लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में जुटे हैं. भले ही नीतीश कई बार कह चुके हैं कि वो पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं. लेकिन जेडीयू ने एक नहीं, कई बार उनका नाम इस पद के लिए उछाला है.
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पटना: क्या नीतीश कुमार यूपी से अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? हां तो इसके क्या मायने हो सकते हैं? इसकी जरूरत क्यों है? क्या चुनौतियां होंगी? दरअसल, जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि यूपी में पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि नीतीश कुमार अगला लोकसभा चुनाव यूपी से ही लड़ें.
उन्होंने कहा कि फूलपुर, अंबेडकर नगर और मिर्जापुर के कार्यकर्ता चाहते हैं कि नीतीश इन क्षेत्रों से आकर चुनाव लड़े लेकिन अभी चुनाव बहुत दूर है, समय आने पर इसका फैसला लिया जाएगा. यानी ललन सिंह ने नीतीश के यूपी से चुनाव लड़ने की संभावना पर ना तो हां कहा है और ना ही इंकार नहीं किया है.
'नीतीश की हार तय'
ललन सिंह के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में सत्ता और विपक्ष के नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी शुरू हो गई है. राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार कहीं से भी लोकसभा का चुनाव लड़ें, जनता उन्हें बुरी तरह पराजित करेगी और वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएंगे.
'बीजेपी और मोदी से डरे नीतीश'
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री पद का सपना देखने वाले नीतीश कुमार भाजपा के बढ़ते जनाधार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की लोकप्रियता से इतना डरे हुए हैं कि वे बिहार से संसदीय चुनाव लड़ने के बजाय यूपी में सपा के गढ़ फूलपुर और मिर्जापुर से प्रत्याशी बनने की सोच रहे हैं.
नीतीश की जमानत जब्त होगी
सुशील मोदी ने कहा कि जिस पार्टी का यूपी के विधानसभा चुनाव में भी खाता नहीं खुलता, उसके नेता नीतीश कुमार दो लड़कों के कहने पर वहां की किसी सीट पर लड़ें, उनकी जमानत जब्त होगी.
बीजेपी को हराने का जेडीयू 'प्लान'
इससे पहले ललन सिंह ने शनिवार को कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का गठजोड़ पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में ताकतवर भारतीय जनता पार्टी को मात दे सकता है.
अब सवाल ये है कि नीतीश कुमार के लिए यूपी से चुनाव लड़ने की चर्चा के क्या मायने हैं?
विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं नीतीश
लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में जुटे हैं. भले ही नीतीश कई बार कह चुके हैं कि वो पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं. लेकिन जेडीयू ने एक नहीं, कई बार उनका नाम इस पद के लिए उछाला है.
यूपी का चुनाव क्यों?
अगर वाकई नीतीश के मन में कुछ ऐसा है और पार्टी भी यही चाहती है तो इसके पीछे वजह ये हो सकती है कि नीतीश दिखाना चाहते हैं कि वो सिर्फ बिहार के नेता नहीं है, उनकी स्वीकार्यता दूसरी जगहों पर भी है. और ये जगह यूपी से बेतहर नहीं हो सकती. कहा भी जाता है कि लोकसभा का रास्ता यूपी से होकर जाता है.
ग्राउंड वर्क जरुरी
लेकिन इसमें चुनौतियां भी हैं. अगर नीतीश यूपी से चुनाव जीतते हैं तो उनकी सियासी हैसियत बढ़ेगी लेकिन अगर वो हारते हैं तो बिहार में भी बैकफुट पर आ सकते हैं. लिहाजा अगर नीतीश को यूपी में अपना दम दिखाना है तो उन्हें बहुत पहले से ग्राउंड वर्क करना होगा.
अभी फैसला करना होगा
ललन सिंह कह रहे हैं कि चुनाव अभी बहुत दूर हैं और वक्त पर फैसला लिया जाएगा. लेकिन ये सच नहीं है. अगर यूपी से सीरियस चुनौती देनी है तो अभी फैसला करना होगा और ढेर सारा काम अभी शुरू करना होगा. नीतीश इस स्थिति में नहीं है कि दूसरी जमीन जीतने के चक्कर में अपनी जमीन छोड़ दें.
अमित शाह से सीखें नीतीश
तैयारी कितने पहले से होनी चाहिए उसका एक उदाहरण अमित शाह (Amit Shah) का सीमांचल दौरा ही है. चुनाव यहां 2024-25 में है लेकिन बीजेपी ने अपनी चुनावी मशीन अभी से दौड़ा दी है.