैं
देवी दुर्गा की कृपा से प्रकट हुई कन्या
ऐसा कहकर दोनों बालकों ने बहन की मांग की. तब गणेश जी ने उनकी इस जिद को एक संकेत समझा और संसार के कल्याण के लिए जिस शक्ति का अवतरण आवश्यक था, उसका आह्वान किया. देवी दुर्गा की कृपा से एक कन्या वहां प्रकट हुई. उसने गणेश जी को पिता कहा और अपने प्रकट होने का कारण पूछा. गणेश जी ने कहा, आज से आप मेरी पुत्री हैं और आपके प्रकट होने से मेरे पुत्रों को बहुत संतोष हुआ, इसलिए जगत में आप संतोषी माता के नाम से जानी जाएंगी. गणेश जी की पुत्री माता संतोषी ने अपने भाइयों को राखी बांधी और तब से वह संसार को सुख-संपदा का वरदान दे रही हैं.