नई दिल्ली: आर्मी और आधुनिक हथियारों के मामले में चीन को दुनियाभर के सबसे ताकतवर देशों में एक गिना जाता है. हालांकि, अब चीन की आर्मी को लेकर बनी इस धारणा को लेकर एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जो हैरान करने के साथ -साथ इस धारणा को चुनौती भी देती है. इस रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चीनी आर्मी (PLA) तो युद्ध लड़ने के लिए तैयार ही नहीं है.
युद्ध के मैदान में टिक पाना मुश्किल
दरअसल, अमेरिकी थिंक टैंक रैंड कॉर्प की रिपोर्ट ने दावा किया है कि चीन की सत्ताधारी पार्टी फौज को बेहतर सिर्फ इसलिए कर रही है ताकि वो सरकार में बनी रहे, न कि इसलिए कि उनकी आर्मी सेना युद्ध के लिए तैयार हो सके. ऐसे में युद्ध के हालातों में चीनी सेना के युद्ध के मैदान में टिक पाना मुश्किल हो सकता है.
पार्टी के लिए मजबूत की जाती है सेना
CNN के अनुसार, अमेरिकी थिंक टैंक का कहना है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का मकसद सेना को मजबूत केवल सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने का है. रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि चीनी सेना का ध्यान सिर्फ शी जिनपिंग और CCP शासन पर केंद्रित रखना है, चीनी सैन्य आधुनिकीकरण ही केवल इसीलिए किया गया है.
युद्ध के लिए कितनी तैयार है चीनी सेना
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी सेना अपने प्रशिक्षण वक्त का लगभग 40% तक राजनीतिक विषयों पर खर्च कर रहा है. वहीं, CNN की रिपोर्ट कहती है कि इस समय को युद्ध में सफलता हासिल करने के लिए उपयोग किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि चीनी सेना युद्ध के लिए कितनी तैयार है. बताया जाता है कि PLA की यूनिट के नेतृत्व में भी राजनीतिक लोगों को शामिल किया जाता है, जो पार्टी की ओर वफादारी पर अधिक ध्यान देते हैं, न कि युद्ध क्षमता की तरफ.
शी जिनपिंग का लक्ष्य तय
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन और अमेरिका के बीच युद्ध की संभावनाएं बहुत कम हैं. वहीं, पेंटागन के योजनाकारों को बमों और मिसाइलों के अलावा चीन के खतरों की विस्तृत श्रृंखला पर ध्यान देने की जरूरत है. दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ इन रिपोर्ट्स से पूरी तरह असहमत हैं. उनके मुताबिक, शी जिनपिंग अपना सैन्य लक्ष्य स्पष्ट कर चुके हैं. उनका लक्ष्य है ताइवान पर कब्जा करना, जिसके लिए चीनी सेना भी तैयार है.
उन्नत हथियार के बावजूद युद्ध के मैदान में हो जाती है हार
CNN की रिपोर्ट में चीन के आधुनिक होते हथियारों पर भी सवाल खड़े किए हैं. इतिहास में देखा गया है कि कई बार सेनाएं युद्ध के दौरान अपने उन्नत हथियारों का सही इस्तेमाल करने में असफल हो जाती है. उदाहरण के तौर पर यूक्रेन का युद्ध देखा जा सकता है, जहां लाजवाब हथियारों से लैस सेना भी जीत हासिल नहीं कर पाई. ऐसे में अब इस बात पर सवाल उठता है कि क्या चीन की सेना युद्ध के मैदान अपने आधुनिक हथियारों के साथ सफलता हासिल कर पाएगी या नहीं. इसका जवाब तो वक्त के साथ ही मिल पाएगा.
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