आईएसआईएस के लिये काम करने वाले शाहनवाज की गिरफ्तारी के बाद चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं. जांच एजेंसियों के मुताबिक वो मालदीव की एक मिस्ट्री लेडी के साथ टेलीग्राम चैनल केज्ड गर्ल के जरिए संपर्क में था. वो इस औरत के जरिए ही आईएस के संपर्क में आया. उसकी मंशा भारत के कई शहरों को आतंकी वारदात से दहलाने की थी.
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Mohammad Shahnawaj Alam: पिछले साल सितंबर में तीन लोगों की दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल गिरफ्तारी करती है. तीनों पेशे से इंजीनियर लेकिन मकसद भारत में आईएस के नापाक मंसूबों को अंजाम देना था. वो भारत के अलग अलग शहरों में धमाका करने की फिराक में थे. इलेक्ट्रानिक सर्विलांस के जरिए जांच एजेंसियों को जानकारी मिली और उनके धरपकड़ की कोशिश शुरू हुई. पिछले साल ही जुलाई के महीने में इनमें से एक शाहनवाज का नाम एनआईए की मोस्ट वांटेड की सूची में शामिल हुआ और उसके सिर पर तीन लाख का इनाम भी रखा गया. करीब तीन महीने की कवायद के बाद देश के 200 ठिकानों पर रेड डाली गई और वो अपने दो सहयोगियों अरशद वारसी, मोहम्मद रिजवान अशरफ के साथ पकड़ा गया. अब शाहनवाज के बारे में जो जानकारी सामने आई है वो दिल दहलाने वाली है. उसका मालदीव कनेक्शन सामने आया है.
कौन है शाहनवाज आलम
सबसे पहले बात करेंगे कि शाहनवाज कौन है. इसका पूरा नाम मोहम्मद शाहनवाज आलम उर्फ अब्दुल्ला इब्राहिम और प्रिंस है. 31 साल के शाहनवाज ने एनआईटी नागपुर से माइनिंग इंजीनियरिंग का कोर्स किया था. काम तो उसे मशीनों के साथ करना था. लेकिन वो आतंक के आकाओं के हाथ में खेलने लगा. वो बम और बारूद से खेलने लगा. पढ़ाई लिखाई से पहले ही उसका अपराध से नाता था. उसके खिलाफ चोरी और डकैती के केस भी दर्ज थे. वो आईएस से भी जुड़ा था. अपने नापाक काम को वो अपनी पत्नी बसंती पटेल के अकाउंट से अंजाम देता था.
शाहनवाज की गिरफ्तारी पिछले साल अक्टूबर में हुई. हालांकि बाद में एनआईए ने उसे अपनी हिरासत में लिया. जब एनआईए ने जांच के दायरे को आगे बढ़ाया तो सनसनीखेज जानकारियां सामने आने लगीं. जांच में पता चला कि शाहनवाज को मालदीव की रहने वाली एक मिस्ट्री औरत हैंडल करती थी. यही नहीं उस औरत ने इराक- सीरिया बॉर्डर पर चल रहे आईएस के रिफ्यूजी कैंप अल हॉल कैंप को डोनेशन भी दिया था. इस काम के लिए उसने केरल के एक टीचर की मदद ली और डिजिटल पेमेंट के जरिए रिफ्यूजी कैंप को एक लाख चालीस हजार रुपए दान किए. शाहनवाज उस मालदीव की उस मिस्ट्री लेडी से व्हाट्सग्रुप चैनल केज्ड पर्ल के जरिए संपर्क में आया था.
मालदीव की मिस्ट्री लेडी से नाता
जांच एजेंसी के मुताबिक शाहनवाज और मालदीव की उस मिस्ट्री लेडी के बीच व्हाट्सग्रुप चैनल केज्ड पर्ल के जरिए नाता जुड़ा. वो मिस्ट्री लेडी ही केज्ड पर्ल की एडमिन थी और वो इराक सीरिया बॉर्डर पर चलने वाले रिफ्यूजी कैंप में रहने वाले लोगों की मदद करती थी. लेकिन उसका मकसद कुछ और ही था. उसका मकसद भारत के उन युवाओं को निशाना बनाना था जिनके विचार रेडिकल यानी उग्र थे. उस औरत के बारे में पता चला है कि 2015 में वो सीरिया भाग गई थी. उसने अपने भाई के मोबाइल नंबर को शाहवनाज को दिया. उस नंबर के जरिए ही दोनों एक दूसरे के संपर्क में थे. शाहनवाज ने उस लेडी से रिफ्यूजी कैंप को पैसे भेजे जाने का तरीका पूछा. उस मिस्ट्री लेडी ने केरल के एक टीचर का नंबर दिया और उसके बाद शाहनवाज ने रिफ्यूजी कैंप को पैसा भेजा था.
अल हॉल को भेजता था डोनेशन
दिल्ली स्पेशल सेल के मुताबिक शाहनवाज ने गूगल पे के जरिए केरल के टीचर को रकम भेजी. करीब दो हफ्ते के बाद उस लेडी ने कंफर्म किया. यही नहीं पहले ट्रांजेक्शन के करीब एक महीने बाद उसी टीचर के जरिए रिफ्यूजी अल हॉल कैंप को चालीस हजार रुपए और भेजे. इन दोनों ट्रांजेक्शन के दौरान टेलीग्राम की मदद से शाहनवाज, आईएस से जुड़े कश्मीर के रहने वाले कासिम खुरासानी के साथ साथ दो अफगानी नागरिक हुजैफा और कासिफ के संपर्क में था. लेकिन कुछ समय के बाद हुजैफा और कासिम खुरासानी की आईडी इस्तेमाल में नहीं रही. लेकिन वो कासिफ के संपर्क में बना रहा और भारत में आईएस के विस्तार में जुटा रहा.
शाहनवाज का जब अल हॉल कैंप से संपर्क सामने आया तो जांच एजेंसियां और सतर्क हुईं. उन्हें लगा कि कैंप को मदद करना तो बहाना है. दरअसल वो भारत में नए सिरे से गुमराह युवाओं को भर्ती कर आईएस को मजबूत करने की फिराक में है.