योग विशेषज्ञ के अनुसार बता दें कि गर्भवती महिलाएं अपने बच्चे को जन्म देने के समय होने वाले दर्द का डर अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ को लेकर चिंतित रहती है.इसके अतिरिक्त शरीर में होने वाले बदलाव भी तनाव का कारण बनते है.
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पटना : योग शारीरिक व मानसिक दोनों पक्षों के लिए बहुत जरूरी है. योगासन आम व्यक्ति से लेकर गर्भवती महिलाओं तक के लिए बेहद फायदेमंद होता है. गर्भवती के दौरान हर महिला के शरीर को अलग-अलग परेशानियों से गुजरना पड़ता है.अगर महिला रोजाना योग करेंगी तो प्रसव में होने वाले दर्द से बच सकती है. तितली आसन करने से ना सिर्फ मां का स्वास्थ्य ठीक होगा बल्कि गर्भ में पलने वाले शिशु का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा. गर्भवती महिला को अपनी सीमा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए योग करना चाहिए.योग विशेषज्ञ भी इस आसन की सलाह देते है.
गर्भावस्था के दौरान योग आसन करें महिलाएं
योग विशेषज्ञ के अनुसार बता दें कि गर्भवती महिलाएं अपने बच्चे को जन्म देने के समय होने वाले दर्द का डर अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ को लेकर चिंतित रहती है.इसके अतिरिक्त शरीर में होने वाले बदलाव भी तनाव का कारण बनते है, लेकिन खुद के और बच्चे के बेहतर विकास के लिए मां के मनल को शांत रहना जरूरी है. यदि मन शांत रहेगा तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और गर्भवती एक स्वस्थ्य शिशु को जन्म दे पायेगी. इसके लिए जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान में योग आसन किया जाए. योग के आसन का अभ्यास प्रेगनेंसी के तीसरे महीने से लेकर नवे महीने तक करने की सलाह दी जाती है.
गर्भवती महिलाएं तीसरे महीने से करें तितली आसन
बता दें कि तितली आसन को गर्भावस्था के तीसरे महीने से महिलाएं कर सकती है.शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए यह आसन किया जाता है. तितली आसन करने से महिला को प्रजनन के दौरान दिक्कत कम होती है. तितली आसने के लिए सबसे पहले महिला अपने दोनों पैरों को सामने कर लें और जमीन से तलवे को मिला लें. महिला ध्यान दें कि इस आसन को 15 से अधिक बार ना करें. अनुलोम विलोम रक्त संचार बेहतर बनाता है और गर्भावस्था में अनुलोम विलोम आसन करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है. इसे करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है.
दिव्यांग के लिए भी लाभदायक है योग
उन्होंने बताया कि योगासन के माध्यम से दिव्यांग को स्कंद चालन, ताड आसन, मंडूक आसन, बटर फ्लाई, पशिचमोत्तन आसन, कटिचक्कर, भुजंग असान, भरामरी, कपाल भांति, अनुलोम विलोम आदि प्राणायाम का अभ्यास कराया जाता है. दिव्यांग के शारीरिक और मानसिक विकास में योगासन लाभदायक है. दिव्यांगता की समस्या जन्म से होती है. योग शारीरिक दुर्बलताओं को दूर करता है. इससे शरीर के निरोग बनाए रखने में भी मदद मिलती है. इसलिए अभिभावक इन योगाभ्यासों की जानकारी लेते है. अगर उनके परिवार में कोई दिव्यांग है तो वह घर पर भी योगासन करवाकर उनके शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं.