Turkey News: सीरिया में नई सरकार आने के बाद से तुर्की में रह रहे सीरियाई शरणार्थियों की बड़ी संख्या में अपने देश वापस लौट रही है. जिससे तुर्की में सस्ते मजदूर की कमी होने वाली है. इससे तुर्की के अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने वाला है.
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Turkey News: दुनिया के प्राचीन देशों में सीरिया का नाम आता है. सीरिया में दशकों से चल रही घरेलू जंग अब थम गई है. यहां तहरीक-ए-शाम (HTS) की सरकार है. सीरिया में चल रही घरेलू जंग की वजह से सीरियाई लोगों की बड़ी तादाद दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर है. सीरियाई शरणार्थियों की बड़ी तादाद पड़ोसी देश तुर्की में भी रह रही है. सीरिया में असद सरकार के तख्तापलट होने के बाद तुर्की से सीरियाई शरणार्थी अपने देश लौट रहे हैं. जिससे तुर्की को सस्ते मजदूरों की कमी हो सकती है. इससे तुर्की के अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है.
वापस लौट रहे सीरियाई शरणार्थी
सीरिया में नई सरकार आने के बाद से, तीन मिलियन सीरियाई शरणार्थियों में से हज़ारों घर लौट आए हैं, जबकि कई अभी भी अपने अगले कदम पर विचार कर रहे हैं. कोराबातिर ने कहा कि लौटने वाले ज़्यादातर लोग सीरिया के मौजूदा हालात का जायजा ले रहे हैं कि उन्हें अपने परिवार को सीरिया वापस लाना चाहिए या नहीं?
तुर्की को सस्ते मजदूरों की चिंता
सीरिया में 13 साल से चल रही घरेलू जंग अब खत्म हो गई है. जिसके बाद तुर्की से सीरियाई शरणार्थी धीरे-धीरे अपने देश लौट रहे हैं. सीरियाई शरणार्थी के वतन वापसी से तुर्की को कम तन्ख्वाह वाले मजदूर मिलने में दिक्कत आ रही है. यह बात तुर्की के कारोबारियों और जानकारों ने कही है.
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तुर्की छोड़ने को मजबूर सीरियाई
टेलीकॉम मुलाज़िम उस्मान अहमद का मानना है कि सीरियाई शरणार्थियों के वापसी की एक बड़ी वजह तुर्की की आर्थिक परेशानियां, जिसमें किराए में बढ़ोतरी भी शामिल है, कुछ शरणार्थियों को छोड़ने के लिए मजबूर कर रही हैं. जबकि दूसरे लोग स्थिर नौकरियों के लिए रुक रहे हैं. उन्होंने कहा, "कुछ सीरियाई कारोबारी भी अपने कारोबार को वापस सीरिया में स्थानांतरित कर सकते हैं."
इस कदम से तुर्की को होगा फायदा
अंकारा में मौजूद शरण और प्रवास पर अनुसंधान केंद्र के निदेशक मेटिन कोराबातिर का अंदाजा है कि तुर्की के कारोबार में अभी भी लगभग 1 मिलियन सीरियाई मजदूर काम कर रहे हैं, जो खास तौर से कम-कुशल और कम वेतन वाली प्रइवेट नौकरियों में हैं. सीरियाई शरणार्थियों के तुर्की से वापस जाने से तुर्की पर वित्तीय दबाव कम हो सकता है. तुर्की ने यूरोपीय संघ की मदद के बावजूद शरणार्थियों पर $40 बिलियन खर्च किए हैं.