बिहार की साड़ी पहनकर निर्मला सीतारमण पेश करेंगी बजट, मधुबनी पेंटिंग से है नाता
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बिहार की साड़ी पहनकर निर्मला सीतारमण पेश करेंगी बजट, मधुबनी पेंटिंग से है नाता

Union Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज आठवीं बार लगातार आम बजट पेश करने जा रही है, इस खास मौके पर उन्होंने पद्म श्री पुरस्कार विजेता दुलारी देवी को सम्मना देते हुए बिहार की मधुबनी कला का सम्मान करने वाली साड़ी पहनने का फैसला किया है.

 

बिहार की साड़ी पहनकर निर्मला सीतारमण पेश करेंगी बजट, मधुबनी पेंटिंग से है नाता

Union Budget 2025: मधुबनी: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से बजट के लिए साड़ी का चयन एक परंपरा बन गई है, जो फैशन से परे जाकर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हथकरघा परंपराओं का प्रतीक बन गई है. लगातार आठवीं बार बजट पेश करते हुए उन्होंने पद्म श्री पुरस्कार विजेता दुलारी देवी को सम्मना देते हुए बिहार की मधुबनी कला का सम्मान करने वाली साड़ी पहनने का फैसला किया है. सीतारमण ने पारंपरिक मधुबनी कला के अनुरूप काले, लाल और नारंगी धागों और सुनहरे बॉर्डर वाली मछली-थीम वाली ऑफ-व्हाइट हैंडलूम सिल्क साड़ी पहनी थी, जिसे लाल ब्लाउज के साथ पहना जाता है.

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बजट 2025 में मधुबनी कला का सम्मान
2025 के केंद्रीय बजट के लिए सीतारमण ने प्रसिद्ध मधुबनी कलाकार दुलारी देवी की तरफ से उपहार में दी गई साड़ी पहनी है. उन्होंने बिहार के मिथिला कला संस्थान में एक क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के दौरान पद्म श्री पुरस्कार विजेता से मुलाकात की, जहां दुलारी देवी ने उनसे बजट दिवस पर साड़ी पहनने का अनुरोध किया. इस साड़ी को चुनकर सीतारमण ने भारत की कलात्मक विरासत का जश्न मनाया, साथ ही अर्थव्यवस्था में ग्रामीण कारीगरों और हस्तशिल्प की भूमिका को भी स्वीकार किया. सीतारमण की साड़ियों के चयन में अक्सर क्षेत्रीय हथकरघा परंपराओं, आर्थिक प्राथमिकताओं और सांस्कृतिक प्रतीकवाद की झलक मिलती है.

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कौन हैं दुलारी देवी, जानिए
दुलारी देवी को बिहार में मधुबनी कला की रक्षा, संरक्षण और उनके काम के लिए 2021 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. मधुबनी के रांटी गांव की दुलारी देवी का जन्म दलित जाति में हुआ था. रिपोर्ट के अनुसार, उनकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी, लेकिन मधुबनी पेंटिंग कलाकार महासुंदन देवी के घर में घरेलू नौकरानी के रूप में काम करते हुए उन्होंने मधुबनी पेंटिंग सीखी. महासुंदरी देवी ने दुलारी को एक अन्य कलाकार से मिलवाया. उनका काम ज्यादातर मधुबनी पेंटिंग से बना था, जिसे मिथिला कला भी कहा जाता है.

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