Parakram Diwas: भारत में साल 2021 से हर साल पराक्रम दिवस मनाया जाता है. इस दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है और इसी के जरिए उनके अतुलनीय योगदान को याद भी किया जाता है,
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Parakram Diwas 2025: हर साल 23 जनवरी को भारत पराक्रम दिवस मनाता है. यह दिन महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है. इसे "शौर्य दिवस" भी कहा जाता है, जो नेताजी की अदम्य भावना और भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है. आइए, इस दिन के इतिहास, महत्व और नेताजी के प्रेरणादायक जीवन को करीब से समझें.
पराक्रम दिवस का इतिहास
भारत सरकार ने 2021 में नेताजी की 124वीं जयंती के अवसर पर हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. यह नेताजी की दृढ़ता और बलिदान को सम्मान देने के लिए एक प्रतीकात्मक कदम था.
यह दिन उनके साहस, धैर्य और आत्मनिर्भर भारत के उनके सपने को याद करता है. देशभर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों और राष्ट्रीय नेताओं की श्रद्धांजलि के जरिए पराक्रम दिवस मनाया जाता है. यह दिन सुनिश्चित करता है कि नेताजी की विरासत हमेशा देशवासियों की स्मृतियों में बनी रहे.
पराक्रम दिवस का महत्व
पराक्रम दिवस नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अदम्य साहस और देशभक्ति को याद करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यह दिन उनकी निस्वार्थ सेवा और मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण को सलाम करता है.
- इस दिन का उद्देश्य युवाओं को उनके साहस, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रप्रेम से प्रेरित करना है.
- नेताजी द्वारा बनाई गई आजाद हिंद फौज और आजाद हिंद सरकार उनके स्वतंत्रता के प्रति दृढ़ निश्चय को दर्शाते हैं.
- उनका नारा "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" आज भी देशवासियों के दिलों में गूंजता है.
यह दिन हमें नेताजी के आदर्शों को अपनाने और भारत को एकजुट और आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणा देता है.
पराक्रम दिवस 2025: नेताजी का जीवन और विरासत
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक जिले में हुआ था. वह एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार से थे और उनकी प्रारंभिक शिक्षा कटक में हुई. पढ़ाई के दौरान उनकी राष्ट्रवादी भावना साफ दिखाई देती थी.
- उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज (कोलकाता) से पढ़ाई की.
- 1916 में क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया.
अपनी अद्वितीय प्रतिभा के कारण उन्होंने इंग्लैंड में इंडियन सिविल सर्विस (ICS) परीक्षा पास की. लेकिन भारत की आजादी के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें इस प्रतिष्ठित नौकरी को छोड़कर वापस अपने देश आने के लिए प्रेरित किया.
स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी का योगदान
नेताजी का इंडियन नेशनल कांग्रेस से जुड़ाव उनके राजनीतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा था.
- 1923 में उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया.
- 1938 और 1939 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
नेताजी ने 1939 में कांग्रेस के भीतर "फॉरवर्ड ब्लॉक" की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम को तेज करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए.
- 1942 में उन्होंने आजाद हिंद फौज (INA) का गठन किया और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना के खिलाफ संघर्ष किया.
- उनकी प्रेरणादायक पुकार, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा", लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करती रही.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन और उनकी उपलब्धियां आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं. पराक्रम दिवस न केवल उनकी स्मृतियों को जीवित रखता है, बल्कि हमें उनके आदर्शों पर चलने और देश के विकास के लिए समर्पित रहने का संदेश देता है.