Chhaava Film फिल्म रिलीज होने से पहले विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना दिल्ली पहुंचे. इन दोनों ने दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फिल्म को लेकर बात की. इस दौरान कई खुलासे भी किए.
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Chhaava Film: विक्की कौशल ने 'छावा' के फिल्म प्रमोशन के दौरान कहा कि जब वो दिल्ली आते हैं तो सबसे ज्यादा चाहत यहां के छोले भटूरे की होती है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो आज गोलगप्पे खाकर आए हैं. विक्की को दिल्ली की डिशेज काफी पसंद आती है, इसलिए वो इस शहर में बार-बार आना पसंद करते हैं.
सवाल: छत्रपति संभाजी महाराज को सिनेमा के पर्दे पर उतारना कितना चैलेजिंग था?
डायरेक्टर Laxman Utekar: 'इस फिल्म का हर एक फ्रेम सिल्वर स्क्रीन पर उतारना चैलेजिंग था. इसके लिए हमने 4 साल की रिसर्च की, हजारों लोगों ने तकरीबन 100 दिनों तक फिल्म के लिए काम किया. हर किसी ने अपनी आत्मा इसमें लगा दी. जब ये फिल्म मेरे दिमाग में आई थी, तब मैं Dinesh Vijan सर (प्रोड्यूसर) के पास गया, उन्होंने बिना वक्त लगाए इसके लिए हामी भर दी, इसलिए मैं दीनू सर का शुक्रिया अदा करता हूं.'
Dinesh Vijan ने कहा, अगर नीयत सही तो, फिल्म बन जाती है, इससे प्योर नीयत वाली फिल्म मैंने नहीं बनाई है, जब लक्ष्मण ने इस फिल्म की कहानी सुनाई, तो वो इसमें खो गए थे. तो मैंने कभी ये नहीं सोचा कि ये फिल्म मैं नहीं बना सकता.
सवाल: विक्की कौशल जाने जाते हैं एक रियल लाइफ किरदार को प्ले करने के लिए, और वो ऐतिहासिक कैरेक्टर को काफी अच्छे से पर्दे पर उतारते हैं, तो ये किरदार आपके लिए कितना मुश्किल था, तो आप कैरेक्टर में इतने इंटर हो जाते थे, तब घर में कटरीना कैफ के सामने विक्की कौशल रहते थे, ता छावा का कैरेटर घूमता रहता था.
'मैंने इससे पहले कई बायोपिक किए हैं, और हर किसी में एक जिम्मेदारी का अहसास रहता है. छत्रपति संभाजी महाराज के साथ एक आस्था जुड़ी है, और उस आस्था के साथ आप खिलवाड़ नहीं कर सकते, इस किरदार को काफी जिम्मेदारी के साथ निभाना पड़ता है. दिनेश और लक्ष्मण सर ने तैयारी के लिए काफी वक्त दिया, चाहे 25 किलो वजन बढ़ाना हो, घुड़सवारी सीखना हो, तलवारबाजी सीखना हो, चाहे भाषा पर काम करना हो, हिस्ट्री के बारे में रिसर्च करना हो, तो बहुत मदद और वक्त मिला मुझे. संभाजी का कैरेक्टर निभाना इतना आसान नहीं था. लेकिन जब हम शूटिंग से घर आते थे, तो हर किसी को पर्सनल लाइफ के लिए काफी कम वक्त मिलता था, इतनी थकान होती थी, कि बिस्तर पर गिर जाते थे.
'चूंकि कटरीना और हम एक ही इंडस्ट्री से हैं, तो वो समझती हैं कि जब हम एक ऐसी इंटेस कैरेक्टर प्ले करते हैं, तो एक स्पेस की जरूरत होती है, कटरीना काफी काइंड, स्वीट और पेशेंट रहीं. मैं अपने फिल्म का कैरेक्टर घर लेकर नहीं आता हूं, हालांकि थोड़ा शांत हो जाता हूं, क्योंकि आपका दिमाग उसी जोन में रहता है.'
रश्मिका से सवाल: आपने रोमांटिक और एक्शन फिल्म दोनों में काम किया है. अगर फ्यूचर में मौका मिलता है, तो आप किस तरह की फिल्म करना चाहेंगी.
रश्मिका का जवाब: अगर मुझे मौका मिले तो मैं दोनों का कॉम्बिनेशन करना चाहूंगी. मुझे रोमांटिक फिल्में करने में मजा आता है, लेकिन मैं श्योर हूं कि मैं एक्शन में काफी अच्छी हूं.
डीएनए की रिपोर्टर गौरी खंडेलवाल का विक्की से सवाल: जब आप शूटिंग कर रहे थे, तो कभी ऐसा लगा कि आप अंदर से वॉरियर जैसा फील कर रहे थे, या फिर ऐसा लग रहा होगा कि मेरे अंदर योद्धा जैसी चीज आ गई है.
विक्की का जवाब: मुझे रोज ही वॉयरियर जैसी फीलिंग आती थी, वरना ये रोल प्ले करना मुमकिन नहीं होता, तो शूटिंग करते हुए वो फील करना जरूरी था, लक्ष्मण सर ने पहले दिन से लेकर आज तक बेहद प्यारी चीज की है, जिसने मुझे भरोसा दिलाया है कि मेरे अंदर काफी कॉन्फिडेंस है, वो पहले दिन से लेकर आज तक मुझे 'राजे' बुलाते हैं, मुझे मेरे नाम से नहीं बुलाते, इस बात ने मेरे अंदर गहराई तक इम्पैक्ट किया.
रश्मिका से सवाल: आपने छावा मूवी में काफी स्ट्रॉन्ग वूमेन का किरदार निभाया है, तो आपके हिसाब से आज के वक्त में असली क्वीन के क्या मायने हैं.
रिश्मिका का जवाब: मेरे लिए क्वीन का मतलब है कि आप अपने पास रहने वाले सभी लोगों की इज्जत करें, अपनी प्रजा से प्यार करें. यानी आपका बिहेवियर अच्छा और दयालु होना चाहिए. दया एक ऐसी चीज है जिसे उतनी तवज्जो नहीं दी जाती, लेकिन ये एक ऐसी क्वालिटी है जिसको एनकरेज करना चाहिए.
रश्मिका से सवाल: आपकी तैयारी कैसी रही, क्योंकि भाषा से लेकर कैरेक्टर प्ले करना आसान नहीं था
रश्मिका का जवाब: साउथ इंडियन होते हुए ऐसा किरदार निभाना मेरे लिए सरप्राइजिंग था, लेकिन जब मैं पहली बार लक्ष्मण सर से मिली, और उन्होंने कहानी सुनाई, मैंने ये फिल्म सिर्फ स्टोरी के लिए किया है. मैंने इसके लिए काफी तैयारी की, खासकर भाषा को लेकर, डायलेक्ट को लेकर भी काफी तैयारी हुई, क्योंकि वो महारानी है, तो ये इतना आसान नहीं था, मैंने इसके लिए कई महीने मेहनत की है.
वो फिल्म, जिसकी रिलीज से पहले हीरोइन को रखा गया था छिपाकर, वजह है शॉकिंग
विक्की कौशल से सवाल: जहां तक तैयारी का सवाल है, आपका ये रोल पिछले सभी रोल्स से कितना अलग था.
छावा हम सभी की पहली हिस्टॉरिकल पीरियड फिल्म है, मेरे लिए फिजिकैलिटी सबसे जरूरी थी, ताकी मैं उस कैरेक्टर तक पहुंच पाउं, मैं सैम बहादुर फिल्म पूरी करके छावा में आ रहा था, मैं बहुत पतला दुब्ला था, क्लीन शेव था, छोटे बाल थे, मुझे इसके पूरे उलट कैरेक्टर प्ले करना था. मुझे 25 किलो वजन बढ़ाना था, दाढ़ी-मूंछ भी बढ़ानी थी, बाल बढ़ाने थे, भाषा पर काम करना था. लक्ष्मण सर ने 3 शर्तें रखी थीं. मस्कुलर लगना चाहिए, घुड़सवारी आनी चाहिए, तलवार बाजी और सारे एक्शन रियल होने चाहिए, उसमे विएफएक्स का यूज नहीं करना था, तो पुख्ता ट्रेनिंग में 6 से 7 महीने लगे. ये बाकी बायोपिक्स से इसलिए अलग है, क्योंकि मैं महाराष्ट्र से पला बढ़ा हूं, इसलिए जानता हूं कि संभाजी को सिर्फ एक राजा नहीं, सिर्फ एक योद्धा नहीं, उनको भगवान मानते हैं, इसलिए जिम्मेदारी आती है, तो सीरियसनेस आ जाती है.
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