AAP Effect in Maharashtra: दिल्ली चुनावों में आप की हार के बाद शिवसेना यूबीटी और एनसीपी शरद पवार गुट की बीजेपी के खिलाफ रणनीति को तगड़ा झटका लगा है. भले ही आप महाराष्ट्र में कोई बड़ा वोट बैंक न रखती हो लेकिन उद्धव ठाकरे और शरद पवार केजरीवाल में कुछ उम्मीद देखते थे.
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Delhi elections 2025 Result: अब दिल्ली में जबकि आम आदमी पार्टी हार चुकी है तो राजनीतिक पंडित इस हार के प्रभावों का नफा नुकसान करने में जुट गए हैं. इसी कड़ी में कैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार का असर सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी तक सीमित नहीं है इस पर भी बात हो रही है. इस हार ने महाराष्ट्र की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है खासकर शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी. दिल्ली वो दोनों केजरीवाल के एक मजबूत सहयोगी थे. लेकिन अब दिल्ली में आप की हार से महाराष्ट्र में विपक्ष के लिए नया संकट खड़ा हो सकता है. आखिर कैसे?
महाराष्ट्र में आप और इंडिया गठबंधन की रणनीति
दरअसल दिल्ली चुनावों में आप की हार के बाद शिवसेना यूबीटी और एनसीपी शरद पवार गुट की बीजेपी के खिलाफ रणनीति को तगड़ा झटका लगा है. भले ही आप महाराष्ट्र में कोई बड़ा वोट बैंक न रखती हो लेकिन उद्धव ठाकरे और शरद पवार केजरीवाल को एक मजबूत नेता मानते थे जो बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को खुलकर चुनौती देने की क्षमता रखते थे. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट ने बताया कि कैसे पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र के इन क्षेत्रीय दलों और आप के बीच नजदीकियां बढ़ी थीं खासकर इंडिया गठबंधन बनने के बाद बढ़ीं.
अन्ना आंदोलन से 'आप' का महाराष्ट्र कनेक्शन
अगर देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल का महाराष्ट्र से पुराना नाता रहा है जो 2011 12 के 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आंदोलन से शुरू हुआ था. पुणे जिले के रालेगण सिद्धि से ताल्लुक रखने वाले अन्ना हजारे के नेतृत्व में चले इस आंदोलन में केजरीवाल ने अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन समय के साथ दोनों के रास्ते अलग हो गए. दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में अन्ना हजारे ने आप के खिलाफ बयान दिया और 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में जनता से आप को वोट न देने की अपील की.
कई मौकों पर देखा गया तालमेल..
आप और महाराष्ट्र के क्षेत्रीय दलों के बीच सहयोग का एक और उदाहरण तब देखने को मिला जब केंद्र सरकार ने दिल्ली में अफसरों की नियुक्ति और ट्रांसफर पर नियंत्रण के लिए एक नया कानून लाया था. उस समय केजरीवाल ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात कर उनका समर्थन मांगा था. इसके अलावा जब केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था तब भी शिवसेना यूबीटी और एनसीपी एसपी ने उनके समर्थन में प्रदर्शन किए थे. अब दिल्ली में आप की हार के बाद विपक्ष के इन बड़े नेताओं को एहसास हो रहा है कि बीजेपी को रोकने की उनकी रणनीति कमजोर पड़ सकती है.
क्या अब बीजेपी को मिलेगा और फायदा?
दिल्ली चुनावों में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद अन्य कई राज्यों में भी उसकी स्थिति मजबूत होती दिख रही है. हालांकि महाराष्ट्र तो बीजेपी आलरेडी जीत चुकी है. बीजेपी नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने दिल्ली में भी वही रणनीति अपनाई जो उसने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के खिलाफ अपनाई थी यानी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं को दबाव में लाना और फिर चुनावी जीत हासिल करना. हालांकि संजय राउत ऐसे बयानों के लिए मशहूर हैं.