Dynastic Politics: वंशवाद की राजनीति को सही ठहराने के लिए नेता कैसे घुमाकर पकड़ रहे कान?
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Dynastic Politics: वंशवाद की राजनीति को सही ठहराने के लिए नेता कैसे घुमाकर पकड़ रहे कान?

Uddhav Thackeray Statement: उद्धव ठाकरे ने बिना किसी लाग-लपेट के साफ कह दिया है कि हां वो अपने बेटे को सीएम बनाना चाहते हैं. इस खबर में समझते हैं कि राजनीतिक पार्टियां वंशवाद की राजनीति को सही ठहराने के लिए क्या दलीलें देती हैं.

Dynastic Politics: वंशवाद की राजनीति को सही ठहराने के लिए नेता कैसे घुमाकर पकड़ रहे कान?

Dynastic Politics In India: वंशवाद की राजनीति का आरोप बीजेपी और विपक्षी पार्टियां लंबे समय से एक-दूसरे पर लगा रही हैं. बीजेपी जहां कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरद पवार गुट) जैसी पार्टियों को वंशवादी पार्टियां बताती रही है. वहीं, ये पार्टियां भी बीजेपी में वंशवाद की राजनीति करने वाले नेताओं के होने का आरोप लगाती रही हैं. इस बीच, शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि हां वो अपने बेटे आदित्य ठाकरे को सीएम बनाना चाहते हैं. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी इसको अक्सर निशाना बनाती रहती है. हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इसको मुद्दा बनाया था. आइए समझते हैं कि किन पार्टियों और नेताओं पर वंशवाद के आरोप हैं और कैसे वे उसको सही ठहराते हैं.

'हां मैं बेटे को सीएम बनाना चाहता हूं'

द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, धारशिव की रैली में शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा कि हां, मैं अपने बेटे आदित्य ठाकरे को सीएम बनाना चाहता हूं. ये तब होगा जब आप उसे इस पोस्ट के लिए चुनेंगे. इसके साथ ही उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को चेताया कि वह अपनी रैलियों में उनके पिता बाला साहेब ठाकरे के फोटोज का इस्तेमाल ना करें. अगर हिम्मत है तो चुनाव अभियान में अपने पिता का फोटो दिखाएं.

वंशवाद पर अमित शाह की चोट

बता दें कि इससे पहले अमित शाह ने महाराष्ट्र की एक रैली में कहा था कि राहुल गांधी की लीडरशिप वाला इंडिया गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एकजुट हुआ है. ये सिर्फ वंशवादी महत्वाकांक्षाओं की पार्टियों का ग्रुप है. इसको देश में डेवलपमेंट या जनता की कोई चिंता नहीं है. इन पार्टियों में कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. वे भारत की डेमोक्रेसी को कैसे मजबूत कर सकते हैं. इसे कैसे विकसित कर सकते हैं और इसे कैसे आगे बढ़ा सकते हैं?

वंशवाद की पॉलिटिक्स में कौन-कौन?

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ये भी आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल गांधी को प्राइम मिनिस्टर बनाना चाहती हैं. उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सीएम बनाना चाहते हैं. वहीं, ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को मुख्यमंत्री बनाना चाहती हैं. एमके स्टालिन अपने बेटे उदयनिधि स्टालिन को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं.

किन बीजेपी नेताओं पर वंशवाद का आरोप?

दूसरी तरफ, विपक्ष शिवसेना (UBT) नेता अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि अमित शाह विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में वंशवाद होने का आरोप लगाते हैं, पर अपनी ही पार्टी में वंशवादी राजनीति पर ध्यान देना भूल गए. क्या जलगांव की अपनी रैली के मंच को उन्होंने नहीं देखा, जहां मौजूद उनकी पार्टी के कई नेता वंशवादी पॉलिटिक्स से हैं. वहां वंशवादी राजनीति के नेता के रूप में शोभा फडणवीस-देवेंद्र फडणवीस, गोपीनाथ मुंडे-पंकजा मुंडे, शंकर राव चव्हाण-अशोक चव्हाण और रावसाहेब दानवे-संतोष दानवे थे.

वंशवाद पर डबल स्टैंडर्ड

अंबादास दानवे ने एनडीए के साथी पार्टियों जैसे- अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी, जनता दल (सेक्यूलर) और राष्ट्रीय लोकदल को भी वंशवादी राजनीति वाली बताया और कहा कि ये सभी पार्टियां एक परिवार पर केंद्रित हैं. बीजेपी को इसपर भी जवाब देना चाहिए. आपके लिए जब तक ठाकरे आपके साथ थे, अच्छे थे लेकिन आपका विरोध कर रहे हैं तो वंशवादी राजनीति वाले हो गए. जनता ये डबल स्टैंडर्ड नहीं देख सकती. महाराष्ट्र में ये चालें नहीं चलेंगी.

क्या राजनीति एक परिवार से दो सदस्य वंशवाद है?

हालांकि, बीजेपी अपने नेताओं के ऊपर लगे वंशवाद के आरोपों को नकारती रही है. बीजेपी का कहना है कि अगर किसी राजनीतिक परिवार का सदस्य लंबे समय से पार्टी के लिए कार्यकर्ता की तरह काम कर रहा है तो उसे वंशवाद नहीं कह सकते. ऐसा कोई बंधन नहीं है कि एक परिवार से एक ही सदस्य राजनीति में हो सकता है. हालांकि, पार्टी के परिवार केंद्रित होने पर बीजेपी हमेशा से हमलावर रही है. लेकिन वंशवाद की राजनीति की बात जब भी होती है तो बीजेपी और विपक्ष दोनों दूसरे की कमीज ज्यादा गंदी होने की दुहाई देते रहते हैं.

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