महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम से बीमारी का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, ऐसे में आपको थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है, जैसे ही जीबीएस की हल्के लक्षण नजर आएं, वैसे ही डॉक्टर को दिखाएं.
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Maharashtra GBS Tally Climbs To 205: महाराष्ट्र में सस्पेक्टेड और कंफर्म्ड केस मिलाकर गुलियन-बैरे सिंड्रोम के 2 और मामले सामने आए हैं. इसके साथ जीबीएस (GBS) का आंकड़ा 205 तक पहुंच गया है, ये जाकारी एक स्वास्थ्य अधिकारी ने दी. कंफर्म मामलों की संख्या 177 है, जिनमें से 20 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. गौरतलब है कि गुलियन-बैरे सिंड्रोम से मरने वालों की तादाद 8 है.
पुणे में सबसे ज्यादा मरीज
महाराष्ट्र में इस रेयर डिजीज के ज्यादातर मामले पुणे से ही आए हैं. हालांकि कुछ केस देश की आर्थिक राजधानी में मिले हैं. एक 53 साल के शख्स की मुंबई के एक अस्पताल में जीबीएस से भी मौत हो गई है, जो शहर में नर्व डिसऑर्ड के कारण पहली मौत है.
गुलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है?
गुलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) एक रेयर लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की इम्यूनिटी गलती से नर्व्स पर हमला करने लगती है. इससे मांसपेशियों की कमजोरी, सुन्नपन और कभी-कभी पूरी तरह से लकवा (पैरालिसिस) भी हो सकता है.
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण
इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और वक्त के साथ गंभीर हो सकते हैं इसके मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:-
1. हाथ-पैरों में झुनझुनी और सुन्नपन
ये शुरुआत में पैरों और हाथों में महसूस होता है और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल सकता है.
2. मांसपेशियों की कमजोरी
पहले पैरों में कमजोरी महसूस होती है, फिर ये ऊपर की ओर बढ़ सकती है, जिससे खड़े होने और चलने में कठिनाई होती है.
3. सांस लेने में दिक्कत
गंभीर मामलों में सांस लेने की मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं, जिससे वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है.
4. तेज धड़कन और ब्लड प्रेशर की गड़बड़ी
ये ऑटोनॉमिक नर्व सिस्टम पर असर डाल सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव और हार्टबीट की अनियमितता हो सकती है.
5. चेहरे और आंखों की मांसपेशियों पर असर
कुछ मामलों में चेहरे की नसें प्रभावित हो सकती हैं, जिससे बोलने, चबाने और देखने में दिक्कत होती है.
अपना रखें ख्याल
अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, खासकर किसी वायरल संक्रमण, फ्लू या डेंगू जैसी बीमारी के बाद, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. शुरुआती पहचान और सही इलाज से इस बीमारी के असर को कम किया जा सकता है.
(इनपुट-पीटीआई)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमें इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.