Train in Aizawl Mizoram: गुजरात और महाराष्ट्र के बीच जहां बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही है. वहीं एक राज्य की राजधानी ऐसी भी है, जहां आजादी के 77 साल बाद पहली बार अगले साल ट्रेन पहुंचने जा रही है.
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Indian Railways Mizoram Aizawl Railway News: आजादी के 77 साल बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल रेलवे नेटवर्क से जुड़ने जा रही है. इस शहर में पहली ट्रेन जुलाई 2025 तक चलनी शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही रेलवे नेटवर्क के नक्शे पर आने वाला आइजोल पूर्वोत्तर भारत का चौथा राजधानी शहर होगा. भारतीय रेलवे के महाप्रबंधक अरुण कुमार चौधरी ने राज्य के मुख्यमंत्री लालदुहोमा के साथ बैठक कर इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (NFR) सैरांग तक 51.38 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉड गेज लाइन की पटरियां बिछा रहा है, जिस पर अगले नौ महीने में ट्रेन चलनी शुरू हो जाएंगी.
पहली बार मिजोरम की राजधानी तक पहुंचेगी ट्रेन
भारतीय रेलवे के महाप्रबंधक अरुण कुमार चौधरी ने बताया कि मिजोरम के बैराबी से सैरांग को जोड़ने वाला रेलवे प्रोजेक्ट अब फाइनल स्टेज में है. यह प्रोजेक्ट करीब 8,213.72 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही मिजोरम की राजधानी आइजोल भी भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर आ जाएगा. पूर्वोत्तर भारत का यह चौथा शहर होगा, जो रेलवे से जुड़ा होगा. इससे पहले असम का मुख्य शहर गुवाहाटी (राजधानी दिसपुर से सटा हुआ), त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और अरुणाचल प्रदेश का नाहरलागुन (राजधानी शहर ईटानगर से सटा हुआ) कई वर्षों से रेलवे नेटवर्क पर हैं.
एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने कहा कि बैराबी-सैरांग परियोजना पूरी होने के बाद मिजोरम के लोगों को आने जाने और सामान के आवागमन में बहुत सहूलियत हो जाएंगीं.उन्होंने बताया कि बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना पर 93 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है. करीब 51.38 किलोमीटर लंबे इस रूट पर चार स्टेशन होंगे, जिनके नाम होरटोकी, कावनपुई, मुआलखांग और सैरंग हैं.
दुर्गम रेलवे प्रोजेक्ट में 48 सुरंगें शामिल
उन्होंने बताया कि बैराबी- सैरांग रेलवे परियोजना को चार खंडों में विभाजित किया गया है. इनके नाम बैराबी-होर्टोकी, होर्टोकी-कावनपुई, कावनपुई-मुआलखांग, और मुआलखांग-सैरांग हैं. इनमें से 17.38 किलोमीटर लंबा भैरबी-होरटोकी खंड पूरा हो चुका है. जिसे इस साल अगस्त में चालू करके रेल सेवा शुरू कर दी गई थी.
CPRO ने बताया कि इस दुर्गम रेलवे प्रोजेक्ट में 48 सुरंगें शामिल हैं. सुरंगों की कुल लंबाई 12,853 मीटर है, जिसमें से 12,807 मीटर सुरंग निर्माण का काम पहले ही पूरा हो चुका है. उन्होंने बताया कि इस परियोजना में कुल 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल होंगे. सैरंग स्टेशन के पास परियोजना के सबसे ऊंचे खंभे का निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है. इस घाट की ऊंचाई 104 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक है. इस परियोजना में पांच रोड ओवर ब्रिज और छह रोड अंडर ब्रिज भी शामिल हैं.
नई रेलवे लाइन राष्ट्रीय परियोजना के रूप में शामिल
NFR के प्रवक्ता ने कहा कि इस परियोजना के क्रियान्वयन में कई चुनौतियां शामिल रही हैं. जैसे मानसून में लगातार बारिश, घने जंगल, पहाड़ी इलाका, खराब पहुंच, निर्माण सामग्री पहुंचाने में दिक्कत और कुशल श्रमिकों की अनुपलब्धता. इन सबके बावजूद भारतीय रेलवे इस प्रोजेक्ट को जल्दी पूरा करने की कोशिश कर रहा है.
मिजोरम सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना एक 'राष्ट्रीय परियोजना' है, जो एक बार पूरी हो जाने पर न केवल मिजोरम के लिए, बल्कि राष्ट्र के लिए एक कीमती धरोहर साबित होगी. उन्होंने कहा कि बैराबी से सैरांग तक नई रेलवे लाइन को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में 2,384.34 करोड़ रुपये की प्रारंभिक लागत पर 2008-2009 में केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दी गई थी. परियोजना पर काम 2015 में शुरू हुआ. पिछले साल 23 अगस्त को बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के एक निर्माणाधीन रेलवे पुल के ढह जाने से 24 श्रमिकों की मौत हो गई. उस समय कुरुंग नदी पर रेलवे पुल का निर्माण चल रहा था.
(एजेंसी आईएएनएस)