Diwali News: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सम्मू गांव में दिवाली का कोई उत्सव नहीं मनाया जाता है. यह एक ऐसा नियम बन गया है जिसका पालन वे अनादि काल से करते आ रहे हैं.
कई पीढ़ियों पहले इस त्यौहार के दिन सती हो गई एक व्यथित महिला के श्राप के भय से गांव के लोग दिवाली के उत्सव से खुद को दूर रखते हैं.
दिवाली के त्यौहार के दौरान गांव में घरों में रोशनी नहीं की जाती और पटाखों की आवाज भी नहीं सुनने को मिलती.
पीटीआई के अनुसार, बुजुर्गों ने युवाओं को आगाह किया है कि कोई भी उत्सव शुभ नहीं होगा और गांव वालों के लिए दुर्भाग्य, आपदा और मौत लेकर आएगा, इसलिए दिवाली ना मनाएं.
क्या है मामला?
बताया जाता है कि कई साल पहले, दिवाली मनाने के लिए अपने माता-पिता के घर गई एक महिला को खबर मिली कि उसके पति, जो राजा के दरबार में एक सैनिक था, उसकी मृत्यु हो गई है.
वह महिला, जो गर्भवती थी, इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सकी और अपने पति की चिता पर जल गई. ऐसा माना जाता है कि उसने गांव वालों को श्राप दिया था कि वे कभी भी दिवाली नहीं मना पाएंगे.
निवासियों का कहना है कि तब से इस गांव में कभी दिवाली नहीं मनाई गई.
'महिलाओं का अभिशाप नहीं मिटेगा'
भोरंज पंचायत की प्रधान पूजा देवी ने पीटीआई को बताया कि जब से वह शादी करके इस गांव में आई हैं, उन्होंने कभी दिवाली मनाते नहीं देखा. देवी ने कहा, 'अगर गांव वाले बाहर भी बस जाएं तो भी महिलाओं का अभिशाप उन्हें नहीं छोड़ेगा. कुछ साल पहले गांव से दूर रहने वाला एक परिवार दिवाली के लिए कुछ स्थानीय व्यंजन बना रहा था, तभी उनके घर में आग लग गई. गांव के लोग केवल सती की पूजा करते हैं और उनके सामने दीये जलाते हैं.'
गांव के एक अन्य बुजुर्ग, जिन्होंने 70 से अधिक दिवाली बिना किसी उत्सव के देखी हैं, कहते हैं कि जब भी कोई दिवाली मनाने की कोशिश करता है, तो कोई दुर्भाग्य या नुकसान होता है.
एक अन्य ग्रामीण वीना ने एजेंसी को बताया, 'सैकड़ों सालों से लोग दिवाली मनाने से परहेज करते आए हैं. दिवाली के दिन अगर कोई परिवार गलती से भी पटाखे फोड़ता है और घर में पकवान बनाता है, तो निश्चित रूप से आपदा आती है.'
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