नीतीश कुमार के भाजपा छोड़ने के बाद लोग सवाल कर रहे हैं कि जदयू कोटे से बने राज्यसभा सांसद और उपसभापति हरिवंश का अब क्या होगा, वह अपना पद बरकरार रखेंगे या नीतीश की हिमायत में अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
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नई दिल्लीः नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन छोड़ने और राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद अब उक बड़ा सवाल लोगों के जेहन में आ रहा है कि राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का क्या होगा ? हरिवंश नारायण जदयू कोटे से राज्यसभा पहुंचे थे. लोग अब पूछ रहे हैं कि क्या राज्यसभा सांसद के तौर पर राज्यसभा के उपसभापति बने हरिवंश नारायण नीतीश कुमार का साथ देते हुए उपसभापति के ओहदे से इस्तीफा दे देंगे या फिर अपने पद पर बने रहेंगे जैसा कि लेफ्ट के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी ने कभी किया था ?
नीतीश 24 में मोदी को दे सकते हैं टक्कर
भाजपा का साथ छोड़ने के बाद जिस अंदाज में नीतीश कुमार और उनके करीबी भाजपा पर लगातार हमलावर हो रहे हैं, उससे फिलहाल यही लग रहा है कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा से लड़ने को ताल ठोक रहे हैं. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जिस तरह उन्हांने 2014 और 2024 की बात कही उससे भी साथ संदेश निकल रहा है कि नीतीश कुमार 2024 में प्रधानमंत्री मोदी से भिड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में वो अपनी पार्टी के एक सांसद को कैसे राज्यसभा का उपसभापति बने रहने दे सकते हैं ?
क्या हुआ था सोमनाथ चटर्जी के साथ
गौरतलब है कि इसी तरह के हालात का सामना कभी लेफ्ट के दिग्गज नेता रहे सोमनाथ चटर्जी को भी करना पड़ा था. दरअसल, 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु करार करने के खिलाफ में यूपीए-1 सरकार को बाहर से समर्थन देने वाले सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापिस ले लिया था. यूपीए सरकार को समर्थन देने के बदले में एक करार के तहत कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों ने सीपीएम के दिग्गज सांसद सोमनाथ चटर्जी को लोक सभा का स्पीकर बनाया था. समर्थन वापसी के बाद सीपीएम ने चटर्जी को लोक सभा स्पीकर का पद छोड़ने को कहा, लेकिन सोमनाथ चटर्जी ने यह कहते हुए ऐसा करने से इंकार कर दिया कि स्पीकर का पद संवैधानिक होता है, और इस पर निर्वाचित हो जाने के बाद शख्स किसी भी दल का नहीं रहता. सोमनाथ के इस रुख से नाराज होकर सीपीएम ने उन्हें एक महीने बाद पार्टी से ही बर्खास्त कर दिया था.
हरिवंश ने कहा, वह नीतीश कुमार के साथ हैं और रहेंगेः जदयू
अब राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण, नीतीश कुमार और जेडीयू के सामने भी वैसे ही हालत पैदा हो गए हैं. हालांकि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के आगे के राजनीतिक रुख को लेकर चल रही अटकलों के बीच जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा है कि हरिवंश ने उन्हें बताया है कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हैं और आगे भी रहेंगे. बताया जा रहा है कि जब साल 2017 में महागठबंधन छोड़ भाजपा के साथ जाने की सलाह जिन चार लोगों ने नीतीश कुमार को दी थी उनमें जदयू के पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह और हरिवंश भी थे.
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