MCLR: पिछले दिनों आरबीआई ने रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट तो कम कर दिया. लेकिन इसका असर होम लोन और कार लोन पर कब पड़ेगा, लोगों के बीच यह सवाल आम है. आइए जानते हैं आपको इसका फायदा कब मिलेगा?
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RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पिछले दिनों करीब पांच साल में पहली बार रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी. इससे होम लोन और ऑटो लोन लेने वालों को राहत मिलने की उम्मीद है. हालांकि, लोन की ब्याज दर कब कम होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका लोन किस तरह का है. जानकारों का कहना है कि रेपो रेट से जुड़े लोन लेने वालों को जल्दी ब्याज दरों में कमी देखने को मिलेगी, जबकि एमसीएलआर (MCLR) से जुड़े लोन लेने वालों को ब्याज दर कम होने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है.
एमसीएलआर लोन में देरी क्यों?
आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने बताया कि ऐसे लोन लो एक्सटर्नल बेंचमार्क (जैसे रेपो रेट) से जुड़े हैं, उन पर रेपो रेट में कटौती का असर तुरंत पड़ेगा. लेकिन एमसीएलआर (MCLR) बेस्ड लोन में यह असर देखने में कम से कम दो तिमाही (छह महीने) लग सकते हैं. उन्होंने बताया मौजूदा डिपॉजिट पहले से तय दरों पर जारी रहेगी और केवल नए डिपॉजिट की ब्याज दरें बदलेंगी. इसलिए, बैंकिंग सिस्टम में पूरी तरह से इस कटौती का असर दिखने में समय लगेगा.
रेपो रेट से जुड़े लोन में तुरंत कमी होती है
एक्सपर्ट ने बताया कि रेपो रेट से जुड़े लोन में तुरंत कमी की जाती है. लेकिन एमसीएलआर (MCLR) से जुड़े लोन में देरी इसलिए होती है क्योंकि ये बैंक की फंडिंग लागत, डिपॉजिट रेट और ऑपरेशनल खर्च से जुड़े होते हैं. कई बैंक कस्टमर को आकर्षित करने के लिए पहले से ही डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज दे रहे हैं, जिससे उनकी लागत बढ़ गई है. भारतीय बैंकिंग सिस्टम में नकदी की उपलब्धता सीमित है, जिससे ब्याज दर में तुरंत कटौती संभव नहीं है. बैंक पहले ही ऊंची दर पर पैसा उधार ले चुके हैं, जिससे उनके लिये तुरंत राहत देना मुश्किल होगा.
मार्च तक नकदी की कमी का सामना करना पड़ेगा
जानकारों का मानना है यदि आरबीआई (RBI) लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त कदम नहीं उठाता तो मार्च 2025 तक बैंकों को करीब ढाई लाख करोड़ की नकदी की कमी का सामना करना पड़ सकता है. इससे ब्याज दर में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचने में और देर हो सकती है. दूसरी तरफ एमसीएलआर (MCLR) से लिंक्ड ब्याज दर में कमी का फायदा मिलने में कम से कम दो तिमाही (छह महीने) का समय लग सकता है. दरअसल MCLR लोन की दरें हर छह महीने में रीसेट होती हैं. दूसरी तरफ एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड लोन जो कि सीधा रेपो रेट से जुड़ा होता है, उन्हें फायदा जल्दी मिलेगा. (Photo Credit: idfcfirstbank)