Movie Review: मोहब्बत के खेल का एक नया मगर तूफानी एक्सपेरिमेंट है 'लवयापा', देखने से पहले पढ़ लें रिव्यू
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Movie Review: मोहब्बत के खेल का एक नया मगर तूफानी एक्सपेरिमेंट है 'लवयापा', देखने से पहले पढ़ लें रिव्यू

Movie Review: आमिर खान के बेटे जुनैद खान और श्रीदेवी की छोटी बेटी खुशी कपूर की फिल्म 'लवयापा' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. अगर आप भी वीकेंड पर टाइम निकालकर या फर्स्ट डे का लास्ट शो देखने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले यहां एक बार इसका रिव्यू जरूर पढ़ लें.

Loveyapa Movie Review

निर्देशक: अद्वैत चंदन
स्टार कास्ट: जुनैद खान, खुशी कपूर, आशुतोष राणा, कीकू शारदा, कुंज आनंद, तन्विका पार्लीकर और ग्रुषा  कपूर आदि
कहां देख सकते हैं : थिएटर्स में
स्टार रेटिंग: 3.5

 
Loveyapa Movie Review: आमिर खान खुद तो कभी श्रीदेवी के साथ काम नहीं कर पाये लेकिन उनका बेटा श्रीदेवी की दूसरी बेटी ख़ुशी के साथ हीरो बनकर जरूर इस मूवी में आ गया है.  सोशल मीडिया के दौर में युवा पीढी किस तरह प्यार में घनचक्कर बन गई है, लवयापा में यही सब देखने को मिलेगा. स्काई फ़ोर्स की तरह इस मूवी का भी क्लाइमेक्स काफ़ी इमोशनल है और वही इस फ़िल्म की जान है.

 कहानी तो ट्रेलर में ही सामने आ गई थी, और तभी से लग रहा था कि कहीं ये मूवी भी हाल ही में आई अक्षय कुमार की मूवी ‘खेल खेल में’ का कुंवारा संस्करण ना हो, हालांकि मूल आइडिया मिलता जुलता है. यूं भी ये मूवी तमिल फिल्मकार प्रदीप रंगनाथन की 2022 में आई मूवी ‘लव टुडे’ का हिंदी रीमेक है और इसे इस मूवी की कास्टिंग में लिखा भी गया है. प्रदीप रंगनाथन इस फिल्म की कहानी से भी जुड़े हुए हैं. 

'लवयापा' की कहानी 

कहानी है कि कैसे अपनी बेटी का एक लड़के से बढ़ती दोस्ती को देखकर उसका पिता दोनों के सामने एक शर्त रख देता है कि 24 घंटे के लिए दोनों को एक दूसरे का फोन एक्सचेंज करना होगा. यहीं से शुरू हो जाती है दिलचस्प मुश्किलें और खुलने लगते हैं राज. हालांकि ‘खेल खेल में’ मूवी में एक दूसरे के केवल फोन कॉल सुनने तक था और मूवी फ्लैशबैक और उस रात के मेल जोल से आगे बढ़ी थी. लवयापा में इसे पूरा समय दिया गया है. 

कहानी के मूल किरदार हैं दिल्ली का आईटी सेक्टर में काम करने वाला पंजाबी मुंडा गौरव सचदेवा यानी बब्बू (जुनैद खान) और वाणी (खुशी कपूर). दोनों आज के युवाओं की तरह इंस्टाग्राम पर मिलते हैं और दोस्ती प्यार में बदलकर शादी की तरफ बढ़ने लगती है. दोनों ही कई लोगों से दोस्ती के बाद अब गंभीर हुए हैं, लेकिन वाणी के पिता अतुल (आशुतोष राणा) की फोन एक्सचेंज की शर्त से फंस जाते हैं और फिर शुरू होता है एक एक करके एक दूसरे की ह्वाट्स एप चैट से राज खुलने और माफी पर माफी मांगने या सफाई देने का दौर. 

लेकिन जब सामने आता है वाणी का आपत्तिजनक वीडियो तो खेल मजाक से आगे बढ़ जाता है. कहानी में और भी किरदार हैं हर समय वाणी से चिंता के नाम पर चिपका रहना वाला बचपन का दोस्त करण, उसके साथ कभी कभी लोंग ड्राइव जाने वाला दोस्त, गौरव की पुरानी दो एक्स और चार घनिष्ठ दोस्त. गौरव की बहन किरण की शादी एक मोटे युवा (कीकू शारदा) से हो रही थी, तो उनके बीच भी फोन को छुपाने को लेकर विवाद शुरू हो जाता है. 

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फिल्म में इमोशनल मोड और इफेक्ट 

ऐसे में कभी आमिर खान के लिए सीक्रेट सुपरस्टार और लाल सिंह चड्ढा जैसी फिल्में डायरेक्ट करने वाले अद्वैत चंदन ने बस एक बड़ा अक्लमंदी का काम किया कि पूरी फिल्म जब एक जैसी लाइन पर चल रही थी, अंत में उसे खासा इमोशनल कर दिया. शुरूआत में तो मूवी में काफी मजा आता है, लेकिन बाद में जिस तरह ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में घर बदलने के बाद आपसी नोंकझोंक चल रही थी, वैसा ही कुछ होने लगा. लेकिन लगातार ये जारी रहा तो बोरियत भी होने लगी. लगने लगा कि कई सींस को जानबूझकर खींचा जा रहा है. 

सिचुएशनल कॉमेडी पर फोकस

खासतौर पर गौरव की बहन की शादी को, लग रहा था रिसोर्ट शादी के लिए तीन दिन पहले नहीं बल्कि 1 महीना पहले बुक कर ली है और कई दिन केवल फोटो शूट के लिए ही रखे हैं. बावजूद अद्वैत ने इसे जल्द संभाल लिया. हालांकि मूवी नई उम्र के युवाओं को पसंद भी आएगी और उन्हें एक मैसेज भी देगी कि सब कुछ मोबाइल ही नहीं है, मोबाइल एक दो साल में बदल सकते हो, रिश्ते तो पालने पड़ते हैं. ऐसे में सिचुएशनल कॉमेडी पर फोकस किया गया है. चुटीले डायलॉग्स आपको हंसाते रह सकते हैं. 

एक बार तो देखने बनती है

ये भी सच है कि ये मूवी अपने क्राफ्ट से ज्यादा इस बात से चलेगी कि दोनों आमिर और श्रीदेवी के बच्चे हैं और थिएटर्स में युवाओं को खींचने के लिए ये काफी है. खुशी और जुनैद दोनों की ही ये दूसरी मूवी है और दोनों की ही एक्टिंग देखने पर ये साफ लगता है कि दोनों में अभी से वो प्रोफेशनलिज्म है, जो आम तौर पर नए कलाकारों में नहीं दिखता. ये जरूर लगा कि आशुतोष राणा का किरदार थोड़ा बड़ा होना चाहिए था, मूवी में अगर ‘जाने तू या जाने ना’ जैसा एक भी यादगार गाना होता तो और भी कमाल होती.

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