Sambhal Shahi Masjid: संभल की शाही मस्जिद को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. अब इसको लेकर कमिश्नर रमेश राघव से बात की है, जिन्होंने कोर्ट के सामने ये रिपोर्ट पेश की है.
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Sambhal Shahi Masjid: संभल की शाही मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट बीते रोज कोर्ट में पेश की गई. जिसके बाद दावे किए जाने लगे कि रिपोर्ट में मस्जिद में मंदिर होने के सबूतों की बात की गई है. किसे ने अंदर फूल के निशान बताए, कुछ अंदर कुए और बरगद में मंदिर को खोजने लगे. अह इस मामले में कोर्ट कमिश्नर रमेश राघव का बयान आया है.
रमेश राघव ने कहा कि उन्होंने पूरी गोपनीयता के साथ सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दी गई तो लोगों तक कैसे पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में आदेश था कि इसे गुप्त तरीके से कोर्ट में पेश किया जाना है. इस तरह की रिपोर्ट्स पब्लिक करने के लिए नहीं होती है, और अगर ऐसा कोई करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर संभल की शाही जामा मस्जिद पर बनी रिपोर्ट कैसे बाहर आ गई. सवाल उठ रहे हैं कि कहीं कोई पक्ष मीडिया ट्रायल बेनेफिट्स के लिए तो ऐसा नहीं कर रहा है. वहीं स्थानीय हिंदुओं का कहना है कि यहां से मंदिर होने के सबूत मिले हैं. वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद से ऐसा कुछ नहीं मिला है.
आपको बता दें, कोर्ट ने संभल शाही मस्जिद मामले में कमिश्नर को आदेश दिए थे कि सीलबंद लिफाफे में ही रिपोर्ट पेश की जाए. रिपोर्ट दिसंबर के महीने में ही पेश की जानी थी. लेकिन, तबियत खराब होने की वजह से रमेश राघव ने जनवरी में इसे पेश करने के लिए वक्त मांगा था.
19 नवंबर को लोकल कोर्ट ने संभल की शाही मस्जिद के एएसआई सर्वे करने के आदेश दिए थे. उसी दिन वह रात को टीम सर्वे करने पहुंची थी और 24 नवंबर को दूसरी बार सर्वे हुआ था. इसी दिन संभल में दंगे हो गए. जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई. वहीं कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.