JEE टॉप करके भी हो गए फेल, सीबीएसई ने कर दिया खेल!
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JEE टॉप करके भी हो गए फेल, सीबीएसई ने कर दिया खेल!

Critical Thinking NEP 2020: सीबीएसई के मुताबिक, जेईई जैसी परीक्षाओं में सफलता जरूरी है, लेकिन शिक्षा की क्वालिटी और बच्चों का पूरा विकास भी उतना ही जरूरी है, उससे समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

JEE टॉप करके भी हो गए फेल, सीबीएसई ने कर दिया खेल!

Non-Attending Trends of School: एक "डमी स्कूल" (जहां बच्चे रेगुलर क्लास नहीं जाते) के जेईई (मेन्स) टॉपर की सफलता की खबर जब सामने आई, तो सीबीएसई ने एक नोटिस जारी करके बताया कि उस स्कूल की मान्यता तो पिछले साल ही रद्द कर दी गई थी. छात्र की सफलता बेशक काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन इस घटना ने इस तरह के एजुकेशनल ट्रेंड्स पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

इस साल जेईई के टॉपर्स में से एक, जिसने 100 पर्सेंटाइल हासिल किए, दिल्ली के नांगलोई के एसजीएन पब्लिक स्कूल में पढ़ता था, जिसकी मान्यता सीबीएसई ने पिछले साल रद्द कर दी थी.

सीबीएसई की एक कमेटी ने जब स्कूल की जांच की, तो पाया कि स्कूल में ऐसे बच्चों को दाखिला दिया जा रहा था जो स्कूल नहीं आते थे, और स्कूल बोर्ड के कई नियमों का उल्लंघन कर रहा था.

सीबीएसई ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि उन्होंने दो सदस्यों की एक कमेटी बनाकर स्कूल का अचानक निरीक्षण किया, और यह पाया गया कि स्कूल गैर-उपस्थित छात्रों को बढ़ावा दे रहा था, और इसके साथ-साथ बोर्ड के नियमों का कई तरह से उल्लंघन कर रहा था.  मतलब, स्कूल में ऐसे बच्चों का एडमिशन हो रहा था जो स्कूल आते ही नहीं थे, और स्कूल बोर्ड के बनाए नियमों को भी नहीं मान रहा था.

इस घटना से पता चलता है कि छात्रों के लिए यह कितना जरूरी है कि वे सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में ही पढ़ाई करें जो सीबीएसई के बताए राष्ट्रीय शिक्षा मानकों का पालन करते हैं.

सीबीएसई ने अपनी प्रेस रिलीज में ये भी बताया कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 सर्वांगीण शिक्षा को बढ़ावा देती है, जिसमें बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता, व्यावहारिक ज्ञान और समस्या हल करने के स्किल का विकास शामिल है, लेकिन जब बच्चे स्कूल जाना छोड़कर कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई करते हैं, तो इन सभी चीजों पर असर पड़ता है.  मतलब, नियमित स्कूलिंग छोड़कर कोचिंग जाने से बच्चों का पूरा विकास नहीं हो पाता, जैसा कि नई शिक्षा नीति चाहती है.

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सीबीएसई ने कहा कि "गैर-उपस्थित स्कूल (डमी स्कूल), जिन्हें अक्सर परीक्षा में जल्दी सफलता पाने का रास्ता माना जाता है, नई शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप नहीं हैं. रेगुलर स्कूल एक ऐसा व्यवस्थित माहौल देते हैं जो सीखने, सामाजिक मेलजोल और पर्सनल ग्रोथ में मदद करता है. कोचिंग सेंटर मदद कर सकते हैं, लेकिन वे नियमित स्कूलों द्वारा दी जाने वाली पूरी शिक्षा की जगह नहीं ले सकते." सीधे शब्दों में कहें तो, सीबीएसई का मानना है कि सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए डमी स्कूलों में पढ़ना सही नहीं है. स्कूल सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं होते, बच्चों के पूरे विकास के लिए ज़रूरी हैं, जो कोचिंग सेंटर नहीं कर सकते.

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सीबीएसई के मुताबिक, जेईई जैसी परीक्षाओं में सफलता जरूरी है, लेकिन शिक्षा की क्वालिटी और बच्चों का पूरा विकास भी उतना ही जरूरी है, उससे समझौता नहीं किया जाना चाहिए. छात्रों, माता-पिता और टीचर्स को ऐसे स्कूल चुनने चाहिए जो राष्ट्रीय मानकों का पालन करते हों और बच्चों को पढ़ाई का पूरा अनुभव दें, सिर्फ परीक्षा पास कराने पर ध्यान न दें.  सीबीएसई ये कहना चाहता है कि सिर्फ नंबर लाने के चक्कर में बच्चों की सही एजुकेशन और उनके पूरे विकास को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

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