The First Flying Man:अब्बास इब्न फिरनास ने सिल्क, लकड़ी और कपड़े से ग्लाइडर (फ्लाइंग मशीन) जैसा यंत्र बना था. इस यंत्र से उन्होंने दुनिया में पहली उड़ान भर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया. उनके बारे में बता दें कि वो एक इंजीनियर थे और ग्लाइडर तैयार कर मस्जिद के मीनार से अपनी छलांग लगाकर अपनी उड़ान भरी.
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पटना: Abbas Ibn Firnas: पांछियों को आसमान में देख हर किसी की ख्वाइश होती है कि वो भी आसमान में उड़ सके. आधुनिक युग में कई ऐसे यंत्र मार्केट में आ चुके है जो आपकी इस ख्वाइश को पूरा कर रहे हैं. क्या आपको पता है 810 ई में रोन्डा स्पेन में एक ऐसे महानायक ने जन्म लिया था जिसने बड़े होने पर आसमान में पंछियों की तरह उड़ने की इच्छा रखी थी. अपने करियर में महज 65 साल की उम्र में उन्होंने सिल्क, लकड़ी और कपड़े से ग्लाइडर (फ्लाइंग मशीन) जैसा यंत्र बना और इस इच्छा को पूरा किया.
अब्बास इब्र फिरनास की थ्योरी पर अब तैयार हो रहे ग्लाइडर
'अब्बास इब्न फिरनास’ जिक्र इतिहासकार फिलिप हिती की किताब में किया गया है. इनका जन्म 810 ई में एक सामान्य परिवार में हुआ था. उन्होंने शुरू से ही पढ़ने की इच्छा थी और पढ़ लिखकर वो एक वैज्ञानिक बन गए. वो पहले ऐसे मुस्लिम वैज्ञानिक थे, जिन्होंने दुनिया के अंदर पहले स्थान पर आसमान में एक उड़ान उड़ी. उस युग में अब्बास ने लकड़ी से ग्लाइडर (फ्लाइंग मशीन) जैसा यंत्र का निर्माण किया. जब वो पूरी तरह से तैयार हो गया तो उन्होंने महज 65 साल की उम्र में आसमान में अपनी पहली उड़ान भरी. आज यह यह उड़ान इतिहास में दर्ज हो गई है. इनकी थ्योरी पर कई ऐसे यंत्र बने जो आज के युग में लोगों को आसमान की सैर करवा रहे हैं.
मस्जिद के मीनार से लगाई थी पहली उड़ान
किताब के अनुसार बता दें कि जब उन्होंने आसमान में उड़ान भरने को सोचा तो मस्जिद के मीनार पर चढ़ गए और वहां खड़े होकर बिना डरे छलांग लगा दी. जैसे ही उन्होंने छलांग लगाई और धरती की तरफ आए तो उनके यंत्र ग्लाइडर ने अपना काम करना शुरू कर दिया. धरती पर गिरने से पहले ही उन्होंने आसमान में उड़ना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने यंत्र से कई घंटे तक आसमान में सैर की और सफलता पूर्वक धरती पर बड़े ही आराम से आकर उतर गए.
एक उड़ान से दर्ज किया इतिहास
अब्बास को अपनी पहली उड़ान के साथ ग्लाइडर में कई खामियां देखने को मिली. उन्होंने आसमान से सैर के साथ ही पाया कि इसके अंदर क्या सुधार करने बाकी है. जब वो जमीन पर उतरे तो उन्होंने इसके अंदर कई सुधार किए और दूसरी उड़ान को उन्होंने पहली की उड़ान से अच्छे उड़े. उस जमाने में उन्होंने वो कर दिखाया जो आज तक कोई नहीं कर पाया.
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