देश राजकोषीय मजबूती के साथ कर्ज कटौती के लक्ष्य की राह पर : सीतारमण
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देश राजकोषीय मजबूती के साथ कर्ज कटौती के लक्ष्य की राह पर : सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 की घोषणा के बाद कहा कि भारत राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ने के साथ कर्ज में कटौती के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है. उन्होंने इस बात को तवज्जो नहीं दी कि मूडीज जैसी एजेंसियां इन सबके बावजूद भारत की साख को नहीं बढ़ाया है.

 देश राजकोषीय मजबूती के साथ कर्ज कटौती के लक्ष्य की राह पर : सीतारमण

Nirmala Sitharaman:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 की घोषणा के बाद कहा कि भारत राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ने के साथ कर्ज में कटौती के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है. उन्होंने इस बात को तवज्जो नहीं दी कि मूडीज जैसी एजेंसियां इन सबके बावजूद भारत की साख को नहीं बढ़ाया है. सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के अपने बजट में राजकोषीय सूझबूझ के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के बीच बेहतर संतुलन साधा है.  

मिडिल क्लास को राहत

उन्होंने न केवल मध्यम वर्ग को बड़ी कर राहत दी है, बल्कि अगले साल राजकोषीय घाटे को कम करने तथा 2031 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत रूप में कर्ज में कमी लाने का खाका भी पेश किया. उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक चुनौतियों, आपूर्ति व्यवस्था के स्तर पर समस्याओं और दुनिया में संघर्षों के बीच अर्थव्यवस्था की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए महामारी के दौरान अधिक कर्ज लेना पड़ा. न्यूज ऐजेंसी के साथ साथ साक्षात्कार में कहा,  कि इन सबके बावजूद हमने प्रतिबद्धता दिखाई है और राजकोषीय घाटे के संबंध में हम अपनी कही बातों का पालन कर रहे हैं. 

एक भी साल ऐसा नहीं है, जब हम अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहे हों. मूडीज रेटिंग्स ने शनिवार को सरकार द्वारा अपने वित्त को विवेकपूर्ण ढंग से प्रबंधित करने के प्रयासों के बावजूद भारत की साख को तत्काल बढ़ाने की बात से इनकार किया था. मूडीज ने फिलहाल भारत की रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ बीएए3 पर बरकरार रखा है। यह निवेश के लिहाज से निम्न स्तर की रेटिंग है. 

भारत राजकोषीय अनुशासन और मुद्रास्फीति नियंत्रण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन मूडीज का कहना है कि साख बढ़ाने के लिए ऋण के बोझ में पर्याप्त कमी और अधिक महत्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न करने वाले उपाय आवश्यक हैं. हाल के सुधारों के बावजूद, राजकोषीय घाटा और कर्ज-जीडीपी अनुपात महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में व्यापक बना हुआ है. कर्ज पर ब्याज अदायगी की लागत बजट में सबसे बड़ा हिस्सा बनी हुई है. सीतारमण ने शनिवार को संसद में पेश अपने आठवें बजट में कहा कि पिछले साल किये गये वादे के अनुसार चालू वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.8 प्रतिशत होगा इसे वित्त वर्ष 2025-26 तक घटाकर 4.4 प्रतिशत पर लाया जाएगा. 

उन्होंने कहा,  हमने कहा है कि दीर्घकालीन स्तर पर हम अपने कर्ज का प्रबंधन इस तरह से करेंगे कि ऋण-जीडीपी अनुपात लगातार कम हो. हम ठीक वैसे ही आगे बढ़ रहे हैं, जैसा कि एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में बताया गया है. कर्ज को नीचे लाया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने ऐसे कदम उठाये हैं, जो कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा भी नहीं उठाए गए हैं.  

सीतारमण ने उन राज्यों की भी सराहना की, जिन्हें केंद्र सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय के तहत 50 साल के लिए ब्याज-मुक्त राशि प्राप्त हुई है. वित्त मंत्री ने कहा,  उन्होंने पूंजीगत व्यय और व्यय की गुणवत्ता में भी बहुत रुचि दिखाई है, इसलिए यह बहुत अच्छी रहा है... वित्त वर्ष 2024-25 में पूंजीगत व्यय बजटीय अनुमान 11.11 लाख करोड़ रुपये से कम रहा. इसका कारण देश में आम चुनाव था। इससे चार महीने पूंजीगत व्यय प्रभावित हुआ. भाषा

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