Indian Railway: यह स्टेशन महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे प्रमुख नेताओं की यात्रा का भी गवाह रहा है. कभी यात्रियों से गुलजार रहने वाला यह स्टेशन अब इतिहास का मूक गवाह बनकर रह गया है.
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Singhabad Railway Station: भारत में रेलवे सिर्फ एक सफर का माध्यम ही नहीं है बल्कि कई अनूठी और दिलचस्प कहानियों से भरा हुआ है. मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों के रेलवे स्टेशन जहां दिन-रात यात्रियों से भरे रहते हैं, वहीं पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां आज एक भी ट्रेन नहीं रुकती.
यह स्टेशन है सिंघाबाद रेलवे स्टेशन, जो भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर स्थित है. पूरी तरह से चालू होने के बावजूद यहां यात्रियों की चहल-पहल नहीं दिखती, और इसका प्लेटफॉर्म एक वीरान जगह बनकर रह गया है.
सिंघाबाद रेलवे स्टेशन का इतिहास
ब्रिटिश राज के दौरान स्थापित यह स्टेशन कभी कोलकाता और ढाका के बीच यात्रा और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी था. यह स्टेशन महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे प्रमुख नेताओं की यात्रा का भी गवाह रहा है. 1947 में भारत के विभाजन के बाद, इस स्टेशन का रणनीतिक महत्व और भी बढ़ गया, क्योंकि यह भारत और बांग्लादेश के बीच रेलवे संपर्क का एक अहम हिस्सा बन गया.
आज भी इस स्टेशन पर ब्रिटिश काल की स्थापत्य कला, पुराने सिग्नल सिस्टम और टिकट काउंटर मौजूद हैं, जो इसके गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं. कभी यात्रियों से गुलजार रहने वाला यह स्टेशन अब इतिहास का मूक गवाह बनकर रह गया है.
सिंघाबाद के बदलते दौर
भारत की स्वतंत्रता के बाद इस स्टेशन की भूमिका में कई बदलाव हुए. 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद, 1978 में एक द्विपक्षीय समझौते के तहत यहां से मालगाड़ियां चलाने की अनुमति दी गई. 2011 में इस समझौते में संशोधन कर नेपाल और भारत के बीच ट्रेन चलने की भी मंजूरी दी गई. आज यह स्टेशन यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि व्यापारिक मालगाड़ियों के लिए एक अहम ट्रांजिट पॉइंट बन चुका है.
कैसा है आज का सिंघाबाद?
सिंघाबाद रेलवे स्टेशन अब अपने सुनहरे अतीत से बिल्कुल अलग है. कभी व्यस्त रहने वाला यह स्टेशन अब पूरी तरह से सुनसान है, टिकट काउंटर बंद पड़े हैं और प्लेटफॉर्म पर कोई हलचल नहीं होती. यहां सिर्फ कुछ रेलवे कर्मचारी तैनात हैं, जो स्टेशन की देखरेख करते हैं.