China Economic Crisis: चीन की दादागिरी जगजाहिर है, लेकिन अमेरिका के टैरिफ वाले हंटर और खस्ताहाल इकोनॉमी ने उसकी इस धौंस को कम कर दिया है. टैरिफ के हंटर से डरा ड्रैगन अब अपनी सुस्त पड़ी इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए वो कर रहा है, जिसकी उम्मीद नहीं की जा थी.
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China Xi Jinping Close Door Meeting: चीन की दादागिरी जगजाहिर है, लेकिन अमेरिका के टैरिफ वाले हंटर और खस्ताहाल इकोनॉमी ने उसकी इस धौंस को कम कर दिया है. टैरिफ के हंटर से डरा ड्रैगन अब अपनी सुस्त पड़ी इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए वो कर रहा है, जिसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी. चीनी सरकार के बिजनेस और कारोबार पर दबदबे के किस्से किसी से छिपे नहीं है. चीन में दिग्गज कारोबारियों को दबाने और कारोबार में सरकारी दखल की खबरें आती रही हैं, लेकिन अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी ने चीन की हेकड़ी निकाल दी है. चीन के राष्ट्रपति अब अपने देश के कारोबारियों के साथ क्लोज डोर मीटिंग कर रहे हैं. खासकर टेक बिजनेसमैन के साथ सीक्रेट मीटिंग की जा रही है. इस मीटिंग में अलीबाबा के फाउंडर जैक मा जैसे दिग्गज कारोबारी भी शामिल हुए.
जिसे कभी लथाड़ा, अब उसी को दुलार
अलीबाबा के साथ शी जिनपिंग की बैठक इसलिए भी खास है, क्योंकि ये वही कारोबारी हैं, जिन्हें सालभर तक लापता कर दिया गया था. चीन के अरबपति और अलीबाबा के फ़ाउंडर जैक मा साल 2021 के अंत में अचानक गायब हो गए थे. हालांकि, कुछ समय बाद उन्हें दुनिया के अलग-अलग देशों में देखा गया. इसके बाद, वे फिर से चीन लौट आए. जैक मा ने चीन की सरकार की आलोचना की थी, जिसके बाद वो गायब हो गए थे. जैकमा की तरह ही चीन के कई कारोबारी गायब हो गए,लेकिन अब गेम पलट गया है. जो बिजनेसमैन चीन की सरकार की आंखों में खटर रहे थे, वो अब उनकी आंखों का तारा बनते जा रहे हैं, लेकिन सवाल ये कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि चीन की सरकार कारोबारियों का मान मनौव्वल कर रही है.
चीन की सरकार को सता रहा है कौन सा डर
चीन की शी जिनपिंग की सरकार काफी जतन कर चुकी है, लेकिन सुस्त इकोनॉमी को बूस्ट करने में सफल नहीं हो पा रही है. इकोनॉमी पहले से चरमराई हुई है, ऊपर से अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी ने उसमें आग में घी डालने का काम किया है. सत्ता में आते ही ट्रंप ने चीनी सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ बढ़ा दिया. ट्रंप के इस कदम से अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ना तय माना जा रहा है. इस बात से परेशान जिनपिंग ने अलीबाबा के फाउंडर जैक मा समेत चीन के दिग्गज कारोबारियों खासकर टेक बिजनेसमैन के संग क्लोज डोर मीटिंग की है. चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक इस क्लोज डोर मीटिंग में जिनपिंग ने भाषण दिया, लेकिन उसकी अधिकांश बातें बाहर नहीं आई है.
मीटिंग में क्या सब हुआ
मीटिंग में क्या हुआ, इसकी जानकारी तो सामने नहीं आई, लेकिन माना जा रहा है कि चीन अब अपने टेक दिग्गजों के दम पर अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है. चीनी AI स्टार्टअप DeepSeek ने जिस तरह से लॉन्चिंग के साथ ही अमेरिका में तबाही मचाई वो किसी से छिपा नहीं है. डीपसीक ने अमेरिका की टेक कंपनियों खासकर एआई के क्षेत्र में उसकी बादशाहत को कड़ी चुनौती दी है. जिनपिंग अब इसे ही हथियार बनाकर अमेरिका के टैरिफ वॉर का मुकाबला करने की तैयारी कर सकते हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जिनपिंग प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने की रणनीति अपना सकते हैं. चीनी टेक कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वो अमेरिका की टेक कंपनियों को चुनौती दे सके. खासकर डीपसीक एआई प्लेटफॉर्म ने चीनी सरकार का उत्साह बढ़ा दिया है. चीन के तकनीकी कंपनियों में नए अवसरों की उम्मीद जगी है. वहीं इस डीपसीक ने निवेशकों का भी उत्साह चीन की टेक कंपनियों की ओर खींचा है.
अलीबाबा के शरण में जिनपिंग
अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर गहराने के बाद शी ने अब निजी कंपनियों का रुख कर रहे हैं. चीन में अब तक जिन अरबपतियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, अब शी उनकी शरण में हैं. इस मीटिंग में अलीबाबा के को-फाउंडर जैक मा, CATL के रोबिन झेंग, श्याओमी के लेई जुन,बीवाईडी के वांग चुआनफू, यूनिट्री के वांग शिंगशिंग, Huawei के रेन झेंगफेई जैसे दिग्गज शामिल हुए. डीपसीक ने जिस तरह से दुनिया में कदम रखते ही हलचल मचा दी. चीन के एक छोटे से स्टार्टअप ने कम पैसे में इतना शक्तिशाली एआई मॉडल बनाया, जिसमें अमेरिका तक को हिला दिया. वहीं इसने चीन के शेयर मार्केट में भी तेजी ला दी. चीन के टेक सेक्टर को लेकर निवेशकों की रुचि बढ़ी. अब जिनपिंग सेमीकंडक्टर और एआई को बढ़ावा देना चाहता हैं. इसलिए अब तक जिन कारोबारियों पर चीन में कार्रवाई हो रही थी शी जिनपिंग अब उन्हीं निजी कंपनियों पर डोरे डाल रहे हैं.
क्यों निजी कंपनियों पर डोरे डाल रहे हैं जिनपिंग
चीन की सरकार ने हाल के वर्षों में निजी कंपनियों खासकर टेक सेक्टर की कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की, लेकिन ये उसकी बड़ी गलती साबित हुई.चीन की इकॉनमी इस समय कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है. रियल एस्टेट बुरे दौर से गुजर रहा है, बेरोजगारी चरम पर है, लोग पैसा खर्च करने के क्षमता खत्म हो रही है. अमेरिका के साथ तनाव ने इसे और बढ़ा दिया है. ऐसे में अब शी इकॉनमी को बूस्ट करने के लिए प्राइवेट कंपनियों पर डोरे डाल रहे हैं.
DeepSeek बना चीन का तारणहार , अमेरिका को चुनौती
जिस डीपसेक ने अमेरिकी कंपनियों को हिला कर रख दिया वो चीनी शेयर बाजार के लिए तारणहार बन रहा है. डीपसेक के लॉन्च होने के बाद से चीनी शेयर बाजार में 1.3 ट्रिलियन डॉलर की तेजी आ चुकी है. डीपसेक के जरिए चीन ने दिखा दिया है कि वो तकनीक के मामले में भी ताकतवर हैं. तकनीक के मामले में अमेरिका अपने आपको दिग्गज समझता है, खासकर AI के मामले में, लेकिन चीन के एक छोटे से स्टार्टअप ने अमेरिका की एआई कंपनियों को हिलाकर रख दिया. डीपसीक के लॉन्च के बाद अमेरिकी चिप मेकिंग कंपनी एनवीडिया (Nvidia) के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई. लॉन्च होते ही डीपसीक ने ऐपल के ऐप स्टोर पर पहला स्थान हासिल कर लिया. ओपनएआई के ChatGPT की टेंशन बड़ा दी. वहीं चीन की प्रमुख टेक और ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने भी ChatGPT-4 को चुनौती देने वाला नया AI मॉडल Qwen2.5-Max लॉन्च किया.