महाकुंभ में तैयार होगी नागा साधुओं की फौज, इतिहास जानकर हर भारतीय को होगा गर्व
Advertisement
trendingNow12600030

महाकुंभ में तैयार होगी नागा साधुओं की फौज, इतिहास जानकर हर भारतीय को होगा गर्व

अरब देशों में महाकुंभ की धूम आपने देखी, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि, सनातन के इस महापर्व में हिंदू संस्कृति और धर्म ध्वजा की रक्षा के लिए कमांडो भी तैयार हो रहे है. वो भी एक या दो या कुछ सौ नही बल्कि पूरे 6 हजार.

महाकुंभ में तैयार होगी नागा साधुओं की फौज, इतिहास जानकर हर भारतीय को होगा गर्व

अरब देशों में महाकुंभ की धूम आपने देखी, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि, सनातन के इस महापर्व में हिंदू संस्कृति और धर्म ध्वजा की रक्षा के लिए कमांडो भी तैयार हो रहे है. वो भी एक या दो या कुछ सौ नही बल्कि पूरे 6 हजार. हिंदू सनातन संस्कृति के इन प्रहरीयो को तैयार कर रही है अखाडा परिषद.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने 6 हजार नागा साधुओं की नागा फोर्स तैयार करने का ऐलान किया है. इस नागा कमांडो फोर्स का एक ही लक्ष्य होगा सनातन की रक्षा अखाड़ा परिषद का दावा ये कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है. उससे निपटने के लिए नागाओं की ये सनातन सेना बनाई जा रही है.

नागा साधु परंपरा का इतिहास 

नागाओ का इतिहास सदियों पुराना है. सनातन धर्म ग्रंथों में, धर्म ध्वजा के इन रक्षकों का स्वर्णिम इतिहास दर्ज है. औरंगजेब से लेकिर अब्दाली तक हर आक्रांता को सनातन के इन प्रहरियों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है.

वर्ष 1757 में नागा साधुओं ने मुस्लिम आक्रांता अहमद शाह अब्दाली से धर्मयुद्ध लड़ा था. 3 हजार नागा साधुओं ने 30 हजार अफगानी सैनिकों को हराया था. युद्ध में दो हजार नागा साधु वीरगति को प्राप्त हुए थे.

वर्ष 1666 में हरिद्वार कुंभ मेले में औरंगजेब के सैनिकों ने हिंदू संतों पर हमला करने की जुर्रत की थी. इस दौरान नागा साधुओं ने मुगल सेना का डटकर मुकाबला किया था, जिससे औरंगजेब के सैनिकों को भागना पड़ा था.

वर्ष 1664 में औरंगजेब की सेना ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था, इस दौरान नागा फौज ने औरंगजेब की सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था. जिसे नाम दिया गया बैटल ऑफ ज्ञानवापी

साधु के वेष में कमांडो हैं. ये संतों के भेष में धर्म योद्धा हैं. ये सनातन के रक्षक हैं. धर्म के संरक्षक हैं. ये हिंदू सनातन संस्कृति के प्रहरी हैं. जैसे सरहद की निगहबानी में जुटे हैं देश के वीऱ जवान. एलएसी से लेकर एलओसी तक तैनात है भारतीय सेना के रणबांकुरे. वैसे ही धर्म के रक्षक है ये नागा साधु. रंग-ढंग, भेष-भाषा साधु-संतों वाली है. लेकिन शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र संचालन में भी पारंगत होते हैं नागा साधु.

इन्होंने जिम्मा संभाला है धर्म ध्वज़ा की रक्षा का, सनातन की प्रतिष्ठा का और इस बार के महाकुंभ में 6 हजार नागा बाबा की फौज तैयार करने की योजना है. मतलब नागा साधुओं के फौज बढ़ने वाली है. छह हजार की नागा फौज बनाकर, वन में भेजे जाएंगे. लेकिन सवाल ये है कि आखिर क्यों पड़ी नागा फौज बढ़ाने की जरूरत

धर्म रक्षा का वचन

अखाड़ा परिषद का मानना है कि नागा फौज में बढोतरी की जरूरत है. क्योंकि सनातन और समाज दोनों की रक्षा के लिए नागा फोर्स अहम है. भारत में बांग्लादेश जैसे हालात न बने इसलिए बडी नागा फोर्स की तैयारी है. लेकिन धर्म ध्वजा और सनातन के इन रक्षकों का चुनाव कैसे होता है. शैव पंथ यानी भगवान शिव को मानने वाले होते हैं नागा साधु. जमीन ही इनका बिस्तर है. आकाश इनकी चादर और शरीर पर लिपटी मसान की भस्म इनका वस्त्र. ये वो संन्यासी होते हैं जो समाज से लेते तो कुछ नहीं हैं, लेकिन देते हैं धर्म रक्षा का वचन.

नागा साधु परंपरा का इतिहास हजारों साल पुराना है. पुराणों में ये जानकारी मिलती है कि द्वापर युग में वेद व्यास ने संगठित संन्यासी परंपरा की शुरूआत की थी. पहली जानकारी के मुताबिक, आदि गुरू शंकराचार्य ने ही नागा साधु परंपरा और इनकी सशस्त्र सेना का सूत्रपात किया था. तब से नागा साधुओं की फौज सनातन संस्कृति की प्रहरी बनी हुई है.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news