Himachal Tourism: हिमाचल प्रदेश में बीते 4 साल में सैलानियों की संख्या में कमी आई है. इसकी बड़ी वजह कोरोना को माना जा रहा है. ऐसे में अब यहां पर्यटकों की संख्या कैसे बढ़ाई जाए इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
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समीक्षा राणा/शिमला: हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यस्था का ज्यादातर हिस्सा पर्यटन और बागवानी पर निर्भर करता है. प्रदेश के लोग हमेशा यही उम्मीद करते हैं कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा सैलानी आएं. हिमाचल प्रदेश में अधिकतर सैलानी पंजाब हरियाणा और दिल्ली से आते हैं. हालांकि मौसम का लुत्फ उठाने के लिए गुजरात राजस्थान, बंगाल, साउथ और देश के कोने-कोने से पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन कुछ वर्षों में यहां आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में कमी आई है.
कोरोना की वजह से कम हुए पर्यटक
पर्यटन विभाग के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित कश्यप का कहना है कि बीते सालों में इस संख्या में आई कमी का बड़ा कारण कोरोना है. अगर कोई विदेशी पर्यटक यहां आना चाहता है तो उन्हें 6 महीने पहले ही प्लान बनाकर पड़ता है. ऐसे में बीते समय में कोरोना महामारी की वजह से यह प्रोसेस लंबा खिंच जाता है. इस दौरान जो भी आंकड़े देखे गए हैं वह कोरोना के बाद ही कम हुए हैं. विभाग की तरफ से पूरा प्रयास किया जाता है कि सभी सैलानी हिमाचल का रुख करें. इसके लिए सभी राज्य में विज्ञापन दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विदेशों में हमारी जो एंबेसीज हैं उनके द्वारा भी विज्ञापन करने का प्रयास किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा फॉरेन टूरिस्ट भी यहां पहुंच सकें.
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पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए होनी चाहिए स्पेशल कैंपेनिंग पब्लिसिटी
वहीं, होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सिंह ने कहा कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पब्लिसिटी होनी चाहिए. हिमाचल प्रदेश में बहुत सारी ऐसी साइट्स हैं जहां सैलानी अभी तक नहीं पहुंच पाएं हैं. ऐसे में स्पेशल कैंपेनिंग पब्लिसिटी होनी चाहिए ताकि विदेशी पर्यटक हिमाचल पहुंच सकें. विदेशी सैलानियों को यहां आकर हेरिटेज बिल्डिंग और हिमाचल की संस्कृति की झलक देखनी होती है. ऐसे में हमें इन सभी पर फोकस करके हाईलाइट और इनका एडवर्टाइजमेंट करना चाहिए.
विज्ञापन में इन जगहों का होना चाहिए जिक्र
फॉरेन टूरिस्ट के साथ काम करने वाले सीनियर वाइस प्रेसिडेंड, ट्रेवल चैप्टर, अनिल भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ऐसे बहुत से स्थान हैं जिन्हें लोग अभी जानते तक नहीं हैं. ऐसे स्थानों को हाईलाइट करने की आवश्यकता है क्योंकि अधिकतर जो विज्ञापन जारी किए जाते हैं उनमें सिर्फ शिमला मनाली को ही हाईलाइट किया जाता है, लेकिन हिमाचल के गांव और दूरदराज के क्षेत्रों में भी घूमने और देखने लायक बहुत सी जगह हैं जहां हर कोई जाना चाहेगा, लेकिन इन जगहों के बारे में जानकारी ना होने की वजह सैलानी यहां पहुंच नहीं पाते हैं.
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हवाई यात्राओं पर भी देना चाहिए ध्यान
उन्होंने कहा कि सैलानी हिमाचल का कल्चर देखना भी पसंद करते हैं जो अब कहीं ना कहीं मॉडर्न होता दिख रहा है. अगर विदेशी सैलानियों को आकर्षित करना है तो सीमांचल को अपनी संस्कृति पर ध्यान देना होगा. हालांकि, जिस तरह से किन्नौर और लाहौल स्पीति के कुछ क्षेत्रों में जो कई छोटे-छोटे मेले लगते हैं उनमें पारंपरिक आभूषण, नृत्य और खानपान के जरिए संस्कृति दिखानी चाहिए. हिमाचल के पास इतना इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, जिसे डिवेलप करने की आवश्यकता है. दूरदराज वाले क्षेत्रों में सैलानी पहुंच नहीं पाते हैं क्योंकि इन जगहों पर जाने के लिए सुविधाएं नहीं हैं. इसके लिए भी हवाई सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए.
ऑल हिमाचल टूरिज्म स्टेकहोल्डर एसोसिएशन रूरल एंड एडवेंचर के वाइस प्रेसिडेंट प्रताप चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सड़कें अब पहले जैसी नहीं रही हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार हुआ है तो पब्लिसिटी जितनी की जाए उतना ही अच्छा होगा. अलग-अलग कंट्रीज में अपनी पब्लिसिटी कैसे पहुंचाई जानी चाहिए यह प्रशासन और सरकारों को देखना चाहिए इस पर गौर होना चाहिए.
साल 2018 में- 3,56,568
साल 2019 में 3,82,876
साल 2020 में 42,665
साल 2021 में 4,832
साल 2022 में 29,333
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