वो 'हाउसवाइफ' जिसने बनाया था हिटलर को मारने का प्लान, दिलचस्प है वाकया

दुनियाभर में बहुत सारे जासूस ऐसे रहे हैं. आज आपको ऐसी जासूस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने हिटलर को मारने की योजना बनाई. इस दिलचस्प वाकये के बारे में जानकर अक्सर लोग हैरान हो जाते हैं.

Written by - Bhawna Sahni | Last Updated : Feb 19, 2025, 09:33 PM IST
    • उर्सुला ने बनाई थी योजना
    • ऐंड में रोकना पड़ गया प्लान
वो 'हाउसवाइफ' जिसने बनाया था हिटलर को मारने का प्लान, दिलचस्प है वाकया

नई दिल्ली: नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर को लाखों बेगुनाह लोगों की मौत का जिम्मेदार माना जाता है. हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि हिटलर को कभी जान का खतरा नहीं रहा. उन पर भी कई बार जानलेवा हमले किए गए, लेकिन हिटलर की खुशकिस्मती थी कि वह बच निकले. एक बार रूस की मशहूर महिला जासूस उर्सुला कुजिंस्की ने भी हिटलर को जान से मारने की कोशिश की थी. चलिए जानते हैं क्या है ये पूरा वाकया.

नाजीवाद से नफरत करती थीं उर्सुला

सोवियत की मशहूर खूबसूरत महिला जासूसों में से एक थीं उर्सुला कुजिंस्की, जिनका कोडनेम था 'सोन्या'. उन्होंने 1938 में एडॉल्फ हिटलर की हत्या करने की एक साजिश रची थी. इस साजिश को उस समय की सबसे महत्वपूर्ण और जोखिम भरी जासूसी गतिविधियों में से एक माना जाता है. उर्सुला कुजिंस्की जर्मन में जन्मीं यहूदी थीं, उनके पिता एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे. नाजीवाद के उदय को लेकर उनके मन में बहुत नफरत थी. इसी वजह ने उन्हें कम्युनिज्म की ओर आकर्षित किया और वे सोवियत संघ के लिए जासूसी करने लगीं.

हिटलर को मारने की बनी योजना

बताया जाता है कि 1930 का दशक था जब वह स्विट्जरलैंड में थीं, यहां से वे जर्मनी में अपने एजेंटों को संचालित करती थीं. इसी दौरान उन्होंने नाजी पार्टी और हिटलर के खिलाफ एक योजना बनाई. इस साजिश का विचार उनके सहयोगी अलेक्जेंडर फूटे ने दिया. ऐसे में अलेक्जेंडर ने हिटलर की दिनचर्या पर नजर रखनी शुरू की. उन्होंने नोटिस किया कि हिटलर नियमित रूप से म्यूनिख के एक रेस्टोरेंट 'ओस्टीरिया बवेरिया' में खाना खाने जाता है और इस दौरान यहां उसकी सुरक्षा भी ज्यादा सख्त नहीं होती.

शुरू हुई योजना पर तैयारी

उर्सुला को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने अपने विचार मॉस्को में सोवियत नेतृत्व को प्रस्तुत किए. इस दौरान योजना बनाई गई कि हिटलर को रेस्टोरेंट में खाने के दौरान या वहां से निकलते समय बम से उड़ा दिया जाएगा, या फिर गोली मारकर हत्या कर दी जाएगी. बता दें कि सोवियत संघ की रेड आर्मी में एक कर्नल हुआ करती थीं. वह बम बनाने से लेकर खुफिया रेडियो ट्रांसमिशन में माहिर थीं.

परफेक्ट लग रही थी योजना

गौरतलब है कि खुफिया एजेंटों को हिटलर की दिनचर्या और रेस्टोरेंट की सुरक्षा पर नजर रखने के आदेश दिए गए. इसी दौरान एक हिटलर को मारने की एक योजना बनाई गई, विचार ये था कि हिटलर के हवाई जहाज 'ग्राफ जेपेलिन' को बम से उड़ा दिया जाए, हालांकि, इसे रेस्टोरेंट में मारने वाली योजना ज्यादा सफल होती दिख रही थी, इसलिए उसी योजना पर आगे बढ़ने का फैसला हुआ.

योजना पर फिर गया पानी

हिटलर को मारने की योजना बिल्कुल वैसी ही चल रही थी जैसा सोचा गया था, लेकिन इससे कुछ ही सप्ताह पहले एक बड़ा बदलाव कर दिया गया, जिससे उर्सुला को गहरा धक्का लगा. दरअसल, 1939 में जर्मनी और सोवियत संघ के बीच मोलोटोव-रिबेंट्रॉप पैक्ट एक गैर-आक्रामकता समझौता हो गया. इस पैक्ट की वजह से उर्सुला की योजना अचानक रुक गई. इस समझौते ने सोवियत नेतृत्व को मजबूर कर दिया कि वह हिटलर के खिलाफ कार्रवाई से पीछे हट जाएं. अब दोनों देशों के बीच अस्थायी शांति हो गई थी. वहीं, उर्सुला पर यह समझौता जैसे बिजली की तरह आकर गिर गया हो और सबकुछ तबाह कर गया.

हाउसवाइफ बन गईं उर्सुला

बताया जाता है कि हिटलर को मारने की साजिश रुकने के बाद उर्सुला ने अपने जर्मन पति से तलाक ले लिया और ब्रिटेन में बसने के लिए एक अंग्रेजी एजेंट लेन ब्यूर्टन से शादी कर ली. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही उर्सुला ब्रिटेन चली गईं और मिसेज बर्टन के नाम से एक आम महिला की तरह हाउसवाइफ की जिंदगी जीने लगीं.

इतिहासकार

दूसरी ओर इतिहासकार मानते हैं कि अगर उर्सुला की हिटलर को मारने की योजना सफल हो जाती, तो दूसरी विश्व युद्ध की दिशा बदल सकती थी. लेखक बेन मैकइंटायर ने अपनी किताब 'एजेंट सोन्या' में लिखा है, उर्सुला की ये साजिश हिटलर को मारने वाली बाकी किसी भी योजना से ज्यादा सफल होने की उम्मीद थी.

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