PGDM और MBA प्रोग्राम में टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन कितना जरूरी है?
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PGDM और MBA प्रोग्राम में टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन कितना जरूरी है?

MBA PGDM Programme: पीजीडीएम और एमबीए प्रोग्राम में टेक्नोलॉजी को शामिल करने से करिकुलम और बेहतर होता है, क्योंकि स्टूडेंट्स को नए टूल्स के बारे में जानने को मिलता है जो पूरे इंडस्ट्री को नया रूप दे सकते हैं.

PGDM और MBA प्रोग्राम में टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन कितना जरूरी है?

MBA or PGDM which has more Value: आजकल के तेजी से बदलते और टेक्नोलॉजिकल वर्ल्ड में, बिजनेस की पढ़ाई में टेक्नोलॉजी की जरूरत और भी बढ़ गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर के 70 प्रतिशत बिजनेस अपने कामकाज को बदलने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी मॉडर्न टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल कर रहे हैं या शुरू करने वाले हैं. पीजीडीएम और एमबीए जैसे ग्रेजुएट मैनेजमेंट एजुकेशन प्रोग्राम अपने कोर्सेज में ऐसी टेक्नोलॉजी को शामिल करने में आगे बढ़ रहे हैं, जिससे स्टूडेंट्स को आने वाले डिजिटल युग के लिए तैयार किया जा सके - जहां कैंडिडेट्स से सीखने और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में अपनी नॉलेज और स्किल का प्रूफ दिखाने की उम्मीद की जाती है.

बिजनेस एजुकेशन में टेक्नोलॉजी का आना

पिछले कुछ दशकों में, बिजनेस की पढ़ाई में टेक्नोलॉजी की भूमिका एक सहायक टूल से बढ़कर करिकुलम का एक अहम हिस्सा बन गई है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) से लेकर बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और ब्लॉकचेन तक, अब बिजनेस के स्टूडेंट्स को उन टूल और कॉन्सेप्ट्स को सीखना जरूरी है जो मॉडर्न बिजनेस के कामकाज को डिफाइन करते हैं. एमबीए और पीजीडीएम प्रोग्राम में इन टेक्नोलॉजी को शामिल करने से स्टूडेंट्स को डिजिटल फर्स्ट वर्ल्ड में सफल होने के लिए जरूरी टेक्निकल प्रोफिशिएंसी मिल सकती है. आजकल, बिजनेस स्कूल ऐसे कोर्स शुरू कर रहे हैं जो डिजिटल मार्केटिंग, ई-बिजनेस, ई-कॉमर्स और यहां तक कि क्विक कॉमर्स से संबंधित हैं. FOSTIIMA बिजनेस स्कूल - दिल्ली के चेयरमैन अनिल सोमानी ने कहा कि ये कोर्स इन टेक्नोलॉजी के बढ़ते महत्व को दिखाते हैं जो फाइनेंस, लॉजिस्टिक्स, हेल्थकेयर आदि जैसी इंडस्ट्री को नया रूप दे रहे हैं.

टेक्नोलॉजी और करिकुलम में इनोवेशन

पीजीडीएम और एमबीए प्रोग्राम में टेक्नोलॉजी को शामिल करने से करिकुलम और बेहतर होता है, क्योंकि स्टूडेंट्स को नए टूल्स के बारे में जानने को मिलता है जो पूरे इंडस्ट्री को नया रूप दे सकते हैं. डेटा एनालिटिक्स अलग अलग सेक्टर में फैसले लेने के लिए एक अहम टूल बन गया है. डेटा बेस्ड टूल पर आधारित या एनालिटिक्स बेस्ड एमबीए करिकुलम स्टूडेंट्स को मार्केट के ट्रेंड्स का एनालिसिस करने, बेहतर ऑपरेशन और ज्यादा इनोवेटिव स्ट्रेटजी के बारे में सिखाएगा. इसके अलावा, टेक्नोलॉजी वर्चुअल क्लासरूम, सहयोग के लिए डिजिटल टूल और वर्चुअल सेटिंग्स के माध्यम से सिमुलेशन को लागू करने की इजाजत देती है जो स्टूडेंट्स को डिजिटल प्रोजेक्ट्स के मैनेजमेंट, रिमोट टीम वर्क और वर्चुअल लीडरशिप में प्रैक्टिकल रूप से ट्रेंड करते हैं जो वर्तमान वर्क प्लेस में जरूरी हैं. आसान शब्दों में कहें तो, टेक्नोलॉजी की मदद से अब छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि असल दुनिया में इस्तेमाल होने वाले टूल्स और तरीकों के बारे में भी सीखने को मिलता है.

इसके अलावा, बिजनेस स्कूलों ने एआई जैसे टूल का उपयोग सीखने को पर्सनलाइज्ड बनाने के लिए किया है. एआई टेक्नोलॉजी को स्टूडेंट्स के सीखने के तरीकों का आकलन करने और फिर उनकी जरूरतों के मुताबिक कॉन्टेंट देने में सक्षम बनाता है. टेक्नोलॉजी को शामिल करने से एजुकेशन ज्यादा पर्सनलाइज्ड और इंपैक्टफुल हो जाती है. टेक्नोलॉजी को शामिल करने से न केवल रिजल्ट बेहतर होते हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि स्टूडेंट्स को रीयल बिजनेस प्रॉब्लम्स के रीयल टाइम में समाधान मिलें.

टेक्नोलॉजिकल स्किल्स से रोजगार क्षमता बढ़ाना

एमबीए और पीजीडीएम प्रोग्राम में टेक्नोलॉजी को शामिल करने से स्टूडेंट्स की रोजगार क्षमता पर सीधा असर पड़ता है. आज के बिजनेस लीडर्स से ट्रेडिशनल मैनेजमेंट स्किल्स के साथ-साथ टेक्निकल एक्सपर्टीज रखने की उम्मीद की जाती है. चाहे मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया का फायदा उठाना समझना हो, कंज्यूमर की जानकारी के लिए एआई का इस्तेमाल करना हो, या फिर ऑपरेशन्स को आसान करने के लिए क्लाउड टेक्नोलॉजी का उपयोग करना. एंप्लॉयर मजबूत टेक्निकल बैकग्राउंड वाले कैंडिडेट्स को ज्यादा महत्व देते हैं.

इसके अलावा, कई इंडस्ट्रीज डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के साथ विकसित हो रहे हैं, और ऐसे प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ती जा रही है जो बिजनेस की समझ और टेक्नोलॉजिकल प्रोफिशिएंसी के बीच की खाई को पाट सकें. उदाहरण के लिए, डेटा ड्रिवन बिजनेस स्ट्रेटेजिस्टिक, डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर और टेक इनेबल प्रोजेक्ट लीडर जैसे रोल्स के लिए मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी दोनों में एक्सपर्टीज की जरूरत होती है. एमबीए और पीजीडीएम ग्रेजुएट जिनके पास यह डुअल स्किल सेट है, इन रोल्स में सफल होने के लिए बेहतर स्थिति में हैं.

नेटवर्किंग एंड ग्लोबल कॉलोब्रेशन का इंपेक्ट

टेक्नोलॉजी को एमबीए और पीजीडीएम प्रोग्राम में शामिल करने का एक और बड़ा फायदा यह है कि इससे ग्लोबल नेटवर्क एंड कोलोब्रेशन का मौका मिलता है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, वेबिनार और वर्चुअल कॉन्फ्रेंस स्टूडेंट्स को ग्लोबल एक्सपर्ट्स और साथियों से मिलने और जुड़ने के लिए अलाउ करते हैं, जिससे उनका प्रोफेशनल दायरा फिजिकल सीमाओं से परे बढ़ जाता है. इस तरह के एक्सपोजर से इन अलग अलग बिजनेस प्रैक्टिस और नजरिया से सीखने का एक्सपीरियंस बढ़ेगा और यह जानकारी मिलेगी कि ग्लोबल बिजनेस कैसे ऑपरेट होते हैं.

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इसके अलावा, स्टूडेंट्स ग्रुप वर्क करते समय क्लाउड बेस्ड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और स्लैक या माइक्रोसॉफ्ट टीम्स जैसे कोलोब्रेशन प्लेटफॉर्म के रूप में टेक्नोलॉजी की मदद ले सकते हैं, ताकि कई देशों और टाइम जोन में फैली टीमों में एक साथ काम करने के रीयल वर्ल्ड के एक्सपीरिएंस को सिमुलेट किया जा सके.

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आजकल ज्यादातर पीजीडीएम और एमबीए प्रोग्राम के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जरूरी हो गया है. कोर्स प्रोग्राम को बिजनेस के भावी लीडर्स को उन टूल्स, स्किल्स और सोच के साथ तैयार करना चाहिए जो उन्हें अपने काम के माहौल में तेजी से हो रहे डिजिटल बदलावों के अनुकूल बना सकें. स्टूडेंट्स को मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी दोनों में जितनी ज्यादा ट्रेनिंग मिलेगी, वे लीडरशिप पोजीशन और करियर के ऐसे मौकों तक पहुंचने के मामले में उतने ही बेहतर होंगे जो उन ऑर्गेनाइजेशन पर पॉजिटिव प्रभाव डालेंगे जिनसे वे जुड़े हैं. जब बिजनेस स्कूलों ने टेक्नोलॉजी को शामिल करना शुरू किया, तो वे न केवल स्टूडेंट्स को करंट जॉब मार्केट के लिए तैयार कर रहे थे, बल्कि भविष्य में और भी सिक्योर करियर का अनुमान लगा रहे थे, जहां हर चीज तेजी से डिजिटल और आपस में जुड़ी होगी.

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