1857 Revolt: महज कारतूस नहीं अंग्रेजों की इन हरकतों ने जगाया भारतीयों में आक्रोश, जानें पहले स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख वजहें
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1857 Revolt: महज कारतूस नहीं अंग्रेजों की इन हरकतों ने जगाया भारतीयों में आक्रोश, जानें पहले स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख वजहें

Revolt of 1857: देश के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण और पहला आजादी का संग्राम है 1857 में हुआ विद्रोह. मंगल पांडे के नेतृत्व में हुए इस सैनिक विद्रोह ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं. इस संग्राम में हिंदू-मुस्लिम एकजुट होकर मैदान में कूद पड़े. 

1857 Revolt: महज कारतूस नहीं अंग्रेजों की इन हरकतों ने जगाया भारतीयों में आक्रोश, जानें पहले स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख वजहें

Republic Day 2023:​ देश इस साल 26 जनवरी 2023 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) मनाने जा रहा है. इसी दिन 1950 को संविधान लागू हुआ था. देशवासी इस दिन को भी उतनी ही खुशी के साथ सेलिब्रेट करते हैं, जैसे स्वतंत्रता दिवस को मनाते हैं. इस दिन हम अपने वीर शहीदों को याद करना नहीं भूलते. इसी कड़ी में आज बात करेंगे पहले स्वतंत्रता संग्राम की...

आज भी हमारे देश में सैनिकों की समस्या 1857 के सैनिक विद्रोह की मुख्य वजह मानी जाती है, लेकिन इस विद्रोह के पीछे और भी कई वजहें थीं. इनके बारे में हम सबको जानना जरूरी है. हालांकि, हमने स्कूल की किताबों में भी पढ़ा है, लेकिन आइए एक बार फिर जानते हैं वे कौन से कारण थे, जिनके कारण यह चिंगारी भड़की थी...

राजस्व की मांग 
रैयतवाड़ी और महलवारी व्यवस्था में रेवन्यू की मांग ज्यादा थी. इतना ही नहीं राजस्व बेहद क्रूरता से वसूला जाता था. 1852 में इनाम आयोग की स्थापना हुई, जिसने जागीरों के अधिग्रहण की सिफारिश की, जिस पर रेवन्यू नहीं दिया गया था. परिणामस्वरूप 20 हजार जागीरों को जब्त किया गया. 

अर्थव्यवस्था का विनाश 
अंग्रेज धीरे-धीरे भारतीय उद्योगों को नष्ट करने लगे. इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति के कारण भारतीय कच्चे माल को नुकसान होने लगा. भारत का विदेशों से होने वाला व्यापार खत्म कर दिया गया, जिससे भारत कच्चे माल का निर्यात करने तक सीमित रह गया. 

सिपाहियों के साथ भेदभाव
ब्रिटिश फौज में भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव किया जाता था. ब्रिटिश सैनिकों की अपेक्षा उन्हें कम वेतन मिलता और उनका बहुत शोषण होने लगा था. भारतीय सिपाहियों के सीने में जलती आग को चिंगारी तब मिली जब उन्हें अपने माथे पर जाति के निशान लगाने, दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने से भी मना किया गया.

ईसाई मिशनरी
ईसाई मिशनरियों द्वारा तेजी लोगों का धर्म परिवर्तन किया जाने लगा. हिंदू और मुस्लिम धर्मों के खिलाफ झूठा प्रचार होने लगा. इतना ही नहीं ईसाई धर्म के बारे में बताने के लिए सेना में पादरियों को शामिल किया गया. 

महत्वपूर्ण पदों से किया वंचित
ब्रिटिश अधिकारियों ने भारतीयों को अपने ही देश में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखा. वहीं, साइनबोर्ड पर 'कुत्तों और भारतीयों को प्रवेश की अनुमति नहीं है' जैसे अपमानित वाक्य लिखे जाने लगे. 

हड़प नीति
राज्य हड़प नीति के कारण भारतीय नरेशों में बहुत असंतोष पैदा हुआ. सतारा, नागपुर, झांसी, संभलपुर, करौली, उदयपुर आदि रियासतों पर डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स के तहत कब्जा कर लिया गया. नागपुर में शाही सामान की खुली नीलामी हुई, जिसने भारतीयों में आक्रोश जगा दिया. 

विद्रोह के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक 
मंगल पांडे के बगावती तेवर की वजह थी अंग्रेज सेना में इनफील्ड पी- 53 रायफलों में इस्तेमाल की जाने वाली गोलियां. दरअसल, इसे लोड करने के लिए सिपाहियों को कारतूसों के सिरों को दांत से काटना पड़ता था. भारतीय सिपाहियों के बीच ये अफवाह फैल गई कि इन राइफल्स में इस्तेमाल किए जाने वाले कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है. सिपाहियों का मानना था कि इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं.

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