जॉर्जीवा ने पिछले कुछ सालों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख इकोनॉमी में शुमार इंडियन इकोनॉमी के 2025 में थोड़ा कमजोर होने की आशंका जताई. हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा नहीं बताया.
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Indian Economy: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एमडी क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा कि स्थिर वैश्विक वृद्धि के बावजूद 2025 में इंडियन इकोनॉमी के ‘थोड़ा कमजोर’ रहने की आशंका है. जॉर्जीवा ने कहा कि उन्हें इस साल दुनिया में मुख्य रूप से अमेरिका की व्यापार नीति को लेकर काफी अनिश्चितता नजर आने की संभावना दिख रही है. उन्होंने अपनी सालाना मीडिया गोलमेज मीटिंग में कहा कि साल 2025 में ग्लोबल ग्रोथ स्थिर रहने की संभावना है लेकिन इसमें क्षेत्रीय भिन्नताएं देखने को मिलेंगी.
2025 में थोड़ा कमजोर होने की आशंका जताई
जॉर्जीवा ने पिछले कुछ सालों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख इकोनॉमी में शुमार इंडियन इकोनॉमी के 2025 में थोड़ा कमजोर होने की आशंका जताई. हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा नहीं बताया. ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक पर आने वाली रिपोर्ट में इस बारे में ज्यादा जानकारी दी जाएगी. उन्होंने कहा, 'अमेरिका हमारी अपेक्षा से काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, यूरोपीय संघ (EU) कुछ हद तक रुका हुआ है और भारत थोड़ा कमजोर है.'
ब्राजील हाई इंफ्लेशन रेट का सामना कर रहा
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ब्राजील कुछ हद तक हाई इंफ्लेशन रेट का सामना कर रहा है. जॉर्जीवा ने कहा कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन में महंगाई कम होने से पैदा होने वाले दबाव और घरेलू मांग को लेकर जारी चुनौतियों की स्थिति नजर आ रही है. जॉर्जीवा ने कहा, 'कम आमदनी वाले देश अपने सभी प्रयासों के बावजूद ऐसी स्थिति में हैं, जहां कोई भी नया झटका उन पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.'
आर्थिक नीतियों के मामले में अनिश्चितता रहेगी
उन्होंने कहा, 'आशंका है कि 2025 में आर्थिक नीतियों के मामले में काफी अनिश्चितता रहेगी. आश्चर्य की बात नहीं है कि अमेरिकी इकोनॉमी के साइज और भूमिका को देखते हुए आने वाले प्रशासन के नीतिगत कदमों, खासकर शुल्क, कर, विनियमन एवं सरकारी दक्षता को लेकर वैश्विक स्तर पर गहरी दिलचस्पी है.' डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की योजना की घोषणा की है. वह 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे.
उन्होंने शुल्क को एक प्रमुख नीति उपकरण के रूप में उपयोग करने की सार्वजनिक रूप से घोषणा की है. जॉर्जीवा ने कहा, 'यह अनिश्चितता आगे की व्यापार नीति के रास्ते को लेकर अधिक है. इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष आने वाली चुनौतियां और बढ़ जाएंगी. खासकर उन देशों और क्षेत्रों के लिए जो वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में अधिक एकीकृत हैं, मध्यम आकार की अर्थव्यवस्थाएं हैं और एक क्षेत्र के रूप में एशिया के लिए.'
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने कहा कि यह अनिश्चितता वास्तव में वैश्विक स्तर पर उच्च दीर्घकालिक ब्याज दरों के माध्यम से व्यक्त की जाती है, भले ही अल्पकालिक ब्याज दरें कम हो गई हों. (भाषा)