Anil Ambani: कैसे लगेगी अनिल अंबानी की इस कंपनी की नैया पार, अब कोर्ट से भी वापस खींचे कदम
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Anil Ambani: कैसे लगेगी अनिल अंबानी की इस कंपनी की नैया पार, अब कोर्ट से भी वापस खींचे कदम

एक तरफ अंबानी परिवार में शादी की खुशियां हैं, फंक्शन चल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अनिल अंबानी ( Anil Ambani) की मुश्किल कम ही नहीं हो रही है. भारी कर्ज में डूबे अनिल अंबानी की कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है.

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Anil Ambani: एक तरफ अंबानी परिवार में शादी की खुशियां हैं, फंक्शन चल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अनिल अंबानी ( Anil Ambani) की मुश्किल कम ही नहीं हो रही है. भारी कर्ज में डूबे अनिल अंबानी की कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) ने दिल्ली हाई कोर्ट के 6 मार्च के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से दायर की गई अपनी याचिका को वापस ले लिया है. 

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने 9 मार्च के फैसले में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को झटका देते हुए 1100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति बेचने, अलग करने, ट्रांसफर करने या फिर किसी भी तरह से कब्ज़ा करने से रोक दिया था. कोर्ट ने अपने पिछले फैसले को पलटते हुए अनिल अंबानी की कंपनी पर संपत्ति बेचने से संबंधित कई पाबंदियां लगा दी. इस फैसले के खिलाफ अनिल अंबानी की कंपनी सुप्रीम कोर्ट चली गई थी.  

क्या है पूरा मामला  

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे अब उसने वापस ले लिया है. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने 6 मार्च को फैसला करते हुए रिलायंस इन्फ्रा को आदेश दिया था कि वो अपने 1100 करोड़ के एसेट्स को किसी भी तीसरे पक्ष के हाथों न बेचेंगे, न अलग करेंगे और न ही ट्रांसफर करेंगे. रिलायंस इन्फ्रा की संपत्ति बेचने पर रोक लगा दी गई. कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और याचिका दाखिल की थी, लेकिन अब उसने अपनी याचिका वापस ले ली है. 

क्या है अनिल अंबानी के साथ चीनी कंपनियों का विवाद  

मामला साल 2008 का है. चीनी कंपनी शंघाई इलेक्ट्रिक और अनिल अंबानी की कंपनी आरइन्फ्रा (RInfra) प्रोजेक्ट्स की सहायक कंपनी रिलायंस इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स (UK) ने  उपकरण आपूर्ति और सेवा के लिए डील की थी. डील की शर्तों के मुताबिक अनिल अंबानी की कंपनी को चीनी फर्म को 9461 करोड़ रुपये चुकाने थे. इस डील के लिए रिलायंस इन्फ्रा गारंटर बनी थी. डील के मुताबिक कंपनी को साल 2019 तक 995 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जो वो कर नहीं सकी. चूंकी रिलायंस इन्फ्रा गारंटर थी., उसे नोटिस के 60 दिनों के बाद रकम भुगतान के लिए कहा गया, लेकिन वो भी नहीं कर पाई, जिससे बाद मामला कोर्ट पहुंच गया.  

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