21 की उम्र में IPS, तो 22 में बनी IAS अफसर, बिना कोचिंग UPSC क्रैक कर हासिल किया मुकाम
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21 की उम्र में IPS, तो 22 में बनी IAS अफसर, बिना कोचिंग UPSC क्रैक कर हासिल किया मुकाम

IAS Divya Tanwar: सरकारी स्कूल में पढ़ने से लेकर गरीबी से जूझने और भारत में सबसे प्रतिष्ठित नौकरी हासिल करने तक आईएएस दिव्या तंवर की उल्लेखनीय यात्रा कई यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का काम करती है.

21 की उम्र में IPS, तो 22 में बनी IAS अफसर, बिना कोचिंग UPSC क्रैक कर हासिल किया मुकाम

IAS Divya Tanwar UPSC Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा भारत में सबसे अधिक डिमांड वाली परीक्षा है, जो भारत सरकार की संरचना की रीढ़ है. यूपीएससी के जिन पदों के लिए उम्मीदवार अधिकतर प्रसाय करते हैं, वे हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), और भारतीय विदेश सेवा (IFS).इसलिए देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को पास करने के लिए लाखों अभ्यर्थी एक-दूसरे से कंपीट कर रहे हैं. ऐसे में यूपीएससी सीएसई उन कई लोगों के लिए एक सपना भी है, जिनका लक्ष्य देश की सेवा करना और जनता का सम्मान अर्जित करना है. 

देश के अधिकतर उम्मीदवार इस परीक्षा को पास करने के लिए कोचिंग का सहारा लेते हैं, क्योंकि कोचिंग में मिली गाइडेंस परीक्षा में सफलता दिलाने में काफी मदद करती है. लेकिन बहुत से ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जो यूपीएससी की महंगी कोचिंग की फीस नहीं भर सकते, पर सिविल सेवक बनने का सपना जरूर देखते हैं. इसलिए ऐसे उम्मीदवार पूर्ण समर्पण, कड़ी मेहनत और एक बेहतर रणनीति के साथ इस परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं. लेकिन देश सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षा पास करना हर किसी के बस की बात नहीं है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी उम्मीदवार के बारे में बताएंगे, जिन्होंने बिना कोचिंग देश की इस सबसे कठिन परीक्षा को दो बार पास किया है और पहले आईपीएस और फिर आईएएस का पद हासिल किया है.

सरकारी स्कूल में की पढ़ाई
यह दृढ़ संकल्प की प्रेरणादायक कहानी हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली दिव्या तंवर की है. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूलों से पूरी की है. इसके बाद दिव्या ने महेंद्रगढ़ के नवोदय विद्यालय में दाखिला मिला. सरकारी स्कूल में पढ़ने से लेकर गरीबी से जूझने और भारत में सबसे प्रतिष्ठित नौकरी हासिल करने तक आईएएस दिव्या तंवर की उल्लेखनीय यात्रा कई यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का काम करती है और बताती है कि कोई भी व्यक्ति दृढ़ता के साथ बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार कर सकता है.

बचपन में ही उठा सिर से पिता का साया
साल 2011 में जब दिव्या ने अपने पिता को खोया, तब वह महज 8 या 9 साल की थीं. अपने पिता की मृत्यु के बाद, उनकी वित्तीय स्थिति बिगड़ने लगी और उनकी मां ने अपने तीन बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए खेतों में मजदूरी करना और कपड़े सिलना शुरू कर दिया. इन परिस्थितियों से घबराए बिना, दिव्या ने साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री के साथ अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और यूपीएससी सिविल सेवा को क्रैक करने और आईएएस अधिकारी बनने के अपने बचपन के सपने की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने अटूट प्रयास, दृढ़ संकल्प और विपरीत परिस्थितियों पर विजय पाने के जज्बे के साथ तुरंत इसके लिए पढ़ाई करना शुरू कर दिया.

पहले आईपीएस फिर बनीं IAS
दिव्या यूपीएससी की कोचिंग का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत की और टेस्ट सीरीज सहित कई इंटरनेट संसाधनों का उपयोग किया. उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और साल 2021 में अपने पहले प्रयास में, उन्होंने सबसे कठिन परीक्षा पास की और ऑल इंडिया 438वीं रैंक हासिल की. गौरतलब है कि वह 21 साल की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की आईपीएस बन गईं. उन्होंने साल 2022 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दोबारा दी और 22 साल की उम्र में ऑल इंडिया 105वीं रैंक हासिल की. आखिरकार, अपनी दृढ़ता और समर्पण के जरिए, वह सेल्फ स्टडी के माध्यम से आईएएस ऑफिसर बन गईं.

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