Patan News: पाटन जिले में हिंदू संगठन ने एक गांव में मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार का अह्वान किया था. इसके बाद भी बहिष्कार करने वाले संठगन के खिलाफ गुजरात पुलिस के तरफ से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई थी. अब पाटन जिले की एक कोर्ट ने इस मामले पर बड़ा फैसला लिया है.
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Patan News: गुजरात के पाटन जिले में पिछले साल जुलाई में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. जिसके बाद एक हिंदू संगठन ने एक गांव में मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार का अह्वान किया था. इसके बाद भी बहिष्कार करने वाले संठगन के खिलाफ गुजरात पुलिस के तरफ से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई थी. अब पाटन जिले की एक कोर्ट ने इस मामले पर बड़ा फैसला लिया है और इन संगठनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने दिया ये आदेश
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एचपी जोशी की कोर्ट ने बलिसाना पुलिस स्टेशन के उप-निरीक्षक को याचिकाकर्ता मकबूल हुसैन शेख की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करने और समयबद्ध तरीके से जांच पूरी करने का निर्देश दिया.
कुछ लोग पलायन करने पर हुए मजबूर
याचिकाकर्ता ने कोर्ट का रुख करते हुए इल्जाम लगाया था कि बलिसाना में कुछ लोगों ने 16 जुलाई, 2023 को “सांप्रदायिक दंगे की दुर्भाग्यपूर्ण घटना” का दुरुपयोग करके मकामी लोगों को मुसलमानों का बहिष्कार करने और उनकी दुकानों के किराए के समझौते को रद्द करके उन्हें व्यवसाय से बाहर करने के लिए उकसाया है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि इस कदम से इलाके में रहने वाले मुसलमानों के व्यवसाय और आजीविका प्रभावित हुई है और कुछ को तो यह जगह छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
कोर्ट ने निर्देश दिया कि संगठन पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने (153-बी) और दुश्मनी की भावना पैदा करने या बढ़ावा देने के इरादे से अफवाह या खतरनाक समाचार वाले बयानों का प्रचार-प्रसार करने के लिए भारतीय दंड संहिता के की धारा 505 (2) के तहत मामला दर्ज किया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी देखा कि नफरत फैलाने वाले भाषण से संबंधित आईपीसी की धारा 295 (ए) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है. याचिकार्ता ने ये मांग की है.
एसपी ने नहीं की कोई कार्रवाई
दंगे के लगभग दो महीने बाद, शेख ने कोर्ट को बताया, उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) से संपर्क किया, जिसमें सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो शेयर किए जा रहे थे, जिसमें कुछ ग्रामीणों को मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार के लिए दूसरों को उकसाते हुए और उन्हें गांव के बाजार और दूसरे स्थानों पर किराए की दुकानों से बाहर निकालते हुए दिखाया गया था.
कोर्ट ने दिया ये आदेश
याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस के जरिए गांव में मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं करने के बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया. पहले के आदेश में, अदालत ने पुलिस को मामले की जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. पुलिस ने बाद में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया कि कोई अपराध नहीं हुआ है. हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत वीडियो क्लिप और प्रभावित व्यक्तियों के बयानों पर विचार करने के बाद रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और 26 जुलाई को पारित आदेश में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया.
क्या है पूरा मामला
16 जुलाई, 2023 की रात को सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर बलिसाना में ग्रामीणों के दो समूहों में झड़प हो गई थी. भीड़ ने एक-दूसरे को लोहे की छड़ों, पाइपों और पत्थरों से निशाना बनाया, जिसमें कई लोग घायल हो गए, जिसके बाद दंगा करने के लिए क्रॉस-एफआईआर दर्ज की गई, जिसके बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया गया.