Crime News Today In Hindi: ओडिशा की पुलिस एक महिला की लाश के पास से बरामद खून से सनी शर्ट की मदद से कातिल तक पहुंच गई. इस मर्डर मिस्ट्री की कहानी किसी फिल्म की तरह मोड़ लेती है.
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Crime News: तारीख- 13 दिसंबर 2024. जगह- ओडिशा का कटक जिला. क्राइम- कंदरपुर थाने की सीमा के भीतर काठजोड़ी नदी के तट पर पुलिस को एक महिला की लाश मिलती है. 35 वर्षीय महिला की पहचान नहीं हो सकी. ओडिशा के किसी थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं थी. पुलिस के पास सुराग के नाम पर कुछ था तो क्राइम सीन के पास मिली एक शर्ट जो खून से सनी हुई थी. ओडिशा पुलिस उसी शर्ट पर लगे दर्जी के टैग की सुरागकशी करते-करते कातिल तक पहुंच गई. कटक के डीसीपी जगमोहन मीणा ने जब पूरी कहानी मीडिया को सुनाई तो लगा किसी थ्रिलर मूवी या वेब सीरीज की स्क्रिप्ट सुना रहे हैं. आप भी पढ़िए, क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन के लिहाज से हाल के सबसे रोमांचक मामलों में से एक की पूरी दास्तान.
दर्जी का टैग पुलिस को गुजरात ले गया
डीसीपी मीणा के मुताबिक, उनकी टीम के लिए इस मामले को सुलझाना एक बड़ी चुनौती थी. मृतका के दोनों हाथों पर टैटू थे, फिर भी पुलिस उसकी शिनाख्त नहीं कर पाई. नदी किनारे, पास में ही पुलिस को खून में सनी शर्ट और पैंट मिली. दोनों कपड़ों पर 'New Star Tailors' का टैग सिला हुआ था. और कोई सुराग था नहीं, तो पुलिस ने पूरा जोर इस टैग वाले दर्जी को खोजने में लगा दिया.
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पूरे ओडिशा में 'न्यू स्टार टेलर्स' या उससे मिलते-जुलते नाम वाले करीब 10 दर्जी मिले. सबको वेरीफाई किया गया, उनके टैग डिजाइन का मिलान पैंट-शर्ट पर लगे टैग से किया गया. लेकिन पूरे राज्य में वह दर्जी नहीं मिला जिसने ये पैंट-शर्ट सिली थी. फिर गंजाम जिले के एक दर्जी ने पुलिस को टिप दी कि ऐसे टैग तो गुजरात में इस्तेमाल होते हैं. फिर क्या था, कटक पुलिस ने गुजरात पुलिस से संपर्क साधा.
UPI पेमेंट ने कातिल तक पहुंचाया
गुजरात पुलिस हरकत में आई और सूरत के एक दर्ज को ढूंढ निकाला. उस टैग नंबर '3833' था जो पैंट-शर्ट के टैग से मैच कर पाया. थोड़ी और खोजबीन पर पता चला कि वह शर्ट किसी 'बाबू' के लिए सिली गई थी. लेकिन यह बाबू कौन है, कैसे पता चले. दर्जी को तो उसका हुलिया तक याद नहीं था. फिर उसे याद आया कि उसे बाबू नाम के ग्राहक को 100 रुपये लौटाने थे मगर उसके पास छुट्टा नहीं था. इसलिए उसने बाबू के कहने पर किसी मोबाइल नंबर के ई-वॉलेट पर 100 रुपये ट्रांसफर किए थे.
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पुलिस उस नंबर के पीछे लग गई. पता चला कि वह 'बाबू' के दोस्त का है. पुलिस ने बाबू की तलाश शुरू की तो पता चला कि वह तो 27 साल का जगन्नाथ दुहुरी है, जो दो फर्जी नाम-पते (बाबू और बापी, केंद्रपाड़ा) का इस्तेमाल कर रहा था. डीसीपी के मुताबिक, 'हमें पता चला कि वह (बाबू) ट्रेन से सूरत वापस जा रहा था. ट्रेन रायगढ़ से गुजर रही थी, तभी उसे पकड़ लिया गया.'
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देवर 'बाबू' निकला भाभी का कातिल
पूछताछ में पुलिस को पता चला कि बाबू तो मृतक महिला का देवर था. उसने अपने भाई बलराम दुहुरी (मृतका के पति) और चचेरे भाई हापी दुहुरी की मदद से हत्या करने की बात भी कबूल ली. पुलिस ने बताया कि तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. डीसीपी के अनुसार, बलराम दुहुरी मृतक महिला का पति था. अपराध का मकसद मृतक और उसके पति के बीच पुराना वैवाहिक विवाद है. बलराम को शक था कि मृतक का किसी के साथ विवाहेतर संबंध है.'