UPSC: यूपीएससी के बाद क्या होता है? सिविल सर्वेंट ने बताया कैसे होती है LBSNAA में लाइफ
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UPSC: यूपीएससी के बाद क्या होता है? सिविल सर्वेंट ने बताया कैसे होती है LBSNAA में लाइफ

Lal Bahadur Shastri National Administrative Academy: सीधे शब्दों में कहें तो, यूपीएससी पास करने के बाद की कहानी क्या होती है, ये तीन अफसर बता रहे हैं.

UPSC: यूपीएससी के बाद क्या होता है? सिविल सर्वेंट ने बताया कैसे होती है LBSNAA में लाइफ

UPSC LBSNAA Life: भारत में सबसे कठिन परीक्षा, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी लाखों कैंडिडेट्स करते हैं और एक अच्छी सरकारी नौकरी की उम्मीद रखते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि जब एक यूपीएससी उम्मीदवार परीक्षा पास कर लेता है और उसका चयन हो जाता है तो उसके बाद क्या होता है. अलग-अलग सालों में यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले तीन सिविल सेवक बताते हैं कि यूपीएससी के बाद क्या होता है और उनका अपना अनुभव कैसा रहा.  सीधे शब्दों में कहें तो, यूपीएससी पास करने के बाद की कहानी क्या होती है, ये तीन अफसर बता रहे हैं.

इन सरकारी अफसरों ने जानकारी शेयर करने वाली वेबसाइट क्वेरा पर बताया कि यूपीएससी पास करने के बाद उम्मीदवार मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) में फाउंडेशन कोर्स (FC) की ट्रेनिंग के लिए जाते हैं. यह अकादमी सिविल सेवकों के लिए उच्च स्तरीय शिक्षा और एक-दूसरे को जानने-समझने के लिए खास सेशन आयोजित करती है.  मतलब,  यूपीएससी पास करने के बाद ट्रेनिंग के लिए मसूरी  जाना होता है, जहां अच्छी पढ़ाई और दूसरे अफसरों  से  मिलने-जुलने का मौका मिलता है.

2017 बैच के आईएएस अधिकारी नवीन कुमार चंद्रा ने LBSNAA के बारे में कुछ बातें बताईं. उन्होंने कहा कि यह वह जगह है जहां भूटान के अधिकारी ठहरते हैं, और मालदीव और म्यांमार के सिविल सेवक ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए आते हैं.  मतलब, LBSNAA सिर्फ भारतीय अफसरों के लिए नहीं, बल्कि दूसरे देशों के अफसरों के लिए भी ट्रेनिंग की जगह है.

यहां से होती है दिन की शुरूआत

2017 बैच के आईएएस अधिकारी मंजुल जिंदल ने बताया कि ट्रेनी ऑफिसर अपने दिन की शुरुआत पोलो ग्राउंड से करते हैं, जो हॉस्टल से 2 किलोमीटर दूर है. इस सेशन के बाद, अधिकारी ऑफिसर्स मेस में नाश्ता करते हैं. नाश्ते के समय अधिकारी एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और एक-दूसरे को जानने का मौका मिलता है.  सीधे शब्दों में कहें तो, दिन की शुरुआत कसरत से होती है, फिर सब साथ में नाश्ता करते हैं जिससे आपस में जान-पहचान बढ़ती है.

सुबह 9:30 बजे से शाम 4:00 बजे तक उनकी क्लासें चलती हैं. इन क्लासों में दिल्ली विश्वविद्यालय, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के सीनियर प्रोफेसर लेक्चर देते हैं. ये प्रोफेसर सामाजिक मार्केटिंग और एनवायरमेंटर अर्थशास्त्र जैसे विषयों पर खास लेक्चर देते हैं.

मंजुल जिंदल लिखते हैं, "अलग अलग सेवाओं के अधिकारियों को उनके एक्सपीरिएंस पर लेक्चर देने के लिए इनवाइट किया जाता है जो कुछ ऐसी चीजों से बंधे होते हैं जिनके बारे में हमें जानने की जरूरत है."

क्या क्या करना होता है?

मंजुल जिंदल आगे बताते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान अधिकारियों को क्या-क्या करना होता है.  इसमें दौड़ना, गांवों में जाना, हाइकिंग, ट्रेकिंग और दूसरी एक्टिविटीज शामिल हैं.  ऐसे प्रोग्राम भी होते हैं जिनमें नए अफसर अपनी प्रतिभा दिखाते हैं, जैसे डांस, गाना और नाटक करना. इन सब चीजों की तैयारी के लिए उन्हें समय भी दिया जाता है.

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ऐसी होती है व्यवस्था

एक अन्य अधिकारी, 2015 बैच के भावेश मिश्रा, बताते हैं कि फाउंडेशन कोर्स का स्ट्रक्चर सेवा, क्षेत्र या कैडर की पारंपरिक सीमाओं से परे है. इतना ही नहीं, ऐसे सेशन होते हैं जो साथी अधिकारियों को आपस में बातचीत करने, रिलेशन बिल्ड करने और एक-दूसरे के साथ आराम करने का मौका देते हैं. बैठने की व्यवस्था भी इस तरह से बनाई जाती है कि पर ट्रेनी ऑफिसर दूसरों को जान सके.  

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वे कहते हैं, "कोई भी दो रूममेट एक ही सर्विस के नहीं हो सकते. एक उत्तर भारतीय ट्रेनी अधिकारी को एक दक्षिण भारतीय ट्रेनी ऑफिसर के साथ जोड़ा जाता है. तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद, आमतौर पर ऐसा होता है कि हमारे सबसे अच्छे दोस्त ज्यादातर दूसरी सेवाओं से होते हैं. फाउंडेशन कोर्स का आखिरी दिन बहुत भावुक होता है जब हर कोई भावुक हो जाता है."

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