क्या खट-खट की आवाज ही है भूकंप का आफ्टरशॉक? लगातार कितनी बार आते हैं झटके
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क्या खट-खट की आवाज ही है भूकंप का आफ्टरशॉक? लगातार कितनी बार आते हैं झटके

Earthquake News: इस बार भूकंप के दौरान लोग खट की आवाज से डरे हुए हैं. खट-खट की आवाज एक तरह से भूकंप आने के बाद आने वाले छोटे-छोटे झटके होते हैं जिन्हें आफ्टरशॉक कहा जाता है. इनकी पूरी ABCD आइए समझ लेते हैं.

क्या खट-खट की आवाज ही है भूकंप का आफ्टरशॉक? लगातार कितनी बार आते हैं झटके

Earthquake Aftershock: दिल्ली एनसीआर में एक बार फिर भूकंप  महसूस हुए हैं. लेकिन इस बार जो सबसे खतरनाक चीज सामने आई वह यह कि भूकंप आते ही खट-खट की आवाज सुनाई दी. यह घटना सोमवार सुबह-सुबह साढ़े पांच बजे हुई है. हालांकि किसी जान-माल की खबर नहीं है. लेकिन लोग इस खट-खट की आवाज से जरूर डरे हुए हैं. असल में खट-खट की आवाज एक तरह से भूकंप आने के बाद आने वाले छोटे-छोटे झटके होते हैं जिन्हें आफ्टरशॉक कहा जाता है. ये झटके मुख्य भूकंप के बाद कुछ मिनटों, घंटों, दिनों या यहां तक कि हफ्तों तक भी आ सकते हैं. आफ्टरशॉक्स की तीव्रता आमतौर पर मुख्य भूकंप से कम होती है. लेकिन कभी कभी ये इतने तेज हो सकते हैं कि दोबारा नुकसान पहुंचा सकें. 

आफ्टरशॉक्स क्यों आते हैं?

असल में वैज्ञानिकों के अनुसार आफ्टरशॉक्स मुख्य भूकंप के दौरान जमा हुई ऊर्जा के धीरे धीरे मुक्त होने की प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. आफ्टरशॉक्स क्यों आते हैं. इसे समझने के लिए भूकंप की प्रक्रिया को समझना जरूरी है. जब टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच तनाव के कारण कोई बड़ा भूकंप आता है तो जमीन में दरारें पड़ जाती हैं और आसपास के इलाकों में दबाव असंतुलित हो जाता है. यही असंतुलन आफ्टरशॉक्स के रूप में सामने आता है. जब धरती नई स्थिति में संतुलन बनाने की कोशिश करती है. आफ्टरशॉक्स मुख्य रूप से उसी क्षेत्र में आते हैं जहां मुख्य भूकंप हुआ था लेकिन कभी कभी आसपास के इलाकों में भी इनका असर देखा जाता है.

आफ्टरशॉक्स से होने वाले नुकसान

एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि आफ्टरशॉक्स से होने वाले नुकसान की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि मुख्य भूकंप कितना शक्तिशाली था और उसका प्रभाव कितनी दूर तक फैला था. अगर कोई इमारत पहले ही भूकंप से कमजोर हो चुकी है तो आफ्टरशॉक्स के झटके उसे पूरी तरह गिरा सकते हैं. यही कारण है कि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आफ्टरशॉक्स के बाद भी सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आफ्टरशॉक्स के पैटर्न का अध्ययन करके भविष्य में आने वाले बड़े भूकंपों के बारे में कुछ अनुमान लगाया जा सकता है.

धीरे धीरे कमजोर होते जाते हैं आफ्टरशॉक्स

यह भी समझना जरूरी है कि वैज्ञानिक और आपदा प्रबंधन एजेंसियां आफ्टरशॉक्स की निगरानी करती हैं और लोगों को सुरक्षित रहने के उपाय बताती हैं. आफ्टरशॉक्स के दौरान खुले स्थानों में रहना, क्षतिग्रस्त इमारतों से दूर रहना और किसी मजबूत संरचना के नीचे शरण लेना जरूरी होता है. आमतौर पर आफ्टरशॉक्स धीरे धीरे कमजोर होते जाते हैं लेकिन कुछ मामलों में वे लंबे समय तक भी आ सकते हैं. ऐसे में सतर्कता और जागरूकता से ही जान माल के नुकसान को कम किया जा सकता है.

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