Khushwant Singh: खुशवंत सिंह देश के उन लेखकों-पत्रकारों में थे, जिनकी लिखी बात आम आदमी पढ़ता-समझता था. वह साधारण पाठकों से लेकर फिल्मी सितारों तक, वह सबमें लोकप्रिय थे. अपनी जिंदादिली के लिए मशहूर खुशवंत सिंह का यह किस्सा एक्ट्रेस नर्गिस से जुड़ा है...
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Nargis: खुशवंत सिंह जब तक जिंदा रहे, तब तक अखबारों में उनके कॉलम का लोग इंतजार किया करते थे. वह सरकारी सेवा में उच्च पदों पर रहे और उसके बाद पत्रिकाओं और अखबारों के संपादक के रूप में काम किया. उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखे. वह देश के सेलेब्रिटी लेखक थे और उस ऊंचाई तक पहुंच पाना आज भी किसी लेखक के लिए संभव नहीं हो पाया है. खुशवंत सिंह की खूबी उनकी खुशमिजाजी-जिंदादिली थी और वह चुटीले मजाक करने के लिए जाने जाते थे. उनका यह अंदाज खास और आम, सभी लोगों को पसंद था. उनका एक ऐसा ही मशहूर मजाक हिंदी फिल्मों की दिग्गज एक्ट्रेस नर्गिस के साथ था, जिसके बारे में वह खुद लोगों को बताती थीं.
बात एक रात की
खुशवंत सिंह नर्गिस के बड़े प्रशंसक थे. जिन दिनों वह मुंबई (Mumbai) में इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया पत्रिका के संपादक थे, तो उनके पास नर्गिस का फोन आया कि वह उनसे मिलना चाहती हैं. खुशवंत सिंह को पहले तो विश्वास नहीं हुआ, मगर उन्होंने फिर उनसे आने के लिए कह दिया. आधे घंटे बाद नर्गिस उनके दफ्तर पहुंच गईं, तो उन्हें देखकर दफ्तर के लोगों को भी हैरानी हुई. नर्गिस ने खुशवंत सिंह से कहा कि मेरे बच्चे सनावर (कसौली, हिमाचल प्रदेश) में पढ़ते हैं. मुझे उनकी स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना है, मगर वहां के सारे होटल ओवरबुक हैं. नर्गिस ने खुशवंत सिंह से कहा कि मुझे पता चला है कि कसौली में आपका एक विला है, क्या आप मुझे वहां एक रात रुकने की इजाजत दे सकते हैंॽ
सीट अगल-बगल
खुशवंत सिंह कैसे नर्गिस को मना कर सकते थे! लेकिन उन्होंने सस्पेंस पैदा करने के लिए कुछ पल की खामोशी ओढ़ ली और फिर कहा कि मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है, मगर मेरी एक शर्त है. नर्गिस हैरान रह गईं, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि शर्त बताइए. तब खुशवंत सिंह ने कहा कि शर्त यह है कि आपके वहां रुकने के बाद मैं लोगों को बता सकूं कि नर्गिस दत्त मेरे बिस्तर पर सोई थीं. सुनते ही नर्गिस शरमाते हुए बहुत जोर से हंसी और बोलीः एग्रीड. खुशवंत सिंह के मजाक से उस दौर में सभी वाकिफ थे और नर्गिस हंसती रहीं. उनका काम हो गया था. लेकिन वह कभी इस घटना को भूली नहीं और जब कभी खुशवंत सिंह का जिक्र दोस्तों में छिड़ता, तो वह जरूर इस बारे बताती थीं. खुद खुशवंत सिंह ने बाद में यह घटना अपने एक लेख में लिखी. आगे चलकर नर्गिस और खुशवंत सिंह राज्यसभा के सदस्य चुने गए. वहां दोनों की सीट अगल-बगल थी.