Ramadan 2023: पहले यहां से देखा जाता था रमज़ान का चांद, तोप के गोले दागकर लोगों को किया जाता था सूचित
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Ramadan 2023: पहले यहां से देखा जाता था रमज़ान का चांद, तोप के गोले दागकर लोगों को किया जाता था सूचित

Ramadan 2023 Special: रमजान का महीना शुरू होने वाला है. इससे पहले हम आपको सऊदी अरब की वो पहली जगह दिखाने जा रहे हैं जहां से चांद देखा जाया करता था. चांद नजर आने के बाद यहां से कपड़ा लहराया जाता था. 

Ramadan 2023: पहले यहां से देखा जाता था रमज़ान का चांद, तोप के गोले दागकर लोगों को किया जाता था सूचित

Ramadan 2023 Date: रमजान का महीना शुरू होने वाला है. आज यानी 21 मार्च को सऊदी अरब में चांद देखा जाएगा. हालांकि 21 मार्च को चांद नजर आने की उम्मीद कम ही है लेकिन क्योंकि आज अरब देशों में शाबान की 29 तारीख है तो ऐसे में जरूरी है कि चांद देखा जाए. अगर आज चांद नजर आता है तो अरब देशों में कल यानी 22 मार्च को पहला रोज़ा हो जाएगा. खैर इस मौके पर हम आपको सऊदी अरब की पहली रसदगाह (Watch Tower, एक ऐसी जगह जहां से किसी खास चीज को देखा जाता है) के बारे में बताने जा रहे हैं. 

दरअसल सऊदी अरब में चांद देखने के लिए बनाई गई पहली जगह (रसद गाह) 1948 में बनाई मक्का-मुकर्रमा में बनाई गई थी. देश के संस्थापक कहे जाने वाले शाह अब्दुल अज़ीज़ के दौर में जबल अबू कबीस जगह पर पहली रसदगाह बनाई गई थी. शाह सऊद ने चांद देखने वाली चीजें मुहैया कराई थीं. यह रसदगाह बनाने का खयाल खोगोलविद शेख मुहम्मद अब्दुल रज्ज़ाक हमज़ा का था. हालांकि 1948 के कुछ वर्ष बाद ही चांद देखने की जगह को मक्का के क्लॉक टॉपर पर शिफ्ट कर दिया गया था. 

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एक जानकारी के मुताबिक जब 1948 और उसके आस-पास का वर्षों में चांद देखने के लिए काज़ी या फिर उनके डिप्टी जबल अबु कबीस पर मौजूद रसदगाह पर जाया करते थे. यहां से वो रमजान का चांद देखा करते थे. अगर चांद नजर आ जाता था तो उन्हीं लोगों में से कोई शख्स अपने हाथ में एक कपड़ा लेता था और लहरा दिया करता था. जिसे चांद देखने की सूचना कहा जाता था. 

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इस रसदगाह पर सभी लोगों की नजरें रहती थीं. खास तौर पर आस पास के किले वाले रसदगाह पर नजर बनाए हुए रहते थे. जैसे ही वो कपड़ा लहराता देखते थे तो किलों से मौजूद तोपों से गोले दागे जाते थे. गोले का दगने का मतलब होता था कि रमज़ान का चांद नजर आ गया है. ठीक ऐसी ही ईद के चांद के मौके पर भी हुआ करता था. फिलहाल की बात करें तो इस वक्त अलग-अलग शहरों में रसदगाहें बना दी गई हैं. 

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