Udayan Das Case: उदयन दास ने यह बात कबूल की थी कि उसने अपनी माशूका का मर्डर इसलिए किया, क्योंकि वो ये जान गई थी कि वो अपने माता-पिता की हत्या कर चुका है.
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Bhopal Killer Udayan Das: खौफनाक सीरीज़ में हम आपको अपराध जगत की उन वारदातों के बारे में बताते हैं जिनकी चर्चा पूरे देश में होती है. इस कड़ी में बात एक ऐसे मेंटल यानी साइको (आम बोलचाल की भाषा में हाफ माइंड) सीरियल किलर उदयन दास (Udayan Das Case) की जिसने मां-बाप को मारकर घर के आंगन में गाड़ दिया था. मां-बाप से उसे बचपन से नफरत थी. बड़ा हुआ तो सबसे पहले उन्हें ही निपटाकर उनकी अकूत संपत्ति पर मौज करने लगा. उदयन दास को गर्लफ्रेंड बनाने का शौक था. बताया जाता है कि उसकी एक दो नहीं ढेरों महबूबाएं थीं. जब एक माशूका से मन भर गया तो उसने उसे मारकर ठिकाने लगा दिया और अगली कहानी रचने लगा.
उदयन दास की कई माशूकाएं थीं. उन में से एक थी कोलकाता की आकांक्षा शर्मा. आकांक्षा के पिता शिवेंद्र शर्मा पश्चिम बंगाल के बांकुरा में बैंक मैनेजर थे. उधर भोपाल के रहने वाले 32 साल के उदयन दास के पास भी पैसे की कोई कमी नहीं थी. अय्याश उदयन के मांबाप इतना कमा कर रख गए थे कि अगर वो कुछ भी नहीं करता, तो भी बुढापा झेलने के बाद मरते दम तक कभी भूखा नहीं सोता.
एक साथ कई जिंदगियां जीता था
उदयन की आकांक्षा से दोस्ती फेसबुक के जरिए हुई थी. चैटिंग में उदयन ने खुद को आईएफएस अफसर बताते हुए, अपनी पोस्टिंग अमेरिका में बताई थी. उसने कहा था कि वो अक्सर सरकारी खर्च पर इंडिया आता है. आगे उसने इंडिया में ही सेटल होने की बात की. उधर जून 2016 में आकांक्षा घर से नौकरी करने की बात कहकर भोपाल आई और उदयन के साथ लिवइन रिलेशनशिप में साकेत नगर के एक घर में रहने लगी. इससे पहले उदयन रायपुर में अपने माता-पिता को मार कर दफना चुका था.
सीरियल किलर उदयन दास एक साथ कई जिंदगियां जीता था. इसके लिए उसने सोशल मीडिया का इस्तेमाल टूल की तरह किया. उसने पैरेंट्स और आखिरी प्रेमिका आकांक्षा को सोशल मीडिया पर जिंदा रखा था. उदयन उनके नाम के फेसबुक अकाउंट से खुद को चीजें शेयर करता था. वो उनके अकाउंट से - कैसे हो बेटा और जानू जैसी चीजें लिखता रहता था कि दुनिया को लगे कि वो जिंदा हैं.
आकांक्षा मर्डर केस
बात भोपाल के आकांक्षा किडनैप केस की तो जब ये केस सॉल्व हुआ तो पता चला कि पुलिस जिसे गुमशुदगी का मामला समझ रही थी वो मर्डर केस था. अकांक्षा ने एक दिन घरवालों को कह दिया कि वो अमेरिका चली गई है. वहां जॉब कर रही है. कुछ दिन उसकी परिजनों से बात होती है. ठीक एक महीने बाद जुलाई 2016 में आकांक्षा का उसके परिवारवालों से कांटेक्ट बंद हो गया तो परिजनों को चिंता हुई. उन्होंने पुलिस में बात की. आगे भाई ने नंबर ट्रेस कराया तो लोकेशन भोपाल की निकली. हालांकि इसके पहले परिवार के लोगों को शक था कि आकांक्षा उदयन के साथ है. अब वो बात नहीं करती तो उन्हें आकांक्षा के साथ अनहोनी का डर सताने लगा था. बाद में परिजनों का शक सही निकला. उदयन आकांक्षा को मार चुका था.
हैवानियत की हद कब्र के ऊपर सोता था
उदयन ने पुलिस की पूछताछ कबूला कि उसने आकांक्षा का मुंह तकिए से दबाया फिर गला घोंटकर मार दिया था. शव को ठिकाने लगाने के लिए लाश को एक बॉक्स में बंद किया. बक्से के अंदर सीमेंट भर दी. इसके बाद बक्से को एक चबूतरा बनाकर उसे भी सीमेंट से भरकर बंद कर दिया. पुलिस को चबूतरा तोड़ने में ही 7 से 8 घंटे लग गए थे. वो उस चबूतरे के ऊपर सो जाता था.
उम्र कैद की सजा मिली
परफेक्ट क्राइम नाम की कोई चीज नहीं होती. इसलिए इस मामले में भी उदयन पुलिस की आंखों में धूल झोंककर बचता रहा लेकिन जिस दिन वो पुलिस के हत्थे चढ़ा तो हल्की पूछताछ में सब कुछ तोते की तरह उलटने लगा. आकांक्षा की हत्या का खुलासा भोपाल पुलिस की मदद से हुआ था. बांकुरा पुलिस ने उदयन के खिलाफ 30 अप्रैल 2017 को 600 पेज की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी. उसमें दर्ज 19 गवाहों के बयान और सबूतों की रोशनी में उदयन को उम्र कैद की सजा मिली थी.
आकांक्षा को उदयन का राज जान चुकी था. वो डरी थी इसलिए घर लौटना चाहती थी. उसके झूठ का घड़ा भर चुका था. लड़ाई हुई तो आकांक्षा ने 12 जुलाई, 2016 को कोलकाता लौटने की ट्रेन टिकट बुक की. हालांकि वो जा नहीं पाई. 15 जुलाई की सुबह उदयन ने आकांक्षा को मार दिया. उदयन दास ने बताया था कि उसने आकांक्षा का मर्डर इसलिए किया, क्योंकि वो जान गई थी कि वो अपने पैरेंट्स का हत्यारा है.