Chabahar Port Update: दुनिया का दादा बनने की कोशिश कर रहे चीन और उसके प्यादे पाकिस्तान को भारत ने एक बार फिर करारी पटखनी दे दी है. भारत ने एक ऐसा काम कर डाला है कि दोनों देश हैरान-परेशान हैं.
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India Iran Chabahar Port Agreement: एशिया का बाहुबली कौन है, इसे लेकर भारत और चीन के बीच दबदबे की जंग जारी है. चीन ने दुनिया के दूसरे दूसरे पर आर्थिक वर्चस्व को बढ़ाने के लिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएवेटिव (BRI) लॉन्च किया था. इसके जरिए वह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कमजोर देशों को लोन देकर वहां पर सड़क, पुल, बंदरगाह जैसी ढांचागत सुविधाओं का निर्माण कर रहा है, जिससे उसका माल दुनियाभर में निर्बाध पहुंच सके. लेकिन अब भारत ने कुछ ऐसा कर दिया है कि न केवल चीन की सिट्टी-पिट्टी गुल है बल्कि पाकिस्तान भी हैरानी में भरा है. अगर भारत का दांव कामयाब रहा तो वह न केवल चीन के आर्थिक साम्राज्य को बांध देगा बल्कि दुनिया से उसका दबदबा खत्म करने की शुरुआत भी कर देगा.
भारत- ईरान में चाहबहार पर हुआ समझौता
भारत और ईरान ने चाहबहार बंदरगाह के विकास के लिए आज 10 वर्षीय समझौते को आखिरी मंजूरी दे दी. भारत की ओर से केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और ईरान के शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. दोनों देशों के बीच यह समझौता भारत के लिए कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच सोनोवाल के वायुसेना के स्पेशल प्लेन से तेहरान भेजा गया.
समझौते के बाद क्या बोले सर्बानंद सोनोवाल?
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, पीएम मोदी के नेतृत्व में, 23 मई, 2016 को चाहबहार पर अहम समझौता हुआ था. आज वह समझौता दीर्घकालिक कॉन्ट्रेक्ट के रूप में तब्दील हो रहा. यह भारत और ईरान के बीच बढ़ते स्थाई विश्वास और साझेदारी को दिखाता है. आज हमने चाहबहार के शाहिद-बेहिश्ती पोर्ट टर्मिनल के संचालन के लिए दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर होते देखा. इस कॉन्ट्रेक्ट के तहत भारत इस टर्मिनल पर कार्गो संचालन, मेनटिनेंस और उपकरणों की सप्लाई करेगा.
#WATCH | Union Minister of Ports, Shipping and Waterways Sarbananda Sonowal says, " Under the leadership of PM Modi, the momentous agreement that began on 23rd May, 2016, is culminating today into a long term contract, symbolising the enduring trust and depending partnership… https://t.co/uoV2yeUYVg pic.twitter.com/qDMSxxbwcC
— ANI (@ANI) May 13, 2024
दोनों देशों ने हल कर लिया अहम मुद्दा
सूत्रों के मुताबिक इस कॉन्ट्रेक्ट पर पिछले 3 साल से बातचीत चल रही थी. हालांकि एक क्लॉज पर जाकर यह बातचीत अटक जा रही थी. यह क्लॉज मध्यस्थता से जुड़ा है. इसके तहत अगर दोनों देशों के बीच कॉन्ट्रेक्ट को लेकर कभी विवाद पैदा हो जाए तो इसकी मध्यस्था कौन करेगा और केस किस देश में दर्ज किया जा सकेगा.
ईरान का कहना था कि उसके संविधान में मध्यस्थता से जुड़े मामलों को विदेशी अदालतों में नहीं ले जाया जा सकता. यह केवल संवैधानिक संशोधन के जरिए ही हो सकता है, जो कि बेहद मुश्किल है. अब इस पेंच को दोनों देशों ने कैसे सुलझाया, इसकी जानकारी फिलहाल बाहर नहीं आ पाई है. हालांकि ईरानी अधिकारियों का कहना है कि इस मुद्दे को आपसी सहमति से हल कर लिया गया है.
10 साल बाद ऑटोमेटिक हो जाएगा रिन्यू
सबसे अहम बात ये है कि यह दीर्घकालिक समझौता फिलहाल 10 वर्षों के लिए वैध होगा. हालांकि 10 साल के बाद यह ऑटोमेटिकली रिन्यू हो जाएगा. आप इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि चाहबहार अब भारत का हो गया है. अगर दोनों देशों में कोई बड़ा विवाद नहीं होता है तो निरंतर भारत ही इसे संचालित करेगा. विदेश में भारत की ओर से ऑपरेट किया जाने वाला यह बंदरगाह बन गया है. भारत की ओर से इस बंदरगाह का संचालन इंडिया ग्लोबल पोर्ट्स लिमिटेड (IGPL) करेगी.
चीन- पाक को लगा करारा झटका
बताते चलें कि दोनों देशों के बीच यह समझौता ऐसे वक्त में हुआ है, जब चीन ईरान में बंदरगाहों और अन्य तटीय बुनियादी ढांचे में निवेश में अधिक रुचि दिखा रहा है. आर्थिक प्रतिबंधों से जूझ रहा ईरान खुद भी बीजिंग पर चाबहार बंदरगाह पर अन्य टर्मिनलों के विकास के लिए कह चुका है. ऐसे में भारत का यह रणनीतिक कदम चीन और उसके बगलबच्चे कहे जाने वाले पाकिस्तान के लिए करारा झटका माना जा सकता है.
चाहबहार समझौता क्यों है अहम?
यह समझौता इसलिए अहम अहम है क्योंकि भारत और ईरान, दोनों मुल्क चाबहार को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर (INTC) का केंद्र मानते हैं. इसके लिए भारत और ईरान अपने माल को अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशिया से होते हुए रूस और यूरोप तक भेज सकता है. भारत के लिए यह कॉरिडोर इसलिए अहम है, क्योंकि इसके जरिए वह दुनिया को BRI का विकल्प मुहैया करवाकर चीन की तेज प्रगति पर ब्रेक लगा सकता है. साथ ही भारत का व्यापार बढ़ाकर उसे दुनिया की टॉप -3 अर्थव्यवस्थाओं में पहुंचा सकता है.
IGPL के हाथ में बंदरगाह की बागडोर
भारत की ओर से चाहबहार बंदरगाह का संचालन इंडिया ग्लोबल पोर्ट्स लिमिटेड (IGPL) कर रही है. वर्ष 2018 में इस बंदरगाह का संचालन शुरू करने के बाद वह अब तक ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राजील, जर्मनी, रूस और यूएई समेत विभिन्न देशों का 4.8 मिलियन टन से ज्यादा बल्क कार्गो डिलीवर कर चुका है. अब ईरान के साथ लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रेक्ट साइन होने के बाद भारत इस बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए और जी-जान से जुट जाएगा.
भारत ने ग्वादर को कर दिया संतुलित
भारत ने ईरान को वादा कर रखा है हि वह इस बंदरगाह के विकास के लिए 100 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा, जिसमें से वह अब तक करीब 24 मिलियन डॉलर मूल्य की क्रेन और दूसरे उपकरण सप्लाई कर चुका है. यह समझौता भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान के Gwadar बंदरगाह पर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है.