बिहार सरकार की महत्वकांक्षी योजना सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल की शुरुआत 2015 में की गईं ताकि ग्रामीण इलाके के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराई जा सकें. इसके लिए PHED विभाग नें गांव-गांव हर घर पाइप लाइन बिछाया और वार्डवार पानी की टंकी मोटर और स्टार्टर समेत लगाएं गए, जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में तकरीबन दो से 3 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
जबकि मोटर खराब और स्टार्टर में आईं गड़बड़ी के कारण लोग धान बेचकर कुछ दिनों तक इसका मेंटिनेन्स कर अब थक हार गए है. लिहाजा इसके लिए सरकार की उदासीन रवैये को कोस रहे हैं.
बता दें कि सात निश्चय योजना के तहत नल के जल वाले नल से पानी नहीं मिलने के कारण लोग इसमें बकरियों को बांध रहे हैं. बदहाल पानी टंकी के पास आवारा पशुओं का आरामगाह बन गया है. एक ओर नल से टोटी गायब है, तो दूसरी ओर पाइप टूटे और अधूरे हैं.
ग्रामीणों और वार्ड सदस्य समेत मुखिया की शिकायत के बाद भी न तो PHED विभाग के जेई फोन उठाना मुनासिब समझते हैं और ना ही रख रखाव और देखरेख की कोई जिम्मेदारी समझते हैं.
बताया जा रहा है कि बगहा एक प्रखंड के महिपुर भथउड़ा पंचायत 15 वार्डों को मिलाकर करीब दस हजार की आबादी है. वहीं, रामनगर प्रखंड के औरहिया वार्ड न. 1 जो बगही सखुआनी पंचायत के अंतर्गत है.
तत्कालीन मुखिया और वार्ड सदस्य समेत देखरेख की जिम्मेदारी कनीय अभियंता को दी गईं. इधर एक से डेढ़ वर्ष के भीतर ज्यादातर जल मीनार बंद और बेकार पड़े हैं. वहीं, कुछ चालू हैं भी तो उससे पानी का लीकेज और स्वच्छ पेयजल आपूर्ति नहीं होने से अधिकांश जगहों पर पेयजल की किल्लत से लोग परेशान हैं.
दरअसल, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग बिहार सरकार के जिम्मे सात निश्चय योजना में हर घर नल का जल पहुंचाने की शुरुआत विगत 9 वर्ष पूर्व की गईं, जिसके लिए गांव के लोगों ने अपने अपने वार्ड में मुफ्त जमीन दी.
पश्चिम चम्पारण जिला के बगहा और रामनगर समेत गंडक दियारा के प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों में न तो नल की टोटी सही है और ना ही पानी सप्लाई के पाइप दुरुस्त हैं. दूसरी ओर कहीं मोटर जले पड़े हैं तो कहीं स्टार्टर में आईं खराबी के कारण जल मीनार महज शोभा बनकर रह गए हैं.
यह मामला बगहा एक प्रखंड के महिपुर भथउड़ा पंचायत समेत रामनगर प्रखंड के बगहि सखुआनी पंचायत के औरहिया दोन का है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़