Breast Cancer self examination: भारत में स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच डॉक्टर्स का कहना है कि महीने में सिर्फ एक बार स्वयं स्तन जांच करने से महिलाओं को घातक कैंसर का वक़्त रहते पता लगाने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है.
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Breast Cancer self examination: औरतों में होने वाला स्तन कैंसर दुनियाभर के साथ-साथ भारत में भी महिलाओं को मुतासिर करने वाला सबसे आम कैंसर बन गया है. चिंता की बात यह है कि यह कैंसर, जो कभी बुजुर्गों महिलाओं में होने वाली बिमारी थी, पिछले तीन दशकों में 40 या उससे कम उम्र की औरतों में बहुत तेजी से बढ़ रहा है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के आंकड़ों की माने तो स्तन कैंसर महिलाओं को होने वाले दूसरे सभी तरह के कैंसर में से अकेले 28.2 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. हालांकि, इस बिमारी की शुरुआत में ही पहचान कर इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. शुरुआती चरणों में लगभग 90 से 95 फीसदी मामलों में इलाज संभव है. फिल्म अभिनेत्री ताहिरा कश्यप और महिमा चौधरी भी स्तन कैंसर से कभी पीड़ित थीं , लेकिन अब ठीक हो चुकी हैं. हाल ही में, टेलीविजन अभिनेत्री हिना खान में स्टेज तीन स्तन कैंसर डिटेक्ट किया गया है.
राजीव गांधी कैंसर संस्थान और रिसर्च सेंटर की सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की डॉ. गरिमा डागा कहती हैं, "आपको सामान्य संकेतों या लक्षणों के लिए बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है. आपको बस तीन अंगुलियों और तीन से चार मिनट खर्च करने की ज़रूरत है. खुद से किये जाने वाले इस जांच में सिर्फ 3 मिनट लगते हैं. इस जांच में किसी अन्य व्यक्ति या किसी मशीन की भी ज़रूरत नहीं है, बस इसके लिए आपको एक आईने की ज़रुरत होती है." आईने के सामने खड़ी होकर महिलाएं अपने स्तन का खुद ओव्सर्वेशन कर सकती हैं, कि इसमें कोई बदलाव तो नहीं हो रहा है.
डॉ. गरिमा डागा कहती हैं, "अगर आपको पता है कि आपके स्तन सामान्य तौर पर कैसा हैं, तो आप इसमें होने वाले किसी भी बदलाव या असामान्यता को आसानी से पहचान सकते हैं. स्तन जांच के दौरान स्तनों के त्वचा के मोटे होने, अल्सर, निप्पल डिस्चार्ज, अंडरआर्म्स या निप्पल के नीचे गांठ का संकेत मिल सकता है. स्तन कैंसर का सबसे आम लक्षण निप्पल में गांठ या कोई डिस्चार्ज होता है. खून का डिस्चार्ज, हरा डिस्चार्ज, गांठ, हो तो तुरंत सावधान हो जाएँ." प्रारंभिक चरण में स्तन कैंसर में दर्द नहीं होता है. आमतौर पर पीरियड्स के 5-7 दिन बाद, जब स्तन सबसे ज्यादा मुलायम रहता है, उस वक़्त इस जांच को करना चाहिए.
डॉ. गरिमा डागा कहती हैं, "आनुवंशिक, पर्यावरण में और जीवनशैली में होने वाले बदलाव महिलाओं में स्तन कैंसर को बढ़ावा दे रहे हैं. इसलिए, इससे बचने के लिए वजन को नियंत्रित रखना, संतुलित भोजन और नियमित व्यायाम करना बहुत ज़रूरी है. महीने में एक बार खुद से स्तन जांच कर शुरुआती चरण में ही इसका पता लगाने में काफी मदद मिलती है.
ऑन्कोप्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जन डॉ. मंजुला राव ने कहती हैं, "खुद से जांच करने की वजह से कैंसर की गांठों का बहुत छोटे आकार में ही पता लगाने में मदद मिलती है. इस वजह से ब्रेस्ट कंजर्वेशन, ऑन्कोप्लास्टी और सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी जैसी कम आक्रामक सर्जरी संभव हो जाती है."