US Election Result Date: अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दौड़ अब अंतिम चरण में है. उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी जंग में बाजी मारने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. मतदाताओं को लुभाने के लिए एक-दूसरे पर तीखे हमले भी कर रहे हैं. वैसे तो अमेरिका में 5 नवंबर को चुनाव होना है, लेकिन परिणाम आने में देरी हो सकती है. आइए जानते हैं आखिर क्या है इसके पीछे वजह.
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US Presidential Election Result Date: 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है. व्हाइट हाउस की दौड़ अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है. वोटों की गिनती कब होगी, परिणाम कब आएंगे इस बात पर सभी की नजरें टिकी हैं. लेकिन इस बार भी 2020 की तरह राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने में देरी हो सकती है. जानें इसकी वजह.
क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में क्यों हो सकती है देरी?
अमेरिका में मतदान भारत से अलग तरीके से होता है. भारत में लोकसभा चुनाव हर राज्य में एक ही समय पर होता है, कुछ क्षेत्रों को छोड़कर जहां सुरक्षा एक मुद्दा हो सकता है. अमेरिका देश में छह समय क्षेत्र होने के कारण विभिन्न राज्यों में मतदान अलग-अलग समय पर होता है. जिसकी वजह से हर राज्य में मतदान करने का समय भी बदल जाता है. इसके अलावा एक वजह यह भी है कि लगभग हर राज्य कई सप्ताह पहले व्यक्तिगत रूप से मतदान या मेल द्वारा मतदान की अनुमति दे देते हैं. आमतौर पर इंडियाना और केंटकी की कुछ काउंटियों में शाम 6 बजे ईटी पर मतदान बंद हो जाता है, और अलास्का जैसे राज्यों में 6 नवंबर को आखिरी मतदान सुबह 1 बजे ईटी पर बंद हो जाएगा.
मतदान के बाद क्या होता है?
अमेरिकी चुनावों में चुनाव के दिन मतदान बंद होते ही मतगणना शुरू हो जाती है, जिसमें राज्य और स्थानीय अधिकारी वोट एकत्र करते हैं और उनका सत्यापन करते हैं. चुनाव कार्यकर्ता व्यक्तिगत रूप से मेल-इन और शुरुआती वोटों का मिश्रण संभालते हैं, जिन्हें फिर काउंटी और राज्य स्तर पर एकत्र किया जाता है. एक बार वोटों की गिनती सत्यापित हो जाने के बाद राज्य के अधिकारी परिणामों को प्रमाणित करते हैं. अमेरिका में 6 नवंबर (भारतीय समय के मुताबिक) को वोटिंग होनी है. इससे पहले अमेरिका के कई हिस्सों में शुरुआती मतदान जारी है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक मंगलवार तक करीब 1.50 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी वोट डाल चुके हैं. यह वोटिंग 47 से ज्यादा राज्यों में मेल (डाक) के जरिए हुई है.
इलेक्टोरल वोटों का नियम-कानून
अमेरिका एक इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली का पालन करता है, जिसका अर्थ है कि मतदाता सीधे राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते हैं, बल्कि प्रत्येक राज्य में मतदाताओं के एक समूह के लिए अपना वोट डालते हैं जो राज्य के लोकप्रिय वोट के आधार पर औपचारिक रूप से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं.
538 में से 270 इलेक्टोरल वोट की जरूरत
राष्ट्रपति पद जीतने के लिए किसी उम्मीदवार को 538 में से 270 इलेक्टोरल वोट की आवश्यकता होती है. प्रत्येक राज्य को इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की एक विशिष्ट संख्या सौंपी जाती है, जो उसकी जनसंख्या के अनुपात में होती है. नेब्रास्का और मेन दो ऐसे राज्य हैं जो इस प्रणाली का पालन नहीं करते हैं. इलेक्टोरल कॉलेज के निर्वाचक 12 दिसंबर के बाद पहले सोमवार को अपने राज्य की राजधानी में औपचारिक रूप से अपने इलेक्टोरल वोट डालते हैं. फिर ये वोट सीनेट के अध्यक्ष को भेजे जाते हैं. 6 जनवरी, 2025 को, कांग्रेस का एक संयुक्त सत्र इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती और प्रमाणन के लिए मिलता है, जो औपचारिक रूप से मतदान प्रक्रिया का समापन करता है.
क्यों हो जाती है देरी
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में इलेक्टोरल वोटों की गिनती के लिए राज्यों के अपने अलग-अलग विधान हैं. प्रत्येक राज्य में मतगणना के लिए अलग-अलग डेट निर्धारित हैं. इन मामलों में राज्यों को छूट प्रदान की गई है. अमेरिका के कई राज्य मतदान के दिन ही चुनाण परिणाम घोषित कर देते हैं, जबकि कुछ राज्यों में वोटिंग के कुछ दिन बाद तक मतगणना का कार्य कर सकते हैं. नॉर्थ कैरोलिना, एरिजोना, जॉर्जिया, नेवादा और पेंसिलवानिया ऐसे राज्यों में शामिल हैं, जहां मतगणना का कार्य एक सप्ताह तक चल सकता है. यह संवैधानिक है. राज्यों के पास अनुपस्थित मतपत्र प्राप्त करने पर भी अलग-अलग समय सीमाएं हैं, विशेष रूप से सैन्य या विदेशी नागरिकों से आने वाले मतपत्रों के लिए.
मेल इन वोटिंग, प्री वोटिंग प्रक्रिया के चलते चुनाव परिणामों में हो सकती है देरी
मेल इन वोटिंग और प्री वोटिंग जरिए इस बार भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिकॉर्ड मतदान हुआ है. जिन राज्यों में मेल इन वोटिंग ज्यादा हुई होगी, वहां मतगणना के कार्य में देरी हो सकती है. मेल इन वोटिंग की प्रक्रिया के कारण चुनाव परिणाम आने में विलंब हो सकता है. दरअसल, मेल इन वोटिंग से डाले गए मतपत्रों की बारीकी से जांच की जाती है. प्रत्येक मतों को मतदाता के पहचान पत्र से मिलान किया जाता है. इसके बाद यह मत वैध माना जाता है. यह प्रक्रिया काफी जटिल और चुनाव में देरी पैदा करती है.
अब परिणाम पर पूरी दुनिया की नजरें
इस चुनावी मुकाबले और उसके नतीजों पर अमेरिका के लोगों की ही नहीं बल्कि भारत समेत दुनिया के कई देशों की नजरें भी लगी हैं. क्योंकि, अमेरिका का नया राष्ट्रपति और उसकी नीतियां दुनिया के कई बड़े फैसलों को प्रभावित करेंगी. माना जा रहा है कि दुनिया में चल रहे दो बड़े युद्धों का रुख भी तय करेंगी.