भारत की एक अरबवीं बच्ची सेना में पहुंची, इस साल मनाएंगी 25वां बर्थडे, आस्था अरोड़ा की कहानी
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भारत की एक अरबवीं बच्ची सेना में पहुंची, इस साल मनाएंगी 25वां बर्थडे, आस्था अरोड़ा की कहानी

India billionth baby: आस्था का कहना है कि उनका जीवन केवल एक आंकड़ा नहीं है. वह उन विशेष उपलब्धियों को मनाना पसंद करती हैं जो उनके व्यक्तिगत जीवन में आई हैं. जैसे कि 11 मई 2025 को उनका 25वां जन्मदिन मनाया जाएगा.

भारत की एक अरबवीं बच्ची सेना में पहुंची, इस साल मनाएंगी 25वां बर्थडे, आस्था अरोड़ा की कहानी

Aastha Arora story: नया साल मुबारक हो. 2025 का पहला दिन नई उम्मीदों और सपनों को लेकर आया है. इसी कड़ी में हम आपको उस लड़की की कहानी सुनाते हैं, जिसने 11 मई 2000 को जन्म लेते ही देश को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर पार करने में अपना नाम दिया. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जन्मी आस्था अरोड़ा को उनके जन्म के कुछ ही घंटों बाद भारत की एक अरबवीं बच्ची घोषित किया गया. इसी के साथ भारत सौ करोड़ की आबादी वाले देशों के क्लब में शामिल हो गया था, जहां पहले केवल चीन मौजूद था. आखिर वो बच्ची अब कहां है आइए जानते हैं.

आस्था अरोड़ा: अरबवीं बच्ची से सेना की नर्स तक
दरअसल, आस्था आज 25 साल की हो चुकी हैं और भारतीय सेना में नर्सिंग लेफ्टिनेंट के रूप में गुवाहाटी के एक बेस अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रही हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके परिवार के लिए यह सफर केवल अरबवीं बच्ची के आंकड़े से आगे बढ़कर गर्व और प्रेरणा का विषय बन चुका है. आस्था का जीवन संघर्षों, उपलब्धियों और सपनों से भरा रहा है.

परिवार की नजर में आस्था
रिपोर्ट के मुताबिक आस्था के पिता अशोक अरोड़ा, जो दिल्ली में एक किराने की दुकान चलाते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी का जन्म एक ऐतिहासिक क्षण था. जब अस्पताल ने आस्था को अरबवां बच्चा घोषित किया, तो हमारे परिवार को अचानक मिली प्रसिद्धि से सब कुछ बदल गया. हालांकि उनका एक दर्द यह भी है कि हमें वादे तो कई मिले, लेकिन उनमें से ज्यादातर पूरे नहीं हुए.

आस्था की मां अंजना अरोड़ा ने कहा कि आस्था ने हमेशा अपने जीवन को मेहनत और लगन से संवारा है. वह छोटी उम्र से ही अपने सपनों को लेकर स्पष्ट थी और दूसरों की मदद करना चाहती थी.

सरकारी वादे और अधूरे सपने
आस्था के जन्म के समय उनके परिवार को मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य सुविधाओं का वादा किया गया था. लेकिन वादों का यह सिलसिला केवल कागजों तक ही सीमित रह गया. उनके पिता कहते हैं कि हमने कभी कुछ मांगा नहीं, लेकिन जो वादा किया गया था, वह भी पूरा नहीं हुआ. हमें केवल UNFPA से 2 लाख रुपये की राशि मिली. जब आस्था को इलाज की जरूरत पड़ी, तो हमें सफदरजंग अस्पताल में कोई विशेष सुविधा नहीं मिली.

संघर्षों का सफर और सफलता
आस्था के जीवन में संघर्ष कभी खत्म नहीं हुए. 10वीं के बाद उन्हें निजी स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में दाखिल करवाया गया. यह बदलाव उनके लिए कठिन था, लेकिन उन्होंने इसे अपने सपनों के रास्ते में बाधा नहीं बनने दिया. चार साल की नर्सिंग की पढ़ाई के बाद आस्था ने सेना की परीक्षा पास की और आज वह न केवल अपने परिवार बल्कि देश के लिए भी गर्व का प्रतीक बन चुकी हैं.

जीवन केवल एक आंकड़ा नहीं..
आस्था का कहना है कि उनका जीवन केवल एक आंकड़ा नहीं है. वह उन विशेष उपलब्धियों को मनाना पसंद करती हैं जो उनके व्यक्तिगत जीवन में आई हैं. जैसे कि 11 मई 2025 को उनका 25वां जन्मदिन, जिसे वह अपनी पसंदीदा बी-प्राक संगीत पर डांस करके मनाने की योजना बना रही हैं. इसके अलावा, उनके लिए एक और महत्वपूर्ण क्षण था जब उन्होंने एक सैनिक की मदद की, जिसे एक सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें आई थीं, और सैनिक ठीक हुआ. 

परिवार के सपने और प्रेरणा
रिपोर्ट के मुताबिक आस्था के भाई मयंक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा किया है. हमारे पिता सेना में जाना चाहते थे, लेकिन शारीरिक कारणों से ऐसा नहीं हो सका. आस्था ने यह कर दिखाया. वह हमारी प्रेरणा है.

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