समुद्र से खजाना निकालेगा ड्रैगन! चीन बना रहा ऐसी खास चीज, जो 2030 में दिखा देगी बड़ा कमाल

China Deep Sea Space Station:  चीन समुद्र से 2,000 मीटर एक स्पेस स्टेशन बना रहा है, जो साल 2030 तक बनकर पूरा हो जाएगा. इससे पहले ऐसी रिसर्च फैसिलिटी अमेरिका और सोवियत संघ भी बना चुके हैं. ये चीन की विस्तारवादी नीति को बढ़ाने का भी एक तरीका हो सकता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 16, 2025, 09:53 AM IST
  • समुद्र से 2,000 मीटर नीचे स्पेस स्टेशन
  • साल 2030 तक बनकर तैयार हो जाएगा
समुद्र से खजाना निकालेगा ड्रैगन! चीन बना रहा ऐसी खास चीज, जो 2030 में दिखा देगी बड़ा कमाल

नई दिल्ली: China Deep Sea Space Station: भारत का पड़ोसी देश चीन तकनीक से जुड़े नए-नए प्रयोग करता रहता है. अब चीन ने गहरे समुद्र में रिसर्च फैसिलिटी बनाने जा रहा है. इसे डीप वाटर 'स्पेस स्टेशन' कहा जा रहा है. चलिए, जानते हैं कि चीन का ये स्पेस स्टेशन कब तक बनकर तैयार हो जाएगा और इसे बनाने का क्या मकसद है. 

समुद्र से 2000 मीटर नीचे
चीन सागर की सतह से 2,000 मीटर नीचे स्पेस स्टेशन स्थापित करेगा.अमेरिका और सोवियत संघ के बाद गहरे समुद्र में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला चीन तीसरा देश होगा. शी जिनपिंग का देश लगातार विस्तारवादी नीतियों पर चलता रहा है. इस प्रोजेक्ट से भी चीन अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाने की दिशा में बढ़ रहा है.

ये 2030 तक बनकर तैयार हो जाएगा
जानकारी के मुताबिक, चीन का यह स्पेस स्टेशन साल 2030 तक बनकर तैयार हो जाएगा और चालु हो सकता है. इस स्पेस स्टेशन में 6 वैज्ञानिकों के लिए जगह होगी. यहां पर एक महीने तक मिशन चलेगा. इसका मकसद ठंडे सीप पारिस्थितिकी तंत्रों पर रिसर्च करना है. समुद्र के अंतरिक्ष स्टेशन में ड्रिलिंग जहाज मेंगजियांग भी शामिल होगा. इसका लक्ष्य पृथ्वी के आवरण तक सबसे पहले पहुंचने का है.

चीन को स्पेस स्टेशन बनाने से क्या फायदे?
- दक्षिण चीन सागर में 70 बिलियन टन मीथेन हाइड्रेट्स है. ये तेल और गैस भंडार के आधे के बराबर है.
- समुद्र के नीचे 600 से अधिक प्रजातियां विषम परिस्थितियों में जिंदा रहती हैं. इनमें ऐसे एंजाइम हैं, जो कैंसर के इलाज में उपयोगी साबित हो सकते हैं.
- यदि चीन इस स्पेस स्टेशन का निर्माण कर लेता है, तो दक्षिण चीन सागर में चीन का दावा मजबूत हो सकता है.
- इसी इलाके में कोबाल्ट और निकल सांद्रता जैसे दुर्लभ खनिज भंडार भी हैं. यहां से जो भूमि आधारित खदानों से तीन गुना अधिक कोबाल्ट और निकल का उत्पादन हो सकता है.

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