उद्धव को मिला प्रकाश आंबेडकर का सहारा, क्या महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे की 'डगमगाती नैया' को मिलेगा किनारा?

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भीमराव आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर की अध्यक्षता वाली वंचित बहुजन अघाड़ी ने चुनाव पूर्व गठबंधन का फैसला किया है. लेकिन, क्या यह गठबंधन वाकई महाराष्ट्र की सियासत में बड़े बदलाव का संकेत देता है, यह बड़ा सवाल है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 23, 2023, 02:52 PM IST
  • इस साल बीएमसी तो अगले साल लोकसभा-विधानसभा चुनाव
  • कांग्रेस-एनसीपी को नुकसान पहुंचा चुकी है आंबेडकर की पार्टी
उद्धव को मिला प्रकाश आंबेडकर का सहारा, क्या महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे की 'डगमगाती नैया' को मिलेगा किनारा?

नई दिल्लीः उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भीमराव आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर की अध्यक्षता वाली वंचित बहुजन अघाड़ी ने चुनाव पूर्व गठबंधन का फैसला किया है. इस गठबंधन को महाराष्ट्र में शिव शक्ति और भीम शक्ति गठबंधन कहा जा रहा है. लेकिन, क्या यह गठबंधन वाकई महाराष्ट्र की सियासत में बड़े बदलाव का संकेत देता है, यह बड़ा सवाल है.

ठाकरे की शिवसेना के सामने कई चुनौतियां
दरअसल, एकनाथ शिंदे के अलग हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए बड़ी चुनौतियां हैं. शिंदे बीजेपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं और उसके मुखिया हैं, जबकि उद्धव सत्ता से बाहर हैं. यही नहीं उनके सामने पार्टी की विश्वसनीयता और बाला साहेब ठाकरे की विरासत को बचाने की भी चुनौती है, क्योंकि दोनों पर एकनाथ शिंदे मजबूती से दावा ठोक रहे हैं.

इस साल बीएमसी तो अगले साल लोकसभा-विधानसभा चुनाव
ऐसे में प्रकाश आंबेडकर और उद्धव का साथ आना बड़े संकेत देता है. इस साल राज्य में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव होना है. फिर अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है. अगर यह गठबंधन चुनाव में असर डालने में कामयाब रहा तो पार्टी को नई ऊर्जा और आत्मविश्वास देगा. 

कांग्रेस-एनसीपी को नुकसान पहुंचा चुकी है आंबेडकर की पार्टी
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर की पार्टी की करीब 10 निर्वाचन क्षेत्रों में एक लाख से ज्यादा वोट पड़े थे. तब प्रकाश आंबेडकर की पार्टी का गठबंधन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से था. तब दलित-मुस्लिम गठजोड़ बना था और एआईएमआईएम के खाते में औरंगाबाद सीट गई थी. 

यही नहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में भी प्रकाश आंबेडकर की पार्टी ने कांग्रेस-एनसीपी के वोट काटे थे, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ था.

महाविकास अघाड़ी के साथियों का क्या होगा?
यह भी देखना होगा कि क्या उद्धव महाविकास अघाड़ी के बाकी सहयोगियों कांग्रेस और एनसीपी के साथ ही रहते हैं या उनसे अलग रहते हैं. हालांकि, राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उद्धव अपने पुराने सहयोगियों का साथ नहीं छोड़ेंगे और नए सहयोगियों को जोड़ेंगे ताकि महाविकास अघाड़ी की ताकत और बढ़े. 

इससे महाराष्ट्र में ये गठबंधन दलित, महाठा, मुस्लिम और ओबीसी वोट पर दावा करने की स्थिति में होगी. साथ ही बीजेपी और शिंदे के गठबंधन को भी चुनौती दे पाएगी.

हालांकि, प्रकाश आंबेडकर का कहना है, 'अभी तक गठबंधन में केवल हम दोनों हैं. कांग्रेस ने अभी गठबंधन स्वीकार नहीं किया है. मुझे उम्मीद है कि शरद पवार गठबंधन में शामिल होंगे.' 

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